आज पूरे भारत में दशहरा यानी विजयदशमी का पर्व धूमधाम से और श्रद्धा-भाव के साथ मनाया जा रहा है। आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि पर मां दुर्गा ने महिषासुर नामक राक्षस का संहार किया था। इसी दिन भगवान श्रीराम ने लंकापति रावण का वध किया था। दशहरा या विजयदशमी का पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना गया है। आज ही के दिन नवरात्रि व्रत का पारण किया जाता है तथा दुर्गा विसर्जन किया जाता है। भारत के विभिन्न प्रांतों में दशहरा का पर्व लोक परंपराओं के साथ मनाया जाता है। दशहरा या विजयदशमी पर भारत के कई प्रांतों में अस्त्र-शास्त्र की पूजा, शमी वृक्ष पूजन और सूर्यदेव को अर्घ्य अर्पित किया जाता है।
दशहरा पर विधिपूर्वक सूर्यदेव को अर्घ्य अर्पित करना लाभदायक माना गया है। इस दिन सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित करने से भक्तों को कई लाभ प्राप्त होते हैं। हिंदू मान्यताओं के अनुसार, यह उपाय करने से साहस में वृद्धि होती है इसके साथ शत्रुओं का विनाश होता है।
राजधानी दिल्ली और देश के अन्य हिस्सों में हर जगह धूमधाम से विजय दशमी का पर्व मनाया गया। कई जगहों पर रामलीला का आयोजन भी किया गया है। जगह जगह पर रावण दहन भी किया गया, अलग अलग तरह के रावण को बनाकर लोगों ने जलाया, वहीं पटना में तो लोगों ने कोरोना के रावण का पुतला भी जलाया।