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Tulsi vivah Aarti: तुलसी विवाह के बाद करें मां तुलसी की आरती, मिलेगा सौभाग्य का वरदान

Updated Nov 09, 2019 | 07:30 IST | टाइम्स नाउ डिजिटल

कार्तिक मास (Kartik Maas) में पूरे माह शाम के समय तुलसी (Tulsi) जी के समक्ष दीप जलाना ( Burrning Deep) और आरती (Aarti) जरूर करना चाहिए। ऐसा करने से घर में सुख-समृद्धि का वास होता है।

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Tulsi Aarti
मुख्य बातें
  • कार्तिक मास मां तुलसी की आरती जरूर करें
  • तुलसी विवाह के बाद आरती से मिलता है सौभाग्य
  • तुलसी पूजा से घर में आती है सुख-समृद्धि

देव उठनी एकादशी के दिन मां तुलसी का विवाह भी होता है। इस दिन मां तुलसी और शालीग्राम जी का विवाह होता है। तुलसी विवाह में सुहाग की सामग्री के साथ मां को लाल चुनरी चढ़ाई जाती है। मां तुलसी का विवाह करने वाली सुहागिनों को अखंड सौभाग्य का वरदान मिलता है। इस दिन विधिवत विवाह और पूजन के बाद मां तुलसी की आरती जरूर करनी चाहिए। कहते हैं तुलसी आरती करने भर से घर में सुख-समृद्धि का वास होता है। हिंदू धर्म में तुलसी का पौधा पूजनीय माना गया है। 

कहते हैं जहां तुलसी होती हैं वहां सुख-समृद्धि का वास होता है और बीमारियां दूर रहती हैं। तुलसी की पूजा और जल चढ़ने के साथ उनकी आरती भी रोज जरूर करनी चाहिए। कार्तिक मास में ऐसा करने से ये पुण्य और बढ़ जाता है।

कन्यादान इतना मिलता है पुण्य
तुलसी विवाह करने वालों को कन्यादान जितना मिलता है पुण्य। हिंदू धर्म में कन्यादान को सबसे बड़ा दान माना गया है। इसलिए इस दिन महिला और पुरुष दोनों को ही तुलसी विवाह करना चाहिए।

भगवान विष्णु के अवतार हैं शालिग्राम
शालिग्राम को भगवान विष्णु का स्वरूप माना जाता है। भगवान विष्णु ने जब जलंधर असुर को छल से मारा था तो असुर की पत्नी वृंदा ने अग्निकुंड में खुद को भस्म कर लिया था और तब इस भस्म से भगवान विष्णु ने तुलसी बनाई थीं और शालिग्राम के इस रूप में तुलसी से विवाह किया था।

मां तुलसी को जल अर्पित करते हुए इस मंत्र को पढ़ें

"महाप्रसाद जननी सर्व सौभाग्यवर्धिनी , 
आधि व्याधि हरा नित्यं तुलसी त्वं नमोस्तुते।।"
मां तुलसी की आरती करें

जय जय तुलसी माता, मैया जय तुलसी माता । 
सब जग की सुख दाता, सबकी वर माता ॥ 
॥ जय तुलसी माता...॥ 

सब योगों से ऊपर, सब रोगों से ऊपर । 
रज से रक्ष करके, सबकी भव त्राता ॥ 
॥ जय तुलसी माता...॥ 

बटु पुत्री है श्यामा, सूर बल्ली है ग्राम्या ।
 विष्णुप्रिय जो नर तुमको सेवे, सो नर तर जाता ॥ 
॥ जय तुलसी माता...॥ 

हरि के शीश विराजत, त्रिभुवन से हो वंदित ।
पतित जनों की तारिणी, तुम हो विख्याता ॥ 
॥ जय तुलसी माता...॥ 

लेकर जन्म विजन में, आई दिव्य भवन में । 
मानव लोक तुम्हीं से, सुख-संपति पाता ॥ 
॥ जय तुलसी माता...॥ 

हरि को तुम अति प्यारी, श्याम वर्ण सुकुमारी । 
प्रेम अजब है उनका, तुमसे कैसा नाता ॥ 
हमारी विपद हरो तुम, कृपा करो माता ॥
॥ जय तुलसी माता...॥ 

जय जय तुलसी माता, 
मैया जय तुलसी माता । 
सब जग की सुख दाता, 
सबकी वर माता ॥

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