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Ravan Dahan Muhurat 2019: विजयदशमी आज, जानें दशहरा पर किस मुहूर्त में होगा रावण दहन

Updated Oct 08, 2019 | 14:47 IST | टाइम्स नाउ डिजिटल

Vijayadashami Puja Shubh Muhurat: दशहरा न्याय द्वारा अन्याय पर विजय का अमर पर्व है। इस दिन जगह जगह जगह रामलीला होती है। यहां जानें विजयदशमी के दिन दशहरा का मुहूर्त

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तस्वीर साभार:&nbspInstagram
Vijayadashami
मुख्य बातें
  • दशहरा को विजयदशमी कहा जाता है इसका मतलब होता है- बुराई पर अच्छाई की जीत
  • दशहरा 10 दिन का त्यौहार है
  • दशहरे के पहले दिन जौ उगाए जाते हैं

नवरात्र के नौ दिन नौ देवियों की पूजा और उसके बाद दशहरा आता है। दशहरा का पर्व भगवान राम द्वारा लंका विजय तथा रावण बध के कारण बहुत ही हर्ष पूर्वक मनाया जाता है। इस दिन देशभर में रावण दहन की परंपरा है। भगवान राम मर्यादा पुरुषोत्तम हैं। वह साकार रूप में विष्णु जी के अवतार हैं। दशहरा न्याय द्वारा अन्याय पर विजय का अमर पर्व है। यह पर्व आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाते हैं। यह उत्सव आयुध पूजा यानि शस्त्र पूजा के रूप में भी मनाया जाता है।

ज्योतिषाचार्य सुजीत जी महाराज के अनुसार आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी को सूर्योदय के बाद दसवें मुहूर्त से लेकर बारहवें मुहूर्त तक ही होती है। इस वर्ष दशहरा दिनांक 08 अक्टूबर दिन मंगलवार को है

दशहरा मुहूर्त-

  • विजय मुहूर्त-दिन में 02 बजकर 6 मिनट से 02 बजकर 53 मिनट तक
  • अपराह्न- 01 बजकर 20 मिनट से 03 बजकर 40 मिनट तक

दशहरा पर्व कैसे मनाते हैं-
इस दिन जगह जगह जगह रामलीला होती है तथा आज ही राम द्वारा रावण बध का विशाल कार्यक्रम होता है। बहुत से भक्त नवरात्रि में श्री रामचरितमानस को पूर्ण करके आज विशाल भंडारा करवाते हैं।इस पावन पर्व पर शस्त्र पूजन भी होता है।

कई तांत्रिक पूजा आज से आरंभ होकर दीपावली की रात्रि तक चलती है-
कई तांत्रिक पूजाओं का आरंभ आज से होता है। साबर मंत्र भी नदी के तट पर आरम्भ करके अमावस्या की रात्रि तक अनवरत चलता है। बंगलामुखी उपासना भी आज से आरंभ होती है। कुछ तांत्रिक अनुष्ठान राजनीतिज्ञों को सफलता हेतु आज से ही माता काली मंदिर में प्रारम्भ होकर दीपावली तक चलती है तथा उसी रात्रि विधिवत हवन होता है। दशहरा की रात्रि में श्री सूक्त का पाठ करने से धन धान्य की कभी कमी नहीं आती है।

दशहरा का दार्शनिक पक्ष-
यह दिन अपने मन की आसुरी शक्तियों को मारने का है। मन में अच्छी तथा बुरे दोनों विचार होते हैं। मन की आसुरी प्रवृति जब भारी पड़ती है तो व्यक्ति पाप करना प्रारंभ कर देता है। इसी पाप रूपी दैत्य को मारकर पुण्य रूपी शक्तियों की विजय का पर्व दशहरा है। समाज में व्याप्त तमाम बुराइयों को समाप्त करना भी इस पर्व का उद्देश्य है। यदि हम अपने आस पास के वातावरण को अपने कर्म तथा तप से सही कर देते हैं तो समाज में रावण रूपी दैत्य का विनाश आरम्भ हो जाता है और सत्य की विजय आरम्भ हो जाती है जो कि दशहरा का मूल उद्देश्य है।

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