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Radha Kund Snan: कोख भरने वाला माना जाता है राधा कुंड स्‍नान, Ahoi Ashtami पर जानें द्वापर युग की ये प्रथा

Updated Nov 06, 2020 | 15:11 IST

कार्तिक महीने की अहोई अष्टमी के दिन राधाकुंड स्नान करने का महत्व जानकर आप भी खुद को वहां जाने से नहीं रोक पाएंगे। इसका महत्‍व द्वापर युग से चला आ रहा है।

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राधा कुंड स्‍नान : जानें कोख भरने वाली द्वापर युग की ये प्रथा
मुख्य बातें
  • द्वापर युग से चली आ रही है राधा कुंड में स्‍नान की परंपरा
  • सूनी कोख भरने वाला माना जाता है राधा कुंड स्‍नान
  • मनोकामना पूरी होने के बाद वापस इस कुंड में स्नान करने आना होता है

संतान और घर परिवार की सुरक्षा एवं सुख शांति के लिए भारतीय परंपराओं में ऐसी कई विधियां हैं जिनका पालन हिंदू औरतें श्रद्धा-भाव से करती हैं। तीज का व्रत, करवा चौथ, जितिया व्रत कुछ ऐसे विशेष दिन हैं जिस दिन औरतें अपने बच्चों और पति के लिए व्रत रखती हैं और भगवान की पूजा आराधना करती हैं। 

हिंदू परंपराओं के अनुसार, मन में सच्ची श्रद्धा रखकर अहोई अष्टमी के दिन जो स्त्रियां माता पार्वती की पूजा करती हैं और उस दिन व्रत रखती है, उसके संतान की देखरेख साक्षात पार्वती मां करती हैं। ऐसा माना जाता है कि अहोई अष्टमी के दिन अगर रात के 12 बजे कोई निसंतान दंपत्ति राधा कुंड में एक साथ नहाते हैं तो दया की देवी कही जाने वाली राधा रानी उन्हें आशीर्वाद में संतान सुख प्रदान करती हैं। 

कहां है राधा कुंड? (Where is Radha Kund in India)
श्री कृष्ण की नगरी मथुरा में गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा करने वाले रास्ते में राधा कुंड स्थित है, जहां अहोई अष्टमी के दिन विशेष स्नान किया जाता है। 

कब है अहोई अष्टमी (Ahoi Ashtami 2020 Radha Kund Snan)
अहोई अष्टमी कार्तिक कृष्ण पक्ष में पड़ता है। इस साल 8 नवंबर को अहोई अष्टमी मनाया जाएगा।

कब से कब तक है शुभ मुहूर्त (Ahoi Ashtami 2020 Shubh Muhurat)
वैसे तो यह पूरा दिन ही शुभ माना जाता है, लेकिन राधा कुंड अर्धरात्रि स्नान के लिए रात के 11: 37 बजे से लेकर अगले दिन रात के 12: 29 तक है। 8 नवंबर के दिन अष्टमी सुबह 07:29 से प्रारंभ होगी और अगले दिन सुबह 06:50 पर अंत होगी। 

क्या है राधा कुंड में स्नान करने का महत्व (Radha Kund Snan Mahatva)
हिंदू शास्त्रों के अनुसार, यह माना जाता है कि कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाले अहोई अष्टमी के दिन अगर कोई निसंतान दंपत्ति सच्चे मन से राधा रानी की पूजा करके कुंड में स्नान करता है तो राधा रानी उस दंपति की झोली संतान से भर देती हैं। इस दिन संतान प्राप्ति की इच्छा रखने वाले दंपति निर्जला व्रत रखते हैं। 

यह परंपरा द्वापर युग से चली आ रही है और यह माना जाता है कि राधा कुंड इतना चमत्कारी है कि सच्ची श्रद्धा रखने वालों से राधा रानी प्रसन्न रहती हैं और उनको सुंदर और स्वस्थ संतान प्रदान करती हैं। 

परंपरा के अनुसार, जिस दंपत्ति की इच्छा पूरी हो जाती है वह अपनी संतान के साथ वापस इस कुंड में स्नान करने और भगवान श्री कृष्ण और राधा रानी की पूजा करने जरूर आते हैं। इस कुंड की लोकप्रियता सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि विदेश में भी है। ऐसा कहा जाता है कि दुनिया के किसी भी कोने से अगर मन में सच्ची भावना रखकर कोई दंपत्ति इस कुंड में स्नान करने आता है तो उसकी मनोकामना जरूर पूरी होती है। 

जानिए पूरी विधि (Radha Kund Snan Vidhi)
अगर आप भी संतान प्राप्ति के लिए राधा कुंड में स्नान करना चाहते हैं तो आपको यह विधि जरूर पता होनी चाहिए। इस पूजा की शुरुआत अहोई अष्टमी की रात को श्री राधा कुंड के पास दीया जला कर राधा रानी को याद करने से होती है। राधा रानी की पूजा करके उनको प्रणाम करें फिर अपनी इच्छा राधा रानी के सामने रखकर प्रार्थना करें। याद रहे आपके अंदर राधा रानी के लिए सच्ची भावना होनी चाहिए। यह सब करके आप ठीक 12 बजे अपने साथी के साथ राधा कुंड में स्नान करें और स्नान करने के बाद सीताफल दान करें। 

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