- दिशा शूल का असर सेहत, धन और मति पर पड़ता है
- यात्रा से पूर्व दिशा शूल का ज्ञान जरूर रखना चाहिए
- दिशा शूल के उपाय कर यात्रा की जा सकती है
सर्वप्रथम ये सवाल उठता है कि दिशाशूल क्या होता है? दरअसल, दिशाशूल का मतलब होता है कि किस दिशा में किस दिन यात्रा नहीं करनी चाहिए। साधारण शब्दों में, जिस दिशा में यात्रा नहीं करनी चाहिए, वहीं दिशाशूल कहलाता है। हर दिशा के लिए एक दिन निर्धारित है। किसी दिन किस दिशा की यात्रा करनी चाहिए और किस दिन नहीं करनी चाहिए। ज्योतिष के अनुसार इस दिन जिस दिशा की यात्रा नहीं करनी चाहिए, यदि कोई जातक उस दिशा में यात्रा करता है तो दिशाशूल का शिकार होता है।
दिशाशूल के कारण एक नहीं अनेक कष्ट जातक को भोगने पड़ते हैं। दिशाशूल का प्रभाव स्वास्थ्य, मति, धन और संबंधों पर पड़ता है। ऐसे में ये जरूरी है जानना की किस दिशा में कब यात्रा नहीं करनी चाहिए और यदि करनी ही पड़े तो उससे बचने के उपाय क्या हैं।
जानें, दिशाशूल और उससे बचने के उपाय
पूर्व दिशा
सोमवार और शनिवार को पूर्व दिशा की यात्रा नहीं करनी चाहिए। यदि मजबूरी में यात्रा करनी पड़े तो सोमवार को शीशे में अपना चेहरा देखकर या कोई भी पुष्प खा कर घर से निकलें। यदि शनिवार को निकलना पडे़ तो अदरक, उड़द या तिल खाकर घर से निकलें। अथवा घर से बाहर निकल कर पांच कदम चलें और घर की ओर उल्टे कदम लौट आएं फिर बाहर निकल जाएं।
पश्चिम दिशा
रविवार और शुक्रवार को पश्चिम दिशा नहीं करनी चाहिए। यदि करनी पड़े तो रविवार को दलिया, घी या पान खाकर ही घर से निकलें। वहीं शुक्रवार को निकलना पड़े तो जौ या राईं खाकर घर से बाहर निकलें। अथवा घर से बाहर निकल कर पांच कदम चलें और घर की ओर उल्टे कदम लौट आएं फिर बाहर निकल जाएं।
उत्तर दिशा
मंगलवर और बुधवार को उत्तर दिशा की यात्रा नहीं करनी चाहिए। यदि निकलना पड़े तो मंगलवार को गुड़ खाकर निकले। वहीं बुधवार को तिल या धनिया खाकर घर से बाहर निकलें। इससे पहले पांच कदम पीछे चलें। अथवा घर से बाहर निकल कर पांच कदम चलें और घर की ओर उल्टे कदम लौट आएं फिर बाहर निकल जाएं।
दक्षिण दिशा
गुरुवार को दक्षिण दिशा की यात्रा नहीं करनी चाहिए। यदि करनी पड़े तो दही या जीरा मुंह में डाल कर निकलें अथवा घर से बाहर निकल कर पांच कदम चलें और घर की ओर उल्टे कदम लौट आएं फिर बाहर निकल जाएं।
दक्षिण-पूर्व दिशा
सोमवार और गुरुवार को दक्षिण-पूर्व दिशा की यात्रा नहीं करनी चाहिए। सोमवर को दर्पण देखकर और गुरुवार को दही या जीरा खाकर निकलें। अथवा घर से बाहर निकल कर पांच कदम चलें और घर की ओर उल्टे कदम लौट आएं फिर बाहर निकल जाएं।