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Jitiya Vrat 2022 Date, Puja Vidhi, Muhurat: जीवित्पुत्रिका व्रत की ऐसे हुई शुरुआत, जानें पूजा मंत्र-विधि और कथा

Updated Sep 19, 2022 | 02:38 PM IST

Jivitputrika, Jitiya Vrat 2022 Date Kab Hai, Puja Vidhi, Shubh Muhurat, Time, Samagri, Mantra: हिंदू पंचांग के अनुसार, आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर जीवित्पुत्रिका व्रत रखा जाता है। इस दिन माताएं संतान के सुखी जीवन और दीर्घायु के लिए व्रत रखती हैं। यहां जानें इस वर्ष जितिया व्रत कब रखा जा रहा है।

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Jitiya Vrat 2022 Date And Time

Jivitputrika, Jitiya Vrat 2022 Date, Puja Vidhi, Shubh Muhurat, Samagri List: हर वर्ष आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर जितिया व्रत रखा जाता है। यह व्रत हिंदू धर्म में बहुत विशेष माना गया है। जीवित्पुत्रिका का व्रत माताएं अपनी संतान की दीर्घायु और सुखी जीवन के लिए रखती हैं। माना जाता है कि संतान प्राप्ति के लिए भी जिउतिया का व्रत रखना लाभदायक है। 

हर साल जीवित्पुत्रिका का व्रत नहाए-खाय से प्रारंभ होता है और पारण पर समाप्त हो जाता है। इस वर्ष जीवित्पुत्रिका व्रत के लिए नहाए-खाय की तिथि विश्वकर्मा पूजा के दिन पड़ रही है। जीवित्पुत्रिका या जितिया या जिउतिया व्रत वर्ष के कुछ सबसे कठिन व्रतों में से एक है। इस दिन माताएं अपने संतान की लंबी उम्र के लिए निर्जला व्रत रखती हैं और पारण तिथि पर ही अपना व्रत तोड़ती है।

पढ़ें- Jitiya Vrat Katha 2022

पढ़ें- Jitiya Vrat 2022 Date, Puja Timings

इस वर्ष रक्षाबंधन और जन्माष्टमी तिथि की तरह जितिया व्रत की तिथि को लेकर भी संशय की स्थिति बनी हुई है। ऐसे में आप इस लाइव ब्लॉग के माध्यम से जिउतिया व्रत की सही तिथि जान सकते हैं। इसके साथ यहां जीवित्पुत्रिका व्रत के लिए पूजा का मुहूर्त, व्रत विधि, शुभ मुहूर्त, कथा, आरती, व्रत व उपाय समेत अन्य महत्वपूर्ण जानकारी देखें।

Sep 19, 2022  |  02:38 PM (IST)
Jitiya Vrat 2022: वर्ष 2022 में जितिया व्रत कब है?

भारत के विभिन्न प्रदेशों में जितिया या जीवित्पुत्रिका के व्रत को जिउतिया और जीमूतवाहन व्रत भी कहा जाता है। इस वर्ष 17 सितंबर यानी आज नहाए-खाय की तिथि के बाद 18 सितंबर को निर्जला व्रत और 19 सितंबर को व्रत का पारण है। 

Sep 19, 2022  |  02:10 PM (IST)
जितिया व्रत 2022 की बहुत-बहुत बधाई!

बच्चों के लिए भी सेहत का वरदान लाए।
आपको और आपके पूरे परिवार को
जितिया पर्व की बहुत बधाई।

मनचाही मुराद पूरी हो आपकी
संतान को मिले लंबी उम्र
सुख, सौभाग्य और संतति दें,
हरे लें सारे दुख और क्लेश।
जितिया व्रत 2022 की बहुत-बहुत बधाई!

Sep 19, 2022  |  01:27 PM (IST)
Happy Jitiya 2022: मुबारक हो आपको जितिया का त्यौहार

Sep 19, 2022  |  01:05 PM (IST)
जितिया शुभ योग

जीवित्पुत्रिका व्रत आश्विन मास में कृष्ण पक्ष की सप्तमी से नवमी तक चलता है। इस बार जीवित्पुत्रिका व्रत के दिन सिद्धि योग बन रहा है जो इस व्रत के महत्व में वृद्धि करेगा।

Sep 19, 2022  |  12:25 PM (IST)
जीवित्पुत्रिका व्रत की ऐसे हुई शुरुआत

महाभारत के युद्ध के समय अपने पिता की मृत्यु के बाद अश्वत्थामा बेहद नाराज हुए। इसी गुस्से में वह पांडवों के शिविर में घुस गए. शिविर के अंदर उस वक्त 5 लोग सो रहे थे। अश्वत्थामा को लगा कि, वो लोग पांडव हैं और अपने पिता की मृत्यु का बदला लेने के लिए उन्होंने उन पांचों को मार डाला।

हालांकि असल में वह द्रौपदी की पांच संताने थीं। इस बात की खबर जब अर्जुन को मिली तो उन्होंने अश्वत्थामा को बंदी बनाकर उनकी दिव्यमणि छीन ली, अब अश्वत्थामा के गुस्से की आग और बढ़ चली और उन्होंने बदला लेने के लिए अभिमन्यु की पत्नी उत्तरा के गर्भ में पल रहे बच्चे को उसके गर्भ में ही नष्ट कर दिया।

लेकिन भगवान कृष्ण ने अपने सभी पुण्य का फल उत्तरा की उस अजन्मी संतान को देकर उसे फिर से जीवित कर दिया मर कर पुनः जीवित होने की वजह से उस बच्चे का नाम जीवित्पुत्रिका रखा गया। उसी समय से बच्चों की लंबी उम्र के लिए और मंगल कामना करते हुए जितिया का व्रत रखे जाने की परंपरा की शुरुआत हुई।

Sep 19, 2022  |  11:15 AM (IST)
जितिया व्रत पूजा सामग्री

इस व्रत में भगवान जीमूत वाहन, गाय के गोबर से चील-सियारिन की पूजा का विधान है। जीवित्पुत्रिका व्रत में खड़े अक्षत(चावल), पेड़ा, दूर्वा की माला, पान, लौंग, इलायची, पूजा की सुपारी, श्रृंगार का सामान, सिंदूर, पुष्प, गांठ का धागा, कुशा से बनी जीमूत वाहन की मूर्ति, धूप, दीप, मिठाई, फल, बांस के पत्ते, सरसों का तेल, खली, गाय का गोबर पूजा में जरूरी है।

Sep 19, 2022  |  10:38 AM (IST)
जितिया व्रत 2022: बीच में नहीं छोड़ना चाहिए व्रत

मान्यता के अनुसार जितिया व्रत बीच में नहीं छोड़ना चाहिए। एक बार उपवास रखने पर हर वर्ष व्रत रखना अनिवार्य होता है। खाने में लहसुन, प्याज, मांसाहार का प्रयोग वर्जित होता है और इसमें जल की एक बूंद भी ग्रहण न करें। व्रत के सभी नियमों का पालन करना चाहिए।

Sep 19, 2022  |  10:10 AM (IST)
Jitiya Vrat 2022: पारण के बाद करें दान

स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें और इसके बाद भगवान जीमूतवाहन की पूजा करें। इसके लिए कुशा से बनी जीमूतवाहन की प्रतिमा को धूप-दीप, चावल, पुष्प आदि अर्पित करें। इस व्रत में मिट्टी और गाय के गोबर से चील व सियारिन की मूर्ति बनाई जाती है। पूजा समाप्त होने के बाद जीवित्पुत्रिका व्रत की कथा सुनी जाती है। पारण के बाद यथाशक्ति दान और दक्षिणा दें।

Sep 19, 2022  |  09:36 AM (IST)
Jitiya Vrat 2022: जितिया व्रत का महत्व

हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार जीवित्पुत्रिका व्रत का संबंध महाभारत काल से माना जाता है। महाभारत युद्ध में जब द्रोणाचार्य का वध कर दिया गया तो उनके पुत्र आश्वत्थामा ने क्रोध में आकर ब्राह्रास्त्र चल दिया जो कि अभिमन्यु की पत्नी उत्तरा के गर्भ में पल रहा शिशु नष्ट हो गया। तब भगवान कृष्ण ने इसे पुनः जीवित किया। इस कारण इसका नाम जीवित्पुत्रिका रखा गया। मान्यता है कि इस व्रत से संतान की प्राप्ति होती है और उनके सुख समृद्धि में वृद्धि होती है।

Sep 19, 2022  |  09:11 AM (IST)
इन राज्यों में मुख्य रुप से रखा जाता है व्रत

जीवित्पुत्रिका व्रत बिहार, उत्तर प्रदेष, बंगाल और झारखंड राज्य में मुख्य रूप से रखा जाता है। इस व्रत में महिलाएं निर्जला व्रत रखकर संतान की सलामती की कामना करती हैं।

Sep 19, 2022  |  08:16 AM (IST)
Jitiya Vrat Shubh Muhurat: जितिया व्रत तिथि और मुहूर्त

उदयातिथि के अनुसार जीवित्पुत्रिका व्रत 18 सितंबर 2022 को रखा गया। इस व्रत का पारण 19 सितंबर 2022 को किया जा रहा है। जितिया व्रत (18 सितंबर) के दिन सिद्धि योग सुबह 06:34 तक था। इसके बाद अभिजीत मुहूर्त- सुबह 11:51 से दोपहर 12:40 तक, लाभ व अमृत मुहूर्त- सुबह 9:11 से दोपहर 12:15 तक, उत्तम मुहूर्त- दोपहर 1:47 से 3:19 तक रहा।

Sep 19, 2022  |  07:40 AM (IST)
Jitiya Vrat Puja Mantra: पूजा मंत्र

कर्पूरगौरं करुणावतारं संसारसारं भुजगेन्द्रहारम्।

सदा बसन्तं हृदयारविन्दे भवं भवानीसहितं नमामि।।

Sep 19, 2022  |  07:06 AM (IST)
Jitiya Vrat Aarti: जितिया व्रत की आरती के लिरिक्स

ओम जय कश्यप नन्दन, प्रभु जय अदिति नन्दन।
त्रिभुवन तिमिर निकंदन, भक्त हृदय चन्दन॥
           ओम जय कश्यप..

सप्त अश्वरथ राजित, एक चक्रधारी।
दु:खहारी, सुखकारी, मानस मलहारी॥  
          ओम जय कश्यप..

सुर मुनि भूसुर वन्दित, विमल विभवशाली।
अघ-दल-दलन दिवाकर, दिव्य किरण माली॥
            ओम जय कश्यप..

सकल सुकर्म प्रसविता, सविता शुभकारी।
विश्व विलोचन मोचन, भव-बंधन भारी॥
         ओम जय कश्यप..

कमल समूह विकासक, नाशक त्रय तापा।
सेवत सहज हरत अति, मनसिज संतापा॥
           ओम जय कश्यप..

नेत्र व्याधि हर सुरवर, भू-पीड़ा हारी।
वृष्टि विमोचन संतत, परहित व्रतधारी॥
         ओम जय कश्यप..

सूर्यदेव करुणाकर, अब करुणा कीजै।
हर अज्ञान मोह सब, तत्वज्ञान दीजै॥
ओम जय कश्यप…

Sep 19, 2022  |  06:33 AM (IST)
Jivitputrika Vrat Katha: जितिया व्रत की पौराणिक कथा

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जितिया व्रत का संबंध महाभारत काल से जुड़ा हुआ है। पौराणिक कथा के अनुसार जब युद्ध में अश्वत्थामा के पिता की मृत्यु हो गई तो वह बहुत क्रोधित हो गया। पिता की मृत्यु का बदला लेने के लिए वह पांडवों के शिविर गया और उसने वहां जाकर 5 निर्दोष लोगों की हत्या कर दी। उसे लगा कि वह 5 लोग पांडव थे। 
लेकिन उसकी इस गलतफहमी की वजह से पांडव जिंदा बच गए। जब पांडव अश्वत्थामा के सामने आए तो उसे पता चला कि उसने पांडवों की जगह द्रोपदी के पांच पुत्रों की हत्या कर दी है। अर्जुन को जब इस बात का पता चला तो वह बहुत क्रोधित हुए और उन्होंने अश्वत्थामा को बंदी बनाकर उससे दिव्य मणि छीन ली।
इस बात का बदला लेने के लिए अश्वत्थामा ने अभिमन्यु की पत्नी उत्‍तरा के गर्भ में पल रही संतान को मारने की योजना बनाई। उसने गर्भ में पल रहे बच्चे को मारने के लिए ब्रह्मास्त्र चलाया, जिसकी वजह से उत्‍तरा का गर्भ नष्ट हो गया। लेकिन उस बच्चे का जन्म लेना आवश्यक था इसलिए भगवान श्री कृष्ण ने उत्‍तरा के मरे हुए संतान को गर्भ में फिर से जीवित कर दिया।
उत्‍तरा का संतान गर्भ में मर कर जीवित हुआ था, इसलिए इस व्रत का नाम जीवित्पुत्रिका पड़ा। तभी से सभी माताएं अपनी संतान की लंबी आयु के लिए इस व्रत को पूरी श्रद्धा से करने लगी। तभी से यह व्रत संसार में विख्यात हो गया।

Sep 19, 2022  |  06:18 AM (IST)
व्रत से हर मुराद होती है पूरी

जितिया व्रत को जीवित्पुत्रिका व्रत भी कहा जाता है। ऐसा कहा जाता है, कि इस व्रत को करने से मन की हर मुराद पूरी करती हैं। यह व्रत खासकर बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और नेपाल जैसे राज्यों में मनाया जाता हैं।

Sep 19, 2022  |  12:07 AM (IST)
महिलाएं करती हैं जितिया लॉकेट धारण

जीवित्पुत्रिका व्रत के पारण के बाद महिलाएं लाल रंग का धागा अपने गले में पहनती हैं। व्रती महिलाएं जितिया का लॉकेट भी धारण करती हैं। पूजा हो जाने के बाद तेल बच्चों के सिर पर आशीर्वाद के तौर पर लगाने की परंपरा है।
 

Sep 18, 2022  |  11:24 PM (IST)
स्नान के बाद ही करें पारण

जितिया व्रत के पारण के दिन प्रातः काल स्नानादि कर लेना चाहिए। स्नान करने के बाद उन्हें विधि पूर्वक पूजा करने के बाद ही व्रत पारण करना चाहिए।
 

Chandrayaan 3