- दशहरा के मौके पर कई जगहों पर रावण वध का आयोजन किया जाता है
- दशहरे के दिन रावण दहन के पहले उसकी पूजा की जाती है
- इस दिन ब्राहमणों या फिर गरीबों को भोजन खिलाना शुभ माना जाता है
भारत में दशहरा यानि विजयादशमी बड़ी धूम धाम के साथ मनाया जाने वाला त्यौहार है। अश्विन (क्वार) मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को इसका आयोजन होता है। भगवान राम ने इसी दिन रावण का वध किया था तथा देवी दुर्गा ने नौ रात्रि एवं दस दिन के युद्ध के उपरान्त महिषासुर पर विजय प्राप्त किया था। इसे असत्य पर सत्य की विजय के रूप में मनाया जाता है।
दशहरा के मौके पर कई जगहों पर रावण वध का आयोजन किया जाता है। नौ दिनों से चलनेवाली रामलीला का यह समापन दिन होता। दशहरा का मतलब ही होता है दसवीं तिथि। हिंदू ज्योतिष के जानकारों के मुताबिक सालभर में 3 सबसे शुभ घड़ियां होती हैं। पहली चैत्र शुक्ल प्रतिपदा, दूसरी कार्तिक शुक्ल की प्रतिपदा और तीसरा है दशहरा। ऐसी मान्यता है कि जिस भी काम की शुरुआत इस दिन की जाती है उसमें जरूर कामयाबी मिलती है। इसलिए इस दिन किसी भी काम का आरंभ उसमें सफलता की गारंटी माना जाता है।
दशहरा पूजा विधि-
- दशहरे के दिन सुबह नहा धो कर साफ कपड़े पहन लें।
- गाय के गोबर से 10 गोले यानि कण्डे बनाएं।
- इन कंडो पर दही लगाएं।
- दशहरे के पहले दिन जौ उगाए जाते हैं। वह जौ दसवें दिन यानी दशहरे के दिन इन कण्डों के ऊपर रखें।
- उसके बाद धूप-दीप जलाकर, अक्षत से रावण की पूजा करें।
- इस दिन ब्राहमणों या फिर गरीबों को भोजन खिला कर दक्षिणा दें।
- उसके बाद घर के बड़ों का आशीर्वाद लें।
दशहरे के दिन जरूर करें यह शुभ काम-
दशहरे के दिन वाहन, इलेक्ट्रॉनिक्स आइटम, सोना, आभूषण नए वस्त्र इत्यादि खरीदना शुभ होता है। सुबह में शमी के पेड़ की पूजा करना अत्यंत शुभ माना जाता है। रावण दहन के बाद की थोड़ी राख को घर में रखना काफी शुभ माना जाता है।