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Mohini Ekadashi 2020: मई के पहले इतवार को है मोह‍िनी एकादशी व्रत, याद रखें ये न‍ियम

Updated Apr 28, 2020 | 18:01 IST

Mohini Ekadashi Vrat 2020: वैशाख मास में आनी वाली मोह‍िनी एकादशी पापों से मुक्‍त‍ि देकर मोक्ष प्रदान करने वाली मानी जाती है। जानें कैसे रखें ये व्रत

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तस्वीर साभार:&nbspTwitter
Mohini Ekadashi Vrat : जानें कथा और न‍ियम

वैशाख मास की शुक्ल पक्ष को मोह‍िनी एकादशी मनाई जाती है। माना जाता है क‍ि इस व्रत को श्रीराम ने भी महर्ष‍ि वश‍िष्‍ठ की सलाह पर रखा था। इस दिन जो व्रत रखते हैं, वे मनुष्य मोहजाल से छुटकारा पा जाते हैं। मान्‍यता है क‍ि इस दिन भगवान श्री हरि विष्णु ने समुद्र मंथन से निकले अमृत कलश को दानवों से बचाने के लिए मोहिनी रूप धारण किया था। मोह‍िनी एकादशी व्रत की मह‍िमा में कहा गया है क‍ि विधिपूवर्क इस व्रत को रखने से व्यक्ति का आकर्षण और बुद्धि बढ़ती है। साथ ही व्‍यक्‍त‍ि के मान-सम्मान में भी वृद्ध‍ि होती है। 

Mohini Ekadahi 2020 Date and Muhurat
इस साल मोह‍िनी एकादशी 3 मई यानी महीने के पहले इतवार को है। 
एकादशी तिथ‍ि प्रारंभ : 3 मई सुबह 09 बजकर 9 मिनट से
एकादशी तिथ‍ि समाप्‍त :  04 मई, सोमवार सुबह 06 बजकर 12 मिनट पर
पारण : 4 मई, सोमवार, 1 बजकर 13 मिनट से 3 बजकर 50 मिनट तक

मोह‍िनी एकादशी का व्रत रखने के न‍ियम 

  • एकादशी व्रत के एक द‍िन पूर्व यानी दशमी को तामस‍िक भोजन न करें। 
  • एकादशी के द‍िन सुबह के समय गीता पाठ करना दोगुना फल देता है। 
  • एकादशी के दिन चावल नहीं खाने चाह‍िए। इसे इस द‍िन मांस का सेवन करने बराबर माना गया है। 
  • मह‍िलाओं को इस द‍िन झाड़ू नहीं लगानी चाह‍िए। इससे जीव हत्‍या हो सकती है। 
  • एकादशी का उपवास द्वादशी पर तोड़ें। और पहले जो भी खाएं, उसमें तुलसी दल जरूर डालें। 
  • एकादशी वाले द‍िन बाल या नाखून नही काटने या कटवाने चाह‍िए। 
  • व्रत वाले द‍िन सुबह और शाम को व‍िष्‍णु जी के मंत्र और आरती का जाप करें। 

मोह‍िनी एकादशी व्रत कथा 
पौराणिक कथाओं के अनुसार महाराजा युधिष्ठिर ने एक बार श्रीकृष्ण से पूछा कि वैसाख मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी का क्या नाम है और इसकी कथा कैसी है ? तब श्रीकृष्ण ने उस कथा के बारे में बताया जो गुरु वशिष्ठ ने भगवान श्रीराम को सुनायी थी। इस कथा के अनुसार प्राचीन काल में भद्रावती नाम का एक नगर था जो सरस्वती नदी के किनारे बसा हुआ था। इस नगर में धनपाल नाम का एक वैश्य रहता था जो हमेशा पुण्यकार्यों में लगा रहता था। उस वैश्य के पांच बेटे थे। उनमें चार बेटे अच्छे थे और पिता की आज्ञा मानते थे। लेकिन सबसे छोटा बेटा दुष्ट बुद्धि का था। 

उसकी हरकतों पर नाराज होकर पिता ने उसे घर से निकाल कर दिया। इस तरह वह सड़क पर रहकर भीख मांगने लगा। उसकी दशा बहुत खराब हो गयी। परेशान होकर वह कौटिल्य नाम के ब्राह्मण के पास गया और अपनी व्यथा सुनायी। उसकी व्यथा सुनकर उन्होंने मोहिनी एकादशी का व्रत करने को कहा। एकादशी का व्रत करने से उस दुष्ट बुद्धि के सभी पाप धुल गए और वह परलोक को चला गया। 

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