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Asadh Gupt Navratri 2021: आषाढ़ की गुप्त नवरात्रि प्रथम दिन, पहले दिन ऐसे करें अनुष्ठान पूजन आरंभ

Updated Jul 11, 2021 | 18:04 IST

Gupt Navratri 2021 Puja Vidhi in Hindi: इस वर्ष आषाढ़ गुप्त नवरात्रि 11 जुलाई से प्रारंभ होने वाली है। नवरात्रि की प्रतिपदा तिथि पर घटस्थापना का विधान है, इसके साथ इस दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है।

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आषाढ़ गुप्त नवरात्रि पहले दिन की पूजा विधि
मुख्य बातें
  • इस वर्ष 11 जुलाई से प्रारंभ हो रही है आषाढ़ मास की गुप्त नवरात्रि, बनेगा सर्वार्थ सिद्धि योग।
  • नवरात्रि की प्रतिपदा तिथि पर होता है घटस्थापना, घटस्थापना के साथ इस दिन होगी माता शैलपुत्री की पूजा।
  • नवरात्रि के पहले दिन मां दुर्गा को अवश्य चढ़ाएं लाल रंग की चुनरी और मां शैलपुत्री के मंत्रों का करें जाप।

Ashadh Gupt Navratri First Day: सनातन धर्म में आषाढ़ मास में पड़ने वाली गुप्त नवरात्रि का विशेष महत्व बताया गया है। कहा जाता है कि यह नवरात्रि तांत्रिकों व अघोरियों के लिए बहुत अनुकूल है। इस वर्ष आषाढ़ गुप्त नवरात्रि 11 जुलाई से प्रारंभ हो रही है जो 18 जुलाई तक मनाई जाएगी। आषाढ़ माह में पड़ने वाली गुप्त नवरात्रि अक्सर अंग्रेजी पंचांग के अनुसार जून या जुलाई के महीने में पड़ती है।

इस वर्ष आषाढ़ नवरात्रि रविवार के दिन से प्रारंभ हो रही है और जानकार बता रहे हैं कि इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग रहेगा जो मां दुर्गा के भक्तों के लिए बहुत मंगलमय माना जा रहा है। इसके साथ इस दिन पुष्य नक्षत्र भी लगने वाला है जो नए कार्यों की शुरुआत के लिए बहुत लाभदायक होता है।

ऐसी मान्यता है कि पुष्य नक्षत्र में किए गए कार्य सिद्ध होते हैं तथा उनमें सफलता मिलती है। नवरात्रि की प्रतिपदा तिथि पर घटस्थापित किया जाता है तथा मां दुर्गा की विशेष पूजा-आराधना की जाती है। नवरात्रि के पहले दिन माता शैलपुत्री की आराधना करने का भी विधान है। 

यहां जानें, घटस्थापना के लिए शुभ मुहूर्त और पहले दिन की पूजा विधि।

घटस्थापना के लिए शुभ मुहूर्त (Ashadh Gupt Navratri Puja Shubh Muhurat)
लाभ और अमृत का चौघड़िया: - सुबह 09:08 से 12:32 तक
अभिजीत मुहूर्त: - सुबह 12:05 से 12:59 तक

नवरात्रि के पहले दिन की पूजा विधि (Gupt Navratri Puja Vidhi)
आषाढ़ गुप्त नवरात्रि के पहले दिन यानि 11 जुलाई को ब्रह्म मुहूर्त में उठकर नित्य क्रियाओं से निवृत्त हो जाएं तथा अपने पूजा घर को साफ सुथरा कर लें। इसके बाद सभी पूजा सामग्रियों को एकत्रित कर लीजिए और पूजा की शुरुआत मां दुर्गा को लाल वस्त्र से सजा कर कीजिए। अब मिट्टी के बेदी में जौ के बीज बोएं और इस पर कलश स्थापित करें।

इस कलश में गंगाजल डालें और आम के पल्लव रख दें। अब नारियल पर स्वास्तिक बनाकर कलश पर स्थापित कर दें। इसके पश्चात कलावा की मदद से कलश को लाल कपड़े से बांध दीजिए। घटस्थापना के बाद अखंड जोत जलाएं और कपूर, फूल, अगरबत्ती, फल आदि सामग्रियों के साथ मां दुर्गा की पूजा करें। नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है। इसीलिए इस दिन मां शैलपुत्री के मंत्रों का जाप करें और आरती पढ़ें।

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