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Vat Savitri 2022: पहली बार वट सावित्री का व्रत रख रहीं महिलाएं ध्यान रखें ये बातें, न करें ऐसी गलती

Updated May 15, 2022 | 15:29 IST

Vat Savitri Vrat 2022 For Women: वट सावित्री व्रत का विशेष महत्व होता है। इस दिन महिला अपने पति की लंबी उम्र के लिए यह व्रत रखती हैं। वहीं अगर जो महिलाएं पहली बार यह व्रत रखना चाहती है तो इस साल यह व्रत रख सकती हैं।

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तस्वीर साभार:&nbspInstagram
Vat Savitri vrat
मुख्य बातें
  • वट सावित्री के दिन सुहागन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए विधि विधान से पूजा करती हैं
  • इस दिन बरगद के वृक्ष का बहुत महत्व होता है और बरगद के वृक्ष की ही पूजा की जाती है
  • ऐसी मान्यता है कि बरगद के वृक्ष में ब्रह्मा, विष्णु और महेश मौजूद होते हैं

Vat Savitri vrat 2022 Puja Vidhi: वट सावित्री का व्रत जेष्ठ मास के अमावस्या तिथि के दिन रखा जाता है। पंचांग के अनुसार, इस साल वटसावित्री 30 मई दिन सोमवार को पड़ रही है। वट सावित्री के दिन सुहागन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए भगवान विष्णु महालक्ष्मी और वट यानी बरगद के वृक्ष की विधि विधान से पूजा करती हैं। इसके साथ ही बरगद के पेड़ की चारों तरफ 108, 11 या 21 बार परिक्रमा करके अपनी पति की लंबी आयु की प्रार्थना करती हैं। हिंदू धर्म में मान्यता है कि जिस तरह सावित्री ने अपने पति सत्यवान के प्राण को यमराज के हाथों से छीन कर लाई थी, उसी तरह इस व्रत को करने से पति के ऊपर आने वाली हर परेशानियां दूर हो जाती है।

इस दिन बरगद के वृक्ष का बहुत महत्व होता है और बरगद के वृक्ष की ही पूजा की जाती है। ऐसी मान्यता है कि बरगद के वृक्ष में ब्रह्मा, विष्णु और महेश मौजूद होते हैं। इस व्रत को बड़े ही विधि विधान के साथ करना चाहिए। व्रत को करने के दौरान कुछ बातों का विशेष ध्यान देना चाहिए खासकर उन महिलाओं को जो पहली बार वट सावित्री का व्रत रख रही हैं। जबकि कुछ कामों को करने से बचना चाहिए। आइए जानते हैं पूजा करते वक्त किन बातों का ध्यान रखना जरूरी है..

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मायके से शुरू करना चाहिए पहला व्रत

जिन महिलाओं का इस साल विवाह हुआ है और वह व्रत रखना चाहती हैं। वह व्रत को इस साल से प्रारंभ कर सकती हैं। वह जो महिलाएं पहली बार व्रत रख रही हो या कोई भी व्रत की पहली बार शुरुआत कर रही हो तो उनको यह व्रत अपने मायके से शुरू करना चाहिए। ससुराल से व्रत को शुरू नहीं करना चाहिए।

मायके से आये सामग्री से ही करें पूजा

पहली बार व्रत रख रही महिलाओं को व्रत में उपयोग होने वाली सामग्री मायके की ही चाहिए। कपड़े से लेकर सुहाग का सारा सामान मायके से ही आना चाहिए। ससुराल का नहीं होना चाहिए। यह समान मायके की तरफ से भाई, मां या पिता कोई भी ला सकता है। उसी सारी सामग्री से विधिवत पूजन करना चाहिए।

तेल का दीपक बाईं तरफ रखें

इसके अलावा पूजा करते वक्त दीपक जलाएं तो उसे कहीं भी रखने के बजाए सही जगह पर रखना जरूरी है। अगर दीपक तेल का है तो उसे बाईं तरफ और अगर दीपक घी का है तो उसे दाईं तरफ रखें। बाकी के पूजन सामग्री को बाईं तरफ ही रखें। पूजा स्थल पर जितने लोग मौजूद हैं वह सामने भगवान की तरफ मुंह करके बैठें। भूलकर भी पीठ दिखाते हुए न बैठें।

मासिक धर्म में ऐसे करें पूजा

वहीं अगर आप पहले से ही वट सावित्री का व्रत करती हैं और वट सावित्री व्रत के दिन ही अगर आपको मासिक धर्म हो गया है तो उस दिन आप बाल धोकर नहा लें और पूजा-पाठ की कोई भी सामग्री ना छूएं। वहीं आप अपने बदले में किसी और महिला से पूजा करवा लें और वट सावित्री की कथा कहीं दूर बैठकर सुन लें।

(डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।) 

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