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Devshayani Ekadashi Date 2020: कब है देवशयनी एकादशी, इस द‍िन भगवान व‍िष्‍णु की पूजा करनी चाह‍िए

Updated Jun 29, 2020 | 07:55 IST

Devshayani Ekadashi 2020 Tithi: आषाढ़ मास के शुक्‍ल पक्ष की एकादशी को देवशयनी या हर‍िशयनी एकादशी कहा जाता है। इस एकादशी के बाद से चार महीने के ल‍िए सारे शुभ काम बंद हो जाएंगे।

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Devshayani Ekadashi 2020 Date, देवशयनी एकादशी कब है
मुख्य बातें
  • देवशयनी एकादशी को हरिशयनी, तुलसी, अषाढ़ी और पद्मनाभा एकादशी नाम भी द‍िए गए हैं
  • आषाढ़ शुक्ल एकादशी से कार्तिक शुक्ल की एकादशी तक - चार महीने के ल‍िए शुभ कामों पर रोक है
  • एकादशी वाले द‍िन व‍िध‍िवत व्रत रखना चाह‍िए और भोजन में चावल का सेवन नहीं करना चाह‍िए

जुलाई महीने की शुरुआत देवशयनी एकादशी से हो रही है। पहली ही तारीख को भगवान व‍िष्‍णु को समर्पित ये व्रत आएगा। पंचांग के अनुसार आषाढ़ मास के शुक्‍ल पक्ष की एकादशी को देवशयनी एकादशी कहते हैं। देवशयनी एकादशी को हरिशयनी, तुलसी, अषाढ़ी और पद्मनाभा एकादशी के नाम भी द‍िए गए हैं।

इस द‍िन भगवान व‍िष्‍णु की पूजा करनी चाह‍िए। बता दें क‍ि इस एकादशी से श्री हर‍ि चार महीने के ल‍िए शयन में चले जाते हैं और तमाम शुभ कार्यों पर रोक लग जाती है। इसके बाद भगवान कार्तिक शुक्ल की एकादशी को जगते हैं। 

Devshayani Ekadashi 2020 Date, Shubh Muhurat 
साल 2020 में 01 जुलाई को देवशयनी एकादशी आ रही है। 
एकादशी तिथि शुरू : 30 जून, शाम 07:49 बजे से 
एकादशी तिथि समाप्‍त : 1 जुलाई, शाम 5:30 बजे 

देवशयनी एकादशी का व्रत आप 1 जुलाई को रख सकते हैं। अगर व्रत न रखें तो सुबह पूजा करने के बाद ब्राह्मण को दक्षिणा दें। 

रुक जाएंगे शुभ काम 
देवशयनी एकादशी से चातुर्मास शुरू हो जाता है। यानी अगले चार महीने तक घर में कोई भी मांगलिक कार्य नहीं कर सकते हैं जिसमें शादी-विवाह, गृह प्रवेश, नई वाहनों की खरीद वगैरह शाम‍िल हैं। इस दौरान घर में कोई अनुष्ठान भी नहीं किया जाता है।

देवशयनी एकादशी की पूजा विधि
देवशयनी एकादशी के दिन सूर्योदय से पहले उठें और घर की साफ सफाई कर नित्य कर्म से निवृत्त हो जाएं। स्‍नान के बाद घर में गंगाजल से छिड़कें। मंदिर की भी सफाई करें। 
पूजा के ल‍िए मंदिर में कांसे या किसी शुद्ध बर्तन में भगवान विष्णु की मूर्ति स्थापित करें। ये तांबे, सोने, चादी या कांसे की भी हो सकती है। भगवान विष्णु को टीका-चंदन कर उन्हें पीले वस्त्र पहनाएं और संकल्प लेकर व्रत कथा सुनें। पूजा समाप्‍त करने से पहले आरती जरूर करें। 

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