Krishna Janmashtami 2022 Puja Vidhi, Shubh Muhurat, Vrat katha, Samagri, Mantra, Aarti LIVE Updates: 19 अगस्त यानी शुक्रवार को भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि जारी रहेगी। ये 18 तारीख की शाम से शुरू हो चुकी है। पंचांग के अनुसार, आज जन्माष्टमी का त्योहार पूरी धूमधाम के साथ देशभर में मनाया जा रहा है। हालांकि तिथियों के हेर फेर की वजह से कुछ जगहों पर इसे 18 अगस्त को ही मना लिया गया। यहां हम आपको बता रहे हैं कि जन्माष्टमी 2022 पर क्या शुभ योग हैं, कब करें पूजन, क्या है पूजा विधि, कान्हा को क्या लगाएं भोग और जन्माष्टमी की व्रत कथा, आरती और मंत्र।
Krishna Janmashtami 2022 Puja Vidhi, Muhurat, Live Darshan: Watch here
हिंदू धर्मा शास्त्रों के अनुसार, जन्माष्टमी पर श्री कृष्ण की पूजा नीशीथ काल में की जाती है। आज जन्माष्टमी पर पूजा के लिए मध्य रात्रि 12:03 से मध्य रात्रि 12:47 तक का समय रहेगा। आप अपने शहर के अनुसार भी पूजा का समय इस लाइव ब्लॉग में देख सकते हैं।
Janmashtami 2022 Krishna Ji Ki Aarti
मध्याह्न रात को अपने स्नान करने के पानी में काला तिल मिला लें। स्नान करने के बाद मां देवकी के लिए प्रसूति-गृह का निर्माण करें फिर पूजा घर में श्री कृष्ण को गंगा जल से स्नान कराएं। इसके बाद दूध, दही, शक्कर, घी, शहद और केसर के पंचामृत से स्नान कराएं। अंत में जल से स्नान करवाने के बाद उनके चित्र या प्रतिमा की स्थापना करें। फिर नीशीथ काल नें उन्हे भोग लगाते हुए पूजा करें और आरती जरूर करें।
जन्माष्टमी की पूजा के लिए पहले से ही पूजा सामग्रियों को एकत्रित कर लें। कान्हा के लिए झूला या पालना, भगवान कृष्ण की मूर्ति या प्रतिमा, बांसुरी, नए वस्त्र, आभूषण (मुकुट, कुंडल, पाजेब और माला जैसी चीजें), तुलसी के पत्ते, चंदन, अक्षत, मक्खन, केसर, कलश, हल्दी, छोटी इलायची, पान, सुपारी, सिक्के या रुपए, सफेद कपड़ा, लाल कपड़ा, नायिरल, कुमकुम, लौंग, मौली, इत्र, सिंहासन, गंगाजन, दीया, सरसों का तेल या घी, रुई की बत्ती, अगरबत्ती, धूपबत्ती, फल (खीरा, सेब, मीठा, नींबू, नाशपाती, अमरूद), कपूर व इत्यादि।
जन्माष्टमी के दिन लोग फलहार व्रत रखते हैं। व्रत का पारण शुभ मुहूर्त में ही किया जाना चाहिए।
व्रत पारण समय- 19 अगस्त, रात 10 बजकर 59 मिनट के बाद
व्रत पारण समय - 20 अगस्त को प्रातः 05:45 बजे के बाद
भगवान श्री कृष्ण की मूर्ति के आगे तिल जौ लेकर आवाहन करना चाहिए। श्री कृष्ण का आवाहन मंत्र है-
अनादिमाद्यं पुरुषोत्तमोत्तमं श्रीकृष्णचन्द्रं निजभक्तवत्सलम्।
स्वयं त्वसंख्याण्डपतिं परात्परं राधापतिं त्वां शरणं व्रजाम्यहम्।।