सनातन धर्म में छठ पूजा एक बहुत बड़ा पर्व है। संतान प्राप्ति तथा संतान की उन्नति के लिए यह पर्व बहुत ही महत्वपूर्ण है। यह त्यौहार तप का है। एक कठिन साधना का है। यह व्रत तथा तप सीधे सूर्य उपासना से सम्बद्ध है। सूर्य उपासना का संबंध संतान की प्राप्ति तथा उसकी उन्नति से है। लोग संतान की सुरक्षा तथा उसके दैहिक,दैविक तथा भौतिक संतापों को दूर करने के लिए छठ माता की प्रत्येक वर्ष पूरी श्रद्धा तथा समर्पण से पूजा करते हैं। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी को छठ का मुख्य पर्व मनाया जाता है।
छठ सूर्य की बहन हैं। छठ महापर्व के पहले दिन का अर्घ्य आज संपन्न हो गया है। छठ के व्रतियों ने डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया। वहीं, अब रविवार को सूर्योदय के साथ अंतिम अर्घ्य दिया जाएगा। इसका शुभ मुहूर्त प्रातःकाल 6 बजकर 34 मिनट है।
चार दिन तक चलने वाला व्रत है छठ
प्रथम दिन (31 अक्टूबर) नहाय खाय- कार्तिक शुक्ल चतुर्थी को ही नहाय खाय आरम्भ हो जाता है। इस दिन व्रती स्नान इत्यादि करके नवीन वस्त्र धारण कर लेते हैं।फिर व्रत करने वाले शुद्ध शाकाहारी भोजन करते हैं।उनके भोजन ग्रहण करने के बाद ही परिवार के अन्य सदस्य भोजन करते हैं।
दूसरा दिन खरना (1 नवंबर) -कार्तिक शुक्ल पंचमी को ही खरना कहते हैं।इस दिवस पर व्रती दिन भर व्रत रहते हैं तथा शाम को भोजन ग्रहण करते हैं।इस दिन अन्न व जल ग्रहण किये बिना उपवास किया जाता है।चावल तथा गुड़ की खीर सायंकाल ग्रहण करते हैं। इस दिन नमक तथा चीनी का प्रयोग नहीं किया जाता है।इसे खरना कहते हैं।
तीसरा दिन (2 नवंबर) - षष्ठी के दिन छठ पूजा का प्रसाद बनाया जाता है। इस प्रसाद में ठेकुआ या टिकरी विशेष रूप से प्रसिद्ध है। चावल के लडडू बनते हैं। कई प्रकार के फल रहते हैं। बांस की टोकरी में फल तथा प्रसाद रखे जाते हैं। टोकरी की पूजा होती है।अब सब व्रती सूर्य को अर्ध्य देने के लिए नदी,तालाब,घाट या पोखरे के किनारे जाते हैं। स्नान करके डूबते हुए सूर्य की पूजा की जाती है।
चौथे दिन (3 नवंबर)- सप्तमी को प्रातः उदित सूर्य को सूर्योदय के समय भी वही सूर्यास्त वाली पूजा दोहराई जाती है। नियम पूर्वक विधिवत पूजन कर प्रसाद का वितरण किया जाता है।
इस प्रकार छठ पूजा सम्पन्न होती है। यह ऐसा अकेला पर्व है जिसमें उदित तथा अस्त सूर्योपासना होती है।
ज्योतिषाचार्य सुजीत जी महाराज के अनुसार, छठ पूजा का दिनांक व मुहूर्त--
प्रथम दिन-नहाय खाय-31 अक्टूबर
द्वितीय दिन-खरना 01 नवम्बर
तृतीय दिन-संध्या अर्ध्य-02 नवम्बर को सायंकाल 05 बजकर 36 मिनट
चतुर्थ दिन- उदित सूर्य को अर्ध्य तथा पारण-03 नवम्बर को प्रातःकाल 06 बजकर 34 मिनट
सूर्यास्त का समय
- पटना में सूर्यास्त: शाम 05:08 बजे
- रांची में सूर्यास्त: शाम 05:11 बजे
- बनारस में सूर्यास्त: शाम 5:18 बजे
- लखनऊ में सूर्यास्त: शाम 05:23 बजे
- दिल्ली में सूर्यास्त: शाम 05:37 बजे
- नोएडा में सूर्यास्त: शाम 05:36 बजे
- गुरुग्राम में सूर्यास्त: शाम 05:37 बजे
- कोलकाता में सूर्यास्त: शाम 04:59 बजे
- मुंबई में सूर्यास्त: शाम 06:05 बजे
इसी के साथ ही छठ पूजा का समापन होगा और छठी मैया की कृपा सभी को प्राप्त होगी।