- यदि आपको अपने पितरों की श्राद्ध तिथि ज्ञात है तो उस दिन दही बड़ा बनाकर मंदिर के पुजारियों को खिलाएं
- गीता जी का प्रतिदिन पाठ करें
- जिस दिन आपके पित्र का देहावसान हुआ है उस तिथि को अवकाश लेकर उनके स्मृतियों में रहें
Pitru Paksha 2019: हिंदू धर्म के अनुसार पितृ पक्ष का बेहद खास महत्व है। पुराणों के अनुसार श्राद्ध पक्ष में पितरों की आत्मा की शांति और मुक्ति के लिए पिंडदान किया जाता है जो कि एक अहम कर्मकांड माना जाता है। भारत के बाहर विदेशों में बहुत बड़ी संख्या में लोग रहते हैं।
भारत में ही महानगरों में बहुत ही व्यस्त जीवन के बीच समय निकालना बहुत मुश्किल होता है। यदि समय मिल भी गया तो उनको श्राद्ध के पूरे नियम ज्ञात नहीं हैं या कुछ संसाधन उनकी पहुँच के बाहर है। ज्योतिषाचार्य सुजीत जी महाराज के अनुसार ऐसी स्थिति में वो निम्न कार्य करें जिससे उनके पितरों की आत्मा को शांति मिले।
विदेशों में रहने वाले इस विधि से करें श्राद्ध
- यदि आपको अपने पितरों की श्राद्ध तिथि ज्ञात है तो उस दिन दही बड़ा बनाकर मंदिर के पुजारियों को खिलाएं।
- गजेंद्र मोक्ष का पाठ करें।
- यदि आपको अपने किसी पित्र की मृत्यु तिथि ज्ञात नहीं है तो पितृ अमावस्या की तिथि को गरुण पुराण तथा गीता का पाठ करके उनको स्मरण करें तथा उनके नाम पर आस पास के किसी मंदिर में भोजन पहुँचा दें।
- कौए इस समय पितर के रूप में भोजन ग्रहण करते हैं।इसलिए इस समय किसी भी दिन या रोज अपने भोजन में से कुछ हिस्सा पहले ही निकालकर काग के लिए सुरक्षित रख दें।
- गीता जी का प्रतिदिन पाठ करें। यदि समय का अभाव है तो रोज थोड़ा थोड़ा पढ़कर पूरे पितृ पक्ष तक इसे सम्पूर्ण कर दें।
- किसी शिव मंदिर इन पितरों के लिए श्री रामचरितमानस का अखंड पाठ कराकर भंडारा कराएं।
- जिस दिन आपके पित्र का देहावसान हुआ है उस तिथि को अवकाश लेकर उनके स्मृतियों में रहें। उनको खूब याद करें। मन ही मन शिव जी को ध्यान करते रहें तथा सायंकाल कुछ भोजन विहंगों को, कुछ कुत्तों को तथा कुछ गरीबों में दें।
- यदि आप विदेश में या देश के किसी बड़े शहर में हैं तथा समय का बहुत अभाव है तो रोज प्रातः नास्ता या भोजन के पहले कुछ भाग निकालकर एक प्लेट में रखें तथा उसको बाहर निकाल दें।
- पितरों को मन ही मन याद करें। ॐ नमः शिवाय का जप करते रहें तथा पितृ अमावस्या के दिन भंडारा कराएं या कुछ धन आस पास के मंदिर में अन्न हेतु दान करें।
इस प्रकार यदि आप बाहर हैं तथा आपके जीवन की व्यस्तताएं परेशान करती हैं, तो चिंता की कोई बात नहीं है। पितृ पक्ष का दार्शनिक तात्पर्य यह कि इसी बहाने हम जिन पूर्वजों को खो चुके हैं, उनको याद करते रहें। उनके बताए कदमों पर चलते रहें। उनके ऋणों को हम चुका तो नहीं सकते लेकिन कुछ दान पुण्य करके उनकी कर्ज को चुकाने हेतु कुछ पुण्य की प्राप्ति कर सकते हैं।