- नवरात्रि में घर को खाली न छोड़ें
- तामसिक भोजन का नौ दिन त्याग करें
- नवरात्रि में चमड़े की चीजों का प्रयोग न करें
29 सितंबर दिन रविवार से नवरात्रि शुरू हो चुकी है। हिंदू धर्म में नवरात्रि के दौरान कुछ चीजों को करने का विशेष पुण्य होता है तो कुछ चीजों को करने से पाप लगता है। माता का व्रत करने या न करने वाले सभी को नवरात्रि के नौ दिन कुछ नियम जरूर पालन करने चाहिए। ऐसा न करने से मां दुर्गा के कोप भाजन का भक्तों को शिकार होना पड़ता है।
वहीं कुछ चीजें मां की पूजा या नवरात्रि में करने का विशेष विधान होता है। यदि पूजा में इस विधान को अपनाया जाए तो जीवन के सारे कष्ट खत्म होते हैं और माता का आशीर्वाद प्राप्त होता है। नौ दिनों में कई मान्यताएं और परंपराएं होती हैं जिनका निर्वहन करना जरूरी होता है। आइए जानें कि नवरात्रि के नौ दिन में क्या करना शुभकारी है और क्या नहीं करना चाहिए।
नवरात्रि में पूजा में इन चीजों को जरूर करें
- यदि घर में कलश की स्थापना की है तो घर को कभी खाली न छोड़ें। माता की चौकी के पास ही अपना आसन लगाएं।
- कलश के पास ज्वारे जरूर रखने चाहिए।
- प्रतिदिन देवी मां को जल जरूर अर्पित करें।यदि आप न कर पाएं तो परिवार के सदस्य से कराएं।
- पूरे नवरात्रि आप नंगे पांव ही रहें। चप्पल न पहनें।
- यदि नौ दिन का व्रत न कर सकें तो प्रथम और अष्टमी का व्रत करें।
- व्रत का पुण्य तभी मिलेगा जब कुंवारी कन्याओं को भोजन खिलाएंगे।
- नवरात्रि में पूरे नौ दिनों तक देवी का विशेष श्रृंगार करें।
- माता की चौकी के समक्ष रक्षाधागा की बाती वाला अखंड ज्योत जरूर जलाएं।
नवरात्रि में इन चीजों का परेहज जरूर करें
- नवरात्रि में बाल काटवाना, दाढ़ी-मूंछ बनाना या नाखून काटना बंद कर दें।
- नवरात्रि में लहसुन-प्याज और तामसिक भोजन का त्याग कर दें।
- घर में अगर देवी की स्थापना किया हे तो रोज धुले वस्त्र ही पहनें। गंदे कपड़े तुंरत धो दें।
- मासिक धर्म के दौरान महिलाओं को देवी की पूजा नहीं करनी चाहिए। सात दिन तक पूजा करना वर्जित होती है।
- नवरात्रि में चमड़े के बने बेल्ट, चप्पल-जूते, बैग आदि का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
- नवरात्रि का व्रत रखने वालों को नौ दिन तक नींबू नहीं काटना चाहिए।
- नवरात्रि का व्रत करने वालों को दिन के समय सोना मना है।
- चालीसा, मंत्र या सप्तशती पढ़ रहे हैं तो पढ़ते हुए बीच कुछ और बात न करें। न ही पूजा से उठें।
- नवरात्रि में शारीरिक संबंध बनाने परहेज है।
ये वे नियम हैं जो शास्त्रों में वर्णित है। परहेज वाली चीजों का सख्ती से पालन करना जरूरी माना गया है।