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Hartalika Teej Pooja Vidhi, Puja Samagri, Muhurat: हरतालिका तीज का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और पूजा सामग्री

Updated Aug 21, 2020 | 17:57 IST

Hartalika Teej Pooja Vidhi, Puja Samagri: हरतालिका तीज व्रत का पूरा फल आपको व‍िध‍िवत पूजा करने से ही म‍िलेगा। ऐसे में कोई सामग्री छूटनी नहीं चाह‍िए। यहां देखें इस व्रत से जुड़ी सामग्री की ल‍िस्‍ट।

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Hartalika Teej 2020 Pooja Vidhi, Puja Samagri in Hindi-हरतालिका तीज पूजा विधि, पूजा समाग्री
मुख्य बातें
  • तीज के दिन मिट्टी के गौरी-शंकर को बनाकर पूजा करें
  • हरतालिका तीज पर मिट्टी से बनाए जाते हैं शिव-पार्वती
  • पूजा में देवी को सुहाग की सभी सामग्री जरूर चढ़ाएं

Hartalika Teej Pooja Vidhi, Puja Samagri: हरितालिका तीज का व्रत भाद्र पद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को आता है। साल 2020 में ये व्रत 21 अगस्‍त को रखा जा रहा है। बता दें क‍ि देवी पार्वती का अनुसरण करते हुए और पति की सेहत और दीर्घायु होने की कामना करते हुए सुहागिनें हरितालिका तीज का व्रत करती हैं। कई जगह पर इसे तीजा के नाम से भी जाना जाता है। 

ये व्रत और पूजा गौरी-शंकर को समर्पित होती है। पौराणिक मान्यता के अनुसार तीज का व्रत करने वाली सुहागिनों को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है। ये व्रत वह कुंवारी कन्याएं भी करती हैं जिनका विवाह होने वाला है या जिनके लिए वर की तलाश की जा रही है। ये व्रत करने से उन्हें मनचाहा वर मिलता है। 

हरतालिका व्रत का शुभ मुहूर्त  

हरतालिका तीज की पूजा सुबह 5.54 से 8.30 तक कर सकते हैं।  21 अगस्त को  तृतीया तिथि 11:03 PM तक है, इसके बाद चतुर्थी लग जाएगी। सिद्ध योग 02:01 दोपहर तक है। वहीं सुबह 10.54 से 12.29 तक राहुकाल रहेगा।

हरतालिका तीज पूजन सामग्री

हरतालिका तीज पर पूजन के लिए - गीली काली मिट्टी या बालू रेत, बेलपत्र, शमी पत्र, केले का पत्ता, धतूरे का फल एवं फूल, अकांव का फूल, तुलसी, मंजरी, जनैव, नाडा, वस्त्र, सभी प्रकार के फल एवं फूल, फुलहरा (प्राकृतिक फूलों से सजा), मां पार्वती के लिए सुहाग सामग्री - मेहंदी, चूड़ी, बिछिया, काजल, बिंदी, कुमकुम, सिंदूर, कंघी, माहौर, बाजार में उपलब्ध सुहाग पुड़ा आदि, श्रीफल, कलश, अबीर, चन्दन, घी-तेल, कपूर, कुमकुम, दीपक, घी, दही, शक्कर, दूध, शहद पंचामृत के लिए आदि की जरूरत होगी।

 इस विधि से करें पूजा

  1. हरितालिका तीज का व्रत निर्जला होता है। सुबह बिना कुछ बोले स्नान करें।
  2. उसके बाद भगवान शिव को गंगाजल, दही, दूध, शहद आदि से स्नान कराने के लिए अपने पति की मदद लें। इसके बाद उन्हें फूल, बेलपत्र, धतुरा-भांग आदि चढ़ाएं। इसके बाद देवी पार्वती की शंकर जी के साथ पुन: पूजा करें।
  3. शाम के समय नए वस्त्र, फूल पत्रों से सजाकर फुलहार बनाए और तब शिव और पार्वती की पूजा करें।
  4. हालांकि बाजार में अब मिट्टी के गौरा पार्वती मिलते हैं, लेकिन आप चाहे तो खुद मिट्टी से गौरी-शंकर को बना कर उनकी पूजा करें।
  5. पूजा में सुहाग की सारी समग्री देवी गौरी को अर्पित करें और उनसे अपने सुहाग और संतान की रक्षा का आशीर्वाद मांगें।
  6. इसके बाद इस मंत्र का जाप करें - कात्यायिनी महामाये महायोगिनीधीश्वरी नन्द-गोपसुतं देवि पतिं में कुरु ते नम:।।

इसलिए किया जाता है हरतालिका तीज व्रत

हरतालिका तीज का सर्वप्रथम व्रत देवी पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए  किया था। इस व्रत और देवी की तपस्या को देख कर शिवजी प्रसन्न हो कर उन्हें पत्नी के रूप में स्वीकार किया था। यही कारण है कि हरतालिका तीज का महत्व बहुत है। मान्यता है कि देवी पार्वती ने जंगल में जाकर भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए कई साल तक तप किया था और उन्होंने ये व्रत बिना पानी लगातार किया था। जिसके बाद भगवान शिव ने उन्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकारा था। यह शिव-पार्वती की आराधना का सौभाग्य व्रत है, जो सुहागिनों के लिए बेहद पुण्य और फलदायी माना जाता है।

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