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Krishna janmashtami 2022: क्यों मनाई जाती है कृष्‍ण जन्माष्टमी, जानिए इसके पीछे की कथा

Updated Jul 20, 2022 | 18:25 IST

Krishna Janmashtami: भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में जन्माष्टमी का पर्व देश-विदेश में बड़े ही धूम-धाम से मनाया जाता है। लेकिन जन्माष्टमी मनाने के पीछे कथा, परपंरा, महत्व और कई कारण जुड़े हैं, जिसके बारे में आपको जरूर जानना चाहिए। इस साल जन्माष्टमी का पर्व 18 अगस्त 2022 को मनाया जाएगा।

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श्रीकृष्ण जन्माष्टमी
मुख्य बातें
  • कृष्णा के जन्मोत्सव के रूप में मनाई जाती है जन्माष्टमी
  • भगवान विष्णु के आठवें अवतार हैं श्रीकृष्ण
  • श्रीकृष्ण ने किया मामा कंस का अंत

Krishna janmashtami 2022 Katha: हिंदू धर्म में श्रीकृष्ण को भगवान विष्णु का आठवां अवतार माना गया है। पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान कृष्ण का जन्म भाद्र मास की कृष्ण पक्ष के अष्टमी तिथि को मथुरा के कारागार में हुआ था। भगवान कृष्ण मथुरा के राजा कंस की बहन देवकी की आठवीं संतान थे। भगवान कृष्ण की जन्मदिन के उत्सव के रूप में हर साल भाद्र या भादो महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पावन त्योहार भक्त बड़े ही उत्साह से मनाते हैं सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि विदेशों में भी जन्माष्टमी का त्योहार बड़े ही धूम-धाम के साथ मनाया जाता है। इस साल जन्माष्टमी गुरुवार 18 अगस्त 2022 को मनाई जाएगी। जानते हैं आखिर क्यों मनाई जाती है कृष्ण जन्माष्टमी और क्या है इससे जुड़ी व्रत कथा।

क्यों मनाते हैं कृष्ण जन्माष्टमी पर्व?

जन्माष्टमी का त्योहार सदियों से बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार, मथुरा के राजा कंस के अत्याचारों से मथुरावासी त्रस्त हो गए थे। कंस के अत्याचारों का कहर ना सिर्फ मथुरा की जनता बल्कि उसके परिवार वाले भी भुगत रहे थे। मान्यता है कि एक भविष्यवाणी के कारण कंस ने अपनी बहन देवकी और बहनोई वसुदेव को कारागार में बंद कर दिया था। कंस के अत्याचारों से मुक्ति दिलाने के लिए भाद्र मास की अष्टमी तिथि को कंस की बहन देवकी की आठवीं संतान के रूप में भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था। तभी से प्रत्येक साल भाद्र मास की अष्टमी तिथि को भगवान श्री कृष्ण जन्माष्टमी त्योहार मनाया जाता है।

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जन्‍माष्‍टमी व्रत कथा

स्‍कंद पुराण के अनुसार, मथुरा में उग्रसेन नाम का एक प्रतापी राजा था। वह स्‍वभाव में सीधा-साधा था, जिस कारण उसके पुत्र कंस ने ही उनका राज्‍य हड़प लिया और स्‍वयं मथुरा का राजा बन गया। कंस की बहन थी देवकी। कंस अपनी बहन देवकी से बहुत प्रेम करता था। देवकी का विवाह वसुदेव के साथ हुआ। जब कंस बहन को छोड़ने के लिए जा रहे थे तभी रास्ते में एक आकाशवाणी हुई कि देवकी और वासुदेव की आठवीं संतान उसकी (कंस) मृत्यु का कारण बनेगी। भविष्यवाणी सुनते ही कंस ने देवकी और वसुदेव को मारना चाहा। लेकिन जैसे ही वह आगे बढ़ा तभी वसुदेव ने कहा कि वह देवकी को कोई नुकसान न पहुंचाए। वह स्‍वयं अपनी आठवीं संतान कंस को सौंप देगा। इसके बाद कंस ने वसुदेव और देवकी की हत्या तो नहीं की लेकिन दोनों को कारागार में डाल दिया।

कारागार में ही देवकी ने सात संतानों को जन्‍म दिया। कंस ने एक-एक कर सभी को मार दिया। जब देवकी आठवीं बार गर्भवती हुई तो कंस का भय और बढ़ गया। उसने कारागार पर पहरेदारी बढ़ा दी। देवकी ने भाद्रपद माह के कृष्‍ण पक्ष की अष्‍टमी की मध्य रात्रि को रोहिणी नक्षत्र में कृष्ण को जन्‍म दिया। भगवान विष्‍णु ने वसुदेव को दर्शन दिए और कहा कि वे स्‍वयं उनके पुत्र के रूप में जन्‍में हैं। उन्‍होंने वसुदेव से कहा कि वे उन्‍हें वृंदावन में अपने मित्र नंदबाबा के घर पर छोड़ आएं और यशोदा जी के गर्भ से जिस कन्‍या का जन्‍म हुआ है, उसे कारागार में ले आएं। वसुदेव ने ऐसा ही किया।

इधर कंस को जैसे ही देवकी के आठवें संतान के बारे में मालूम हआ तो वह कारागार पहुंचा। उसने देखा कि आठवीं संतान कन्‍या है। लेकिन कंस को मृत्यु का भय था इसलिए उसने कन्या को जमीन पर पटक दिया। नवजात कन्या जमीन से आसमान में पहुंचकर बोली- रे मूर्ख मुझे मारने से कुछ नहीं होगा। तेरा काल तो पहले से ही वृंदावन पहुंच चुका है और वह जल्‍दी ही तेरा अंत करेगा। फिर कंस ने वृंदावन में जन्‍में नवजातों का पता लगाया। कंस ने यशोदा के लाल जोकि कृष्ण थे। उसे भी मारने के कई प्रयास किए लेकिन कृष्ण का बाल भी बांका नहीं हुआ। कंस को यह अहसास हो गया कि यह बालक ही वसुदेव और देवकी की आठवीं संतान है, जो उसकी मृत्यु करेगा। कृष्‍ण ने युवावस्‍था में ही कंस का अंत किया।

कहा जाता है कि कृष्ण जन्माष्टमी व्रत के दिन जो व्यक्ति इस कथा पाठ करता है या सुनता है उसके समस्‍त पापों का नाश होता है।

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कृष्ण जन्माष्टमी का महत्व

कृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार काफी महत्व रखता है। भगवान कृष्ण की कृपादृष्टि के लिए भक्त इस दिन उपवास रखते हैं और मंदिरों में पूजा अर्चना करते हैं। भगवान कृष्ण का जन्म आधी रात को हुआ था इसलिए कृष्ण जन्माष्टमी के समय मध्य रात्रि में मंदिरों में विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है और रात्रि जागरण भी किया जाता है।

(डिस्क्लेमर: यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)

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