Ahoi Ashtami 2021: अहोई अष्टमी का व्रत संतान की सुरक्षा और लंबी आयु के लिए रखा जाता है। इस दिन मांए देवी पार्वती की आराधना कर संतान की रक्षा के लिए प्रार्थना करती हैं। माना जाता है कि इस व्रत को करने से देवी पार्वती गणपति और कार्तिकेय के समान उनकी संतान की भी रक्षा करती हैं। माता अहोई देवी पार्वती का स्वरूप मानी गई हैं। साथ ही जिन महिलाओं की गोद खाली होती है वह भी इस व्रत को करती हैं, ताकि उन्हें भी संतान की प्राप्ति हो सके।
माताएं अपनी संतान के लिए यह व्रत करती हैं, इसलिए जिवितपुत्रिका की तरह ही इस व्रत का भी बहुत महत्व माना गया है। इस दिन विधि-विधान के साथ अहोई माता की पूजा-अर्चना कर संतान के सुख की प्रार्थना की जाती है। अहोई अष्टमी का व्रत रखने से संतान के सभी संकट दूर होते हैं।
अहोई अष्टमी के दिन सूर्योदय से पूर्व स्नान कर देवी का स्मरण कर व्रत का संकल्प लिया जाता है। इसके बाद अहोई माता की पूजा के लिए दीवार या कागज पर गेरू से अहोई माता और उनके सात पुत्रों का चित्र बनाया जाता है। शाम के समय पूजन के लिए अहोई माता के चित्र के सामने एक चौकी रखकर उस पर जल से भरा कलश रख दें और माता को रोली व चावल अर्पित कर उनका सोलह श्रृंगार करें। इसके बाद मीठे पुए या आटे का हल्वे का प्रसाद चढ़ाएं। कलश पर स्वास्तिक बना कर हाथ में गेंहू के सात दाने लेकर अहोई माता की कथा सुनें।
अहोई अष्टमी (Ahoi Ashtami) के व्रत के दिन महिलाओं को मिट्टी से जुड़ा कोई काम नहीं करना चाहिए, इसके अलावा भूलकर भी खुरपी का इस्तेमाल नहीं करें। अहोई अष्टमी के दिन ऐसा करना अशुभ होता है।