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Ucchi Pillayar Ganesh Mandir: विभीषण के डर से इस मंदिर में छुपे थे गणेश जी, 273 फीट चढ़कर पहुंचते हैं भक्‍त

Updated Mar 11, 2020 | 07:49 IST | Ritu Singh

Ganesh Temple, Ganesh Amritvani Part 4 : गणपति बप्पा के तमाम किस्से आपने सुने होंगे, लेकिन आपको पता है एक बार बप्पा विभीषण से छुप कर रॉक फोर्ट पर्वत पर जा छुपे थे। बाद में यही इनका मंदिर भी बना।

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Ucchi Pillayar Ganesh Mandir In Tamilnadu, उच्ची पिल्लयार मंदिर

भगवान गणेश के बहुत से प्राचीन मंदिर हैं, लेकिन एक मंदिर ऐसा है जो अपनी प्राचीनता के कारण ही नहीं, बल्कि गणपति जी की दंतकथा के कारण भी प्रसिद्ध है। तमिलनाडू के तिरुचिरापल्ली के रॉक फोर्ट पहाड़ी पर स्थिति भगवान का ये मंदिर बेहद खूबसूरत भी नजर आता है। इस मंदिर पर पहुंचने के लिए भक्तों को 273 फुट की ऊंचाई तय करनी होती हैं। मंदिर में करीब 400 सीढ़ियां हैं जिन्हें चढ़ कर गणपति जी के दर्शन किए जा सकते हैं। इस मंदिर के बनने के पीछे बेहद ही रोचक दंतकथा है और इस कथा से पता चलता हैं यहां इस मंदिर का निर्माण क्यों हुआ।

उच्ची पिल्लयार मंदिर 

तमिलनाडू के तिरुचिरापल्ली का भगवान गणेश का उच्ची पिल्लयार मंदिर 7वी शताब्दी का है और ये मंदिर त्रिची के एक रॉक फोर्ट पर स्थित है। पौराणिक मान्यता के अनुसार भगवान गणेश, विभीषण से छुपते हुए यहां आकर छुपे थे और बाद में यहीं इनका मंदिर बना दिया गया। इस मंदिर में कहा जाता है कि दर्शन करने से भी मनुष्य के कई संकट दूर हो जाते हैं।

विभीषण से छल कर गणपतिजी ने रंगनाथ की प्रतिमा जमीन पर रख दी थी

रावण का वध के बाद भगवान श्रीराम ने अपना ही एक स्वरूप रंगनाथ की प्रतिमा विभिषण को दी थी और कहा था कि वह इस प्रतिमा को अपने साथ लंका ले जा कर स्थापति कर दें। यह बात जब देवताओं ने सुनी तो उन्होंने गणपति जी से कहा कि विभिषण लंका में भगवान रंगनाथ की प्रतिमा स्थापति कर देंगे और वे नहीं चाहते कि विभिषण ऐसा करें। भगवान श्रीराम ने विभिषण को प्रतिमा देते हुए कहा था प्रतिमा को जमीन जहां रखा जाएगा प्रतिमा वहीं रह जाएगी। विभीषण त्रिचि पहुंचे तो वहां पर कावेरी नदी में उन्हें स्नान का मन हुआ, लेकिन प्रतिमा जमीन पर रखी नहीं जा सकती थी। तभी उन्हें एक बालक गाय चराते हुए नजर आया और विभिषण ने प्रतिमा उसे पकड़ा कर जमनी पर न रखने का अनुरोध किया। यह बालक गणपति जी थे। विभिषण के स्नान के जाते ही वह प्रतिमा जमीन पर रख दिए। यह देख कर विभिषण क्रोधित हो उठे।

विभीषण से डर कर पर्वत पर भागे थे बप्पा

प्रतिमा जमीन पर से विभीषण ने उठाने का बहुत प्रयास किया लेकिन वह प्रतिमा वहीं रह गई। इससे क्रोध हो कर विभिषण बालक की ओर भागे। अपनी ओर विभिषण को आता देख भगवान गणेश भागते हुए पर्वत के शिखर पर पहुंच गए लेकिन आगे रास्त नहीं था। विभिषण भी गुस्से में वहां तक पहुंच आए और गणपति जी के सिर पर वार कर दिया। तभी गणपति जी ने अपने असली रूप को विभिषण के समक्ष पेश किया और तब विभिषण को ज्ञात हुआ कि ये तो गणपति जी है और उनसे उन्होंने क्षमा मांगी। विभीषण के वार से गणपति जी को चोट लगी थी वह उनकी प्रतिमा में आज भी नजर आती है।

मंदिर में छह बार होती है आरती

तिरूचिरापल्ली को इसके प्राचीन नाम थिरिसिपुरम के नाम से भी पुकारा जाता है। मान्यता है कि यहां के पर्वत की तीन चोटियों को पर भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान गणेश आज भी वास करते हैं। मंदिर में भगवान गणेश की पूजा के बाद 6  बार आरती की जाती है।

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