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Chhath Puja 2021 Day 2: छठ पूजा का दूसरा दिन आज, जानें खरना की पूजन विधि व महत्व

Updated Nov 09, 2021 | 06:46 IST

Chhath Puja Day 2 Kharna: 08 नवंबर से छठ महापर्व की शुरुआत हो गई है। चार दिन तक चलने वाले इस पर्व का आज दूसरा दिन है जिसे खरना करते हैं। जानें खरना से जुड़ी सभी खास बातें।

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Chhath Puja 2021
मुख्य बातें
  • 08 नवंबर से हुई छठ महापर्व की शुरुआत।
  • आज इस पर्व का दूसरा दिन है जिसे खरना कहा जाता है।
  • जानें खरना का महत्व और पूजा विधि।

कार्तिक महीने में शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से छठ पूजा की शुरुआत होती है। शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाए जाने वाले इस पर्व की शुरुआत कल यानी 08 नवंबर, सोमवार से हो चुकी है। आज इस पर्व का दूसरा दिन है और इस दिन व्रतियों द्वारा निर्जला उपवास रखकर खरना किया जाएगा। 

खरना का महत्व

कार्तिक शुक्ल पंचमी को यह व्रत रखा जाता है। इस दिन, व्रती सूर्योदय से सूर्यास्त तक एक कठिन निर्जला व्रत करते हैं और चढ़ते सूर्य को छठ को अर्घ्य देते हैं। इस व्रत में नमक और चीनी का प्रयोग वर्जित है और प्रसाद के लिए गुड़ की खीर बनती है वही  वितरित की जाती है। इसे खरना कहा जाता है। इस दिन प्रसाद के रूप में रोटी और खीर ग्रहण करने की परंपरा है। सब कुछ नियम धर्म के मुताबिक होता है। 

खरना प्रसाद

खरना में प्रसाद के तौर पर मुख्य रूप से खीर बनती है इसके अलावा खरना की पूजा में मूली और केला व मौसमी फल रखकर भी पूजा की जाती है। साथ ही प्रसाद में पूड़ियां, गुड़ की पूड़ियां तथा मिठाइयां रखकर भी भगवान को भोग लगाया जाता है। छठी मइया को भोग लगाने के बाद प्रसाद को व्रत करने वाला व्यक्ति ग्रहण करता है। खरना के दिन व्रती इसी यही आहार को ग्रहण करता है।

खरना के बाद 36 घंटे निर्जला व्रत

इस दिन व्रती सूर्य देव को प्रसाद चढ़ाने के बाद ही सूर्यास्त के बाद अपना उपवास तोड़ सकते हैं। तीसरे दिन का उपवास दूसरे दिन प्रसाद ग्रहण करने के बाद शुरू होता है। इस दिन गुड़ की खीर खाने के बाद, भक्त निर्जला व्रत शुरू करते हैं, जो छठ पूजा के समापन तक 36 घंटे तक चलता है।

सात्विक भोजन

दिवाली के एक दिन बाद और छठ पूजा के चार दिनों के दौरान, भक्त पूरी स्वच्छता के साथ और स्नान करने के बाद केवल सात्विक भोजन करते हैं जिसमें प्याज और लहसुन का प्रयोग नहीं किया जाता। 

छठ पूजा के 4 दिनों की पूजा विधि
1. पहला दिन नहाय खाय-कार्तिक शुक्ल चतुर्थी से यह व्रत शुरू होता है। इसी दिन व्रती स्नान करके नए वस्त्र को धारण करते हैं।
2. दूसरा दिन खरना-कार्तिक शुक्ल पंचमी को खरना कहते हैं। पूरे दिन व्रत करने के बाद शाम को व्रती गुड़ से बनी खीर और रोटी का भोजन करते हैं।
3. तीसरा दिन-इस दिन छठ पूजा का प्रसाद बनाते हैं। टोकरी की पूजा कर व्रती सूर्य को अर्घ्य देने के लिए तालाब, नदी या घाट पर जाते हैं और स्नान कर डूबते सूर्य की पूजा करते हैं। 
4. चौथा दिन-सप्तमी को प्रातः सूर्योदय के समय विधिवत पूजा कर प्रसाद वितरित करते हैं।

मालूम हो कि नहाय खाए के साथ शुरू होने वाला यह पर्व चार दिनों का होता है जिसकी शुरुआत नहाय-खाय से होती है और समापन सप्तमी को सुबह भगवान सूर्य के अर्घ्य के साथ होता है। इसमें महिलाएं 36 घंटे तक निर्जला व्रत रखती हैं और संतान की सुख समृद्धि व दीर्घायु की कामना के लिए सूर्यदेव और छठी मैया की अराधना करती हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार छठी मैया सूर्य देवता की बहन हैं।

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