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Chhath Puja 2020: कहां और कैसे शुरू हुई छठ का पर्व मनाने की परंपरा, रामायण और महाभारत में भी है उल्‍लेख

Updated Nov 20, 2020 | 14:36 IST

Chhath Puja Ka Itihas: छठ पूजा पर पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड में इस पर्व की एक अलग ही धूम देखने को मिलती है। छठ पर्व को लेकर मान्यताएं रामायण और महाभारत काल से जुड़ी हुई हैं।

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history of chhath puja
मुख्य बातें
  • हिन्दू पंचांग के अनुसार कार्तिक माह शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को छठ पूजा मनाई जाती है
  • कार्तिक माह शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से इस त्‍योहार की शुरुआत हो जाती है।
  • छठ पर्व सूर्य की उपासना का त्योहार है और छठी मैया को उनकी बहन माना जाता है

भारत को त्योहारों का देश कहा जाता है और यहां कई ऐसे पर्व हैं जिन्हें कठिन माना जाता है और इन्हीं में से एक है लोकआस्था का महापर्व छठ। जिसे मनाने की परंपरा रामायण और महाभारत काल से है। कार्तिक महीने की षष्ठी को इस साल भी इस त्योहार को मनाया जा रहा है। ऐसे में पूरे देश में और खासकर पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड में छठी मइया के भक्तों की उत्सुकता बढ़ती दिख रही है।

छठ पर्व के दौरान 36 घंटों तक व्रत रखते हैं और डूबते व उगते हुए सूरज को इस मौके पर अर्घ्य दिया जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार छठ सूर्य की बहन है। इस पर्व को लेकर रामायण और महाभारत में अलग अलग मान्यताएं हैं। आइए जानते हैं रामायण और महाभारत के अनुसार क्यों मनाया जाता है छठ पर्व। 

महाभारत के अनुसार छठ पूजा की मान्यता 
नहाय खाय के साथ चलने वाला लोकआस्था के महापर्व छठ कार्तिक महीने की षष्ठी को मनाया जाता है। यह एक पर्व नहीं है बल्कि महापर्व है जिसकी शुरुआत को लेकर कई कहानियां मौजूद हैं। एक कथा के अनुसार महाभारत काल में जब पांडव जुए में अपना सारा राजपाठ हार गए तब द्रोपदी ने छठ व्रत किया था। जिससे छठी मइया ते आशीर्वाद से उनकी सभी मनाकामनाएं पूर्ण हुई थी और पांडवों को उनका राजपाठ वापिस मिल गया था। 

इसके साथ ही महाभारत काल में एक और कथा मौजूद है जिसके अनुसार छठ पूजा की शुरुआत सूर्य पुत्र कर्ण ने किया था। मान्यताओं के अनुसार वह प्रतिदिन घंटों तक कमर तक पानी में खड़े रहकर छठी मइया की अराधना कर सूर्य को अर्घ्य देते थे और भगवान सूर्य की कृपा से ही वह महान योद्धा बने थे। छठ पर्व को लेकर महाभारत में यह भी सबसे बड़ी मान्यता जुड़ी हुई है।

छठ पूजा को लेकर जानिए पौराणिक कथा के बारे में
छठ पूजा को लेकर रामायण में भी उल्लेख किया गया है। पौराणिक कथाओं के अनुसार 14 वर्ष वनवास के बाद जब भगवान राम अयोध्या लौटे थे तो रावण वध के पापों से मुक्ति प्राप्त करने के लिए ऋषि मुनियों के आदेश पर राजसूय यज्ञ करने का फैसला लिया गया। इसके लिए भगवान राम ने मुग्दल ऋषि को आमंत्रित किया। लेकिन मुग्दल ऋषि ने भगवान राम और माता सीता को अपने ही आश्रम में आने का आदेश दिया।

ऋषि की आज्ञा का पालन करते हुए भगवान राम और सीता स्वयं मुग्दल ऋषि के पास आए और उन्हें पूजा के बारे में ऋषि ने बताया। मुग्दल ऋषि ने माता सीता को गंगा जल छिड़क कर पवित्र किया और कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष के षष्ठी तिथि को सूर्य देव की उपासना करने का आदेश दिया। 

मुग्दल ऋषि के आज्ञा का पालन करते हुए माता सीता ने छह दिन तक भगवान सूर्यदेव की पूजा की। इस मान्यता के अनुसार प्रत्येक वर्ष छठी मइया की अराधना कर भगवान सूर्य को अर्घ्य देकर छठ पूजा को मनाया जाता है।
 
भगवान सूर्य देव की उपासना कर मनाया जाता है यह पर्व
छठ पर्व भगवान सूर्य देव की उपासना का पर्व है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन भगवान सूर्य देव की उपासना करने से सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है और ऊर्जा का संचार होता है। इस दिन हिंदु धर्म में मान्यता रखने वाले और छठी मइया के भक्त किसी नदी या तलाब में खड़े होकर भगवान सूर्य को अर्घ्य देते हैं। इस पर्व को लेकर ऐसी मान्यता है कि इस दिन विधि विधान से छठी मइया की पूजा अर्चना करने से निसंतान के संतान की प्राप्ति होती है।

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