- शिव जी को पाने के लिए मां पार्वती ने भी किया था कुंवारेपन में व्रत
- करवाचौथ का व्रत करने पर कन्याओं को मनचाहा वर मिलता है
- सौभाग्य और सुहाग के लिए करवाचौथ का व्रत जरूर रखना चाहिए
करवाचौथ व्रत की बात जब आती है तो सबका मानना यही होता है कि ये व्रत केवल विवाहित महिलाओं के लिए होता है, लेकिन ऐसा नहीं है। ये व्रत विवाहयोग्य कुंवारी कन्याएं भी रख सकती हैं। करवाचौथ का व्रत पति की लंबी आयु और सौभाग्य प्राप्ति के लिए किया जाता है, लेकिन कुंवारी कन्याएं जिनका विवाह नहीं हुआ है वह अपने होने वाली पति के लिए इस व्रत को कर सकती हैं।
हर कन्या के मन में अपने होने वाले पति को लेकर कई इच्छाएं होती हैं और इस आस को पूरा करने के लिए वह करवाचौथ का व्रत करें तो उन्हें मनचाहा वर मिलता है। जो विवाह योग्य हैं या जिनकी सगाई हो गई है वह अपने भावी पति के लिए जरूर व्रत करें। मां पार्वती ने भी भगवान शिव को पाने के लिए कुंवारेपन में व्रत किया था। हालांकि बस पूजा के वक्त कुंवारी कन्याओं के व्रत में थोड़ा सा बदलाव रहता है बाकि सारी विधि एक ही रहती है।
कन्याओं के लिए निर्जला व्रत की नहीं है बाध्यता
कुंवारी कन्याएं जो अपने भावी पति के लिए करवाचौथ करने जा रही है उनके लिए निर्जला व्रत करने की अनिवार्यता नहीं होती। वे फलहार के साथ या पानी पीते हुए अपने व्रत को रख सकती हैं।
चांद नहीं तारे को दें अर्घ्य
विवाहयोग्य कन्याओं को सरगी नहीं मिलती। सरगी विवाहिताओं को ही मिलती है। इसलिए वे भगवान शिव, पार्वती और गणपति की पूजा के बाद बायना न निकालें। विवाहित महिलाएं तो चांद को देख कर व्रत खोलती हैं लेकिन कुंवारी कन्याएं अपना व्रत तारे को देख कर खोलें। कुंवारी कन्याएं तारे को अर्घ्य देना होगा। कन्याएं तारों को खुल आंख से देखना होगा, उन्हें छलनी से नहीं देखा चाहिए।
विवाहिता के बचे कोन से लगएं मेहंदी
व्रत की बाकी तैयारियां कुंवारी कन्याएं, विवाहिताओं की तरह ही करेंगी। खुद को सजाना, मेहंदी लगाना, चूड़ियां-बिंदी आदि सब कुछ की थाल सजाएं। अपने लिए नए कपड़े भी खरीदें और खुद को सजा कर तैयार करें। कुंवारी कन्याओं को विवाहिताओं के हांथ में लगी मेहंदी के बचे कोन से मेहंदी लगाना शुभ माना जाता है। ऐसा करने से कन्याओं के विवाह में आने वाली बाधा दूर हो जाती है।
तो इस करवाचौथ अपने भावी और मनचाहे पति के लिए कन्याएं भी व्रत करें और सौभाग्य का आशीर्वाद भगवान से पाएं।