- बगलामुखी देवी के मंदिर हिमाचल पहुंचे थे शिल्पा शेट्टी और राजकुंद्रा
- मनोकामना पूर्ति के लिए माना जाता है बेहद सिद्ध स्थान
- जानिए कांगड़ा, हिमाचल प्रदेश स्थित मां बगलामुखी देवी मंदिर का महत्व
Maa Baglamukhi Devi Mandir: मां बगलामुखी का हिंदू पौराणिक कथाओं में दस महाविद्याओं में आठवां स्थान है। मां की उत्पत्ति ब्रह्मा की आराधना करने के बाद हुई थी। ऐसी मान्यता है कि सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा का ग्रंथ एक राक्षस ने चुरा लिया और पाताल में छिप गया। उसे वरदान प्राप्त था कि पानी में मानव और देवता उसे नहीं मार सकते। ऐसे में ब्रह्मा ने मां भगवती का जाप किया। इससे बगलामुखी की उत्पत्ति हुई। मां ने बगुला का रूप धारण कर उस राक्षस का वध किया और बह्मा को उनका ग्रंथ लौटाया।
हाल ही में यह मंदिर तब चर्चा में आया जब बॉलीवुड एक्ट्रेस शिल्पा शेट्टी पति राज कुंद्रा के अश्लील कंटेंट से जुड़े कानूनी केस के बीच उनके साथ हिमाचल प्रदेश स्थित मां बगलामुखी मंदिर में पूजा करने पहुंचीं। शिल्पा शेट्टी और राज कुंद्रा की वीडियोज सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं जिसमें दोनों को हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा में स्थित मशहूर बगलामुखी मंदिर (Baglamukhi Mandir Himachal Pradesh) में मत्था टेकते नजर आए।
सिर्फ इतना ही नहीं दोनों ने यहां रात के समय हवन पूजन भी किया। कथित तौर पर पोर्नोग्राफी कंटेंट केस में राहत को लेकर शिल्पा शेट्टी और राज कुंद्रा ने यह पूजा करवाई है।
बगलामुखी मंदिर का महत्व: कांगड़ा जिले से लगभग 30 किमी दूर, बगलामुखी मंदिर ज्वाला जी और चिंतपूर्णी देवी मंदिर दोनों के पास एक सिद्ध पीठ है। यह बगलामुखी मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है जो 10 महाविद्याओं में से एक हैं और यह देवी सभी बुराइयों का नाश करने वाली मानी जाती हैं। पीला रंग बगलामुखी देवी का सबसे प्रिय रंग है इसलिए मंदिर को पीले रंग में रंगा गया है।
भक्त यहां पीले रंग की पोशाक पहनते हैं और पीले रंग की मिठाइयां (जैसे-बेसन के लड्डू) देवी को अर्पित की जाती हैं। लोग कानूनी मामलो से जुड़े संघर्षों में जीत के लिए, अपने दुश्मन को हराने के लिए, व्यापार में समृद्ध होने और अपने प्रेमी का दिल जीतने के लिए देवी के पास पहुंचकर बगलामुखी मंदिर में मन्नत मांगते हैं।
रावण ने भी मां बगलामुखी की आराधना की शक्ति से तीनों लोकों में विजय प्राप्त की थी और भगवान राम ने लंका पर चढ़ाई की और उन्हें रावण की आराध्य देवी के बारे में पता चला तो उन्होंने भी रावण से युद्ध से पहले मां बगलामुखी की स्तुति की थी।
पौराणिक कथाओं में मां बगलामुखी का महत्व: इस पूरी सृष्टि के रचयिता भगवान ब्रह्मा का ग्रंथ जब एक राक्षस ने चुरा लिया और पाताल में छिप गया तब उसके वध के लिए मां बगलामुखी की उत्पत्ति हुई। पांडवों ने अज्ञातवास के दौरान मां का मंदिर बनाया और पूजा अर्चना की। पहले रावण और उसके बाद लंका पर जीत के लिए श्रीराम ने शत्रुनाशिनी मां बगला की पूजा की और वियज पाई।
मां बगलामुखी को पीतांबरी भी कहा जाता है। इस कारण मां के वस्त्र, प्रसाद, मौली और आसन से लेकर हर कुछ पीला ही होता है। मान्यता है कि युद्ध हो या राजनीति या फिर कोर्ट-कचहरी के विवाद, मां के मंदिर में यज्ञ कर हर कोई मन वांछित फल पाता है।