सुबह नींद से उठते ही सबसे पहले अपने हाथों कि रेखाओं का दर्शन करना ही कर दर्शन कहलाता है। हथेलियों के कर दर्शन के जरिये आप माता लक्ष्मी, सरस्वती और ब्रह्मा दर्शन कर अपने लिए आर्शीवाद लेते हैं। आपका ऐसा करना केवल आपके लिए नहीं बल्कि आपके पूरे परिवार की सुख, शांति, विद्या, धन और बेहतर निर्माण के लिए होता है। कई बार बुरा दिन गुजरने पर यह कहते हैं कि जानें किसका मुंह देख कर उठे थे।
लेकिन जब आप अपने कर दर्शन के साथ दिन की शुरुआत करेंगे तो जो कुछ भी आपको मिलेगा वह आपके द्वारा ही मिलेगा। यानी किसी हानि या लाभ के लिए आप स्वयं ही जिम्मेदार होंगे। हालांकि कर दर्शन इससे आगे की चीज है लेकिन जब भी आप सुबह उठें अपने कर दर्शन कर अपने बेहतर दिन की कामना करें। हाथ के अग्रभाग में लक्ष्मी का, मध्य में सरस्वती का और मूल भाग में ब्रह्मा का निवास माना जाता है। आइए जानें कि कर दर्शन करते हुए क्या मंत्र बोलना चाहिए और इसके क्या फायदे हैं।
ऐसे करें कर दर्शन की प्रक्रिया
सुबह सबसे पहले नींद खुलते ही आप अपनी हथेलियों को जोड़ कर पुस्तक के समान बना लें। अब इस खुली पुस्तक की रेखाओं को ध्यान से देखें और अपने चेहरे पर इसे फेर लें और दोबारा इसे पुस्तक समान बना कर यह श्लोक जरूर पढ़ें।
कराग्रे वसते लक्ष्मी: करमध्ये सरस्वती।
कर मूले स्थितो ब्रह्मा प्रभाते कर दर्शनम्॥
इसके बाद एक और मंत्र का जाप करें
कराग्रे वसते लक्ष्मी: करमध्ये सरस्वती।
करमूले तू गोविन्दः प्रभाते करदर्शनम ॥
ऐसा करके आप ईश्वर से ये प्रार्थना करें कि आप जो भी कर्म करें जिससे जीवन में धन, सुख और ज्ञान की प्राप्ति हो सके। आपके कर्म से संसार का भला हो और दूसरों का भी कल्याण हो। बुरे कर्मों से दूर रहने की प्रार्थना करें।
हाथों का दर्शन इसलिए भी होता है जरूरी
भारतीय संस्कृति में कर्म करने की सलाह दी गई है। जीवन के चार आधार- धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष को पुरुषार्थ बताया गया है। कर्म के जरिये ही एक इंसान महान या नीच बनता है, इसलिए अपनी कर्म रेखाओं को बलवती बनाने का आग्रह करना ईश्वर से जरूरी होता है। अपनी हाथों की रेखाओं को रोज देखने से आपको अपने कर्म करने के सही और गलत का पता चलता है। आपको याद रहता है कि जो भी कर्म आप करेंगे उसके लिए आप स्वयं जिम्मेदार होंगे।
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