नाग पंचमी हर साल सावन के पवित्र महीने में पड़ती है। इस साल 26 जुलाई को नाग पंचमी मनाई जाएगी। हिंदुस्तान में हम केवल भगवान की ही पूजा नहीं करते बल्कि उनके साथ जुड़े जानवरों की भी पूजा करते हैं जैसे भगवान शिव के गले में लिपटा नाग भी हमारे लिए पूजनीय होता है।
नागपंचमी से जुड़ी कई कथाएं प्रचलित हैं लेकिन एक कथा जो पौराणिक रूप से प्रचलित है वह यह है कि जब समुद्र मंथन से चौदह रत्नों की उत्पत्ति हुई उसी में उच्चै:श्रवा नामक श्वेत अश्व रत्न भी मिला। उसे देखकर कश्यप मुनि की पत्नी कद्रू और विनता दोनों में अश्व के रत्न के लिए बहस होने लगी, कद्रू ने कहा कि अश्व के केश काले हैं। इसी बात पर दोनों में विवाद हो गया। तब उन्होंने यह शर्त रखी कि यदि वह अपने कथन में गलत सिद्ध हुईं तो वह विनता की दासी बन जाएंगी।
कथन सही हुआ तो विनता उनकी दासी बनेंगी। कद्रू ने नागों को बाल के समान सूक्ष्म बनकर अश्व के शरीर से चिपकने का आदेश दिया, लेकिन नागों ने इसके लिए मना कर दिया। इस पर कद्रू ने क्रोधित होकर नागों को श्राप दिया कि पांडव वंश के राजा जनमेजय नाग यज्ञ करेंगे, उस यज्ञ में तुम सब जलकर भष्म हो जाओगे। श्राप से भयभीत नागों ने वासुकी के नेतृत्व में ब्रह्माजी से उपाय पूछा। भगवान ब्रह्मा ने कहा कि यायावर वंश में उत्पन्न तपस्वी जरत्कारू तुम्हारे बहनोई होंगे। उनका पुत्र आस्तीक तुम्हारी रक्षा करेगा। ब्रह्मा जी ने पंचमी तिथि को नागों को यह वरदान दिया तथा इसी तिथि पर आस्तीक मुनि ने नागों का परीरक्षण किया था।
इसीलिए इसी दिन नाग पंचमी मनाई जाती है। नाग पंचमी के दिन अगर आप अपने घर में नागों को समर्पित यह भजन बजाते हैं तो इससे भी आपको लाभकारी परिणाम देखने को मिल सकते हैं।