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Yogini Ekadashi Vrat Katha: योगिनी एकादशी पर इस कथा के पाठ से नाश होंगे समस्त पाप, जानें इसकी पौराणिक कहानी

Updated Jun 24, 2022 | 07:29 IST

Yogini Ekadashi 2022 Vrat Katha in Hindi: हिंदू पंचांग के अनुसार योगिनी एकादशी का व्रत हर साल आषाढ़ माह की कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को रखा जाता है। यह व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है। पढ़ें योगिनी एकादशी की व्रत कथा हिंदी में।

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योगिनी एकादशी की व्रत कथा हिंदी में
मुख्य बातें
  • भगवान विष्णु को समर्पित है योगिनी एकादशी का व्रत
  • मान्यता है कि योगिनी एकादशी का व्रत करने से समस्त पापों का होता है नाश
  • यहां पढ़ें योगिनी एकादशी व्रत की कथा

Yogini Ekadashi 2022 Vrat Katha in Hindi: हिंदू धर्म में योगिनी एकादशी का बहुत खास महत्व है। ऐसी मान्यता है, कि इस व्रत को करने से जीवन में किए गए समस्त पापों का नाश हो जाता है और हमेशा सुख समृद्धि बनी रहती हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार योगिनी एकादशी का व्रत हर साल आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को रखा जाता है। 

यह व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है। धर्म के अनुसार योगिनी एकादशी व्रत में कथा जरूर पढ़नी चाहिए। मान्यताओं के अनुसार व्रत में कथा को पढ़ने से संपूर्ण फल की प्राप्ति होती है। यदि आप भी भगवान विष्णु की असीम कृपा और समस्त पापों का नाश करने के लिए योगिनी एकादशी का व्रत रखने की सोच रहे हैं, तो यहां आप इसकी कथा हिंदी में देखकर पढ़ सकते है।

योगिनी एकादशी व्रत कथा: पढ़ें योगिनी एकादशी की पौराणिक कहानी

पौराणिक कथा के अनुसार स्वर्ग लोक में अलकापुरी नगरी में एक कुबेर नाम का राजा रहता था। वह भोलेनाथ का बहुत बड़ा भक्त था। वह भोलेनाथ की रोजाना श्रद्धा पूर्वक पूजा करता था। कुबेर की पूजा में हिना नाम का एक माली उसे फूल दिया करता था। एक दिन की बात है। माली अपनी सुंदर पत्नी विशालाक्षी के साथ हास्य-विनोद और रमण करने में मग्न हो गया जिसकी वजह से वह राजा को फूल नहीं दे पाया।

दोपहर तक माली का इंतजार करने के बाद राजा ने अपने सैनिकों को माली के न आने का कारण पता लगाने को कहा। जब राजा के सैनिक ने माली के न आने की वजह बताई, तो राजा आग बबूला हो गया और उसने माली को बुलाया।

 माली के आने पर राजा ने कहा तुमने मेरे पूजनीय भगवान शिव का अनादर किया है। इसलिए मैं तुम्हें श्राप देता हूं, कि तुम्हें स्त्री का वियोग सहना पड़ेगा और मृत्युलोक में जाकर तू कोढ़ी हो जाएगा। राजा के ऐसा कहने पर माली स्वर्ग से पृथ्वी पर आ गया और वह कोढ़ी का जीवन व्यतित करने लगा।

 माली की पत्नी हेम माली भी भिखारिन की तरह जीवन व्यतीत करने लगीं। माली को भी अपनी पत्नी की याद सतानें लगीं। लेकिन  श्राप की वजह से वह अपने दूख को कम नहीं कर पाया। एक दिन की बात हैं। मालिक घूमते-घूमते मार्कंडेय ऋषि के आश्रम में आ गया। ऋषि ने माली की ऐसी दुर्दशा देखकर उससे ऐसा होने का कारण पूछा।

तब माली ने ऋषि को सारी बात बताईं। पूरी बात सुननें के बाद ऋषि मार्कंडेय ने हेम माली को योगिनी एकादशी व्रत करने को कहा। तब उसने ऋषि की आज्ञा से विधि-विधान से आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को योगिनी एकादशी का व्रत रखा। व्रत के प्रभाव से माली श्राप से मुक्त होकर पुनः स्वर्ग लोक जाकर अपनी पत्नी के साथ सुखी जीवन व्यतीत करने लगा और उसका कोढ़ भी हमेशा के लिए खत्म हो गया। 

(डिस्क्लेमर: इस आर्टिकल में दी गई सूचनाएं सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित हैं। Times Now Navbharat इनकी पुष्टि नहीं करता है। )

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