

- श्राद्ध का भोजन ब्राह्मण के जरिये पितरों तक पहुंचता है
- श्राद्ध का भोजन करते समय मौन धारण कर लेना चाहिए
- तीन जगह से ज्यादा ब्राह्मण श्राद्ध का भोजन न करें
हिन्दू धर्म में ब्राह्मण को देवाता के समान स्थान दिया गया है। इसलिए शुभ काम हो या अशुभ काम हर जगह ब्राह्मण की मदद और ब्राह्मणों को भोजन खिलाना बहुत महत्वपूर्ण होता है। पितरों की आत्मा की शांति और तृप्ति के लिए पितृपक्ष में हर कोई श्राद्ध करता है। अपनी इच्छा शक्ति और सामर्थ्य अनुसार सब पितरों का पिंडदान कर अपने घर में सुख-शांति बने रहने का रास्ता प्रशस्त करते हैं। श्राद्ध में तर्पण, पिंड दान और ब्राह्मण भोजन का विशेष महत्व बताया गया है।
मान्यता है कि यदि ब्राह्मण आपके भोजन कराने से प्रसन्न हो जाए तो इससे देवता ही नहीं पितृ भी शांत हो जाते हैं। ब्राह्मणों के मुख से खाया गया भोजन पितरों को पहुंचता है और वह मृत्युलोग खुशी से आपको अर्शीवाद देते हुए वापस लौट जाते हैं, लेकिन श्राद्ध पक्ष में ब्राह्मणों को भोजन करते हुए कुछ नियम जरूर जानने चाहिए। यदि नियमों का पालन न किया जाए तो श्राद्ध का भोजन ब्राह्मण के ग्रहण करने के बाद भी पितरों तक यह नहीं पहुंचा पाता। इसलिए ब्राह्मणों को नियम जरूर जानकर उसे पालन करना चाहिए।
श्राद्ध का भोजन ग्रहण करने वाले ब्राह्मण के लिए ये हैं 5 नियम
1-मौन धारण करके खाएं भोजन
ब्राह्मण के लिए पहला नियम है कि वह जब भी श्राद्ध का भोजन करें। मुख से कुछ न बोलें। मौन धारण कर अपना भोजन करें। यदि किसी चीज की आवश्यकता है तो उसे वे इशारे से बोलें। भोजन करने और पानी पीने के बाद ही वह अपना मौन तोड़े।
2-जैसा भोजन मिले खुश हो कर करें
श्राद्ध का भोजन करते समय या करने के बाद कभी भी भोजन में कमियां नहीं निकालनी चाहिए। भोजन में पिरजनों ने जो कुछ भी परोसा है उसे खुशी मन से ग्रहण करना चाहिए।
3-पत्तल या चांदी कि थाली में परोसें भोजन
श्राद्ध का भोजन जब आप ब्राह्मण को कराएं तो ध्यान रहे कि उनका भोजन पलाश के पत्तों से बने पत्तल या किसी भी पत्ते से बने पत्तल में परोंसे। ब्राह्मण को श्राद्ध का भोजन कभी मिठ्ठी के पात्र, स्टील या लोहे आदि में नहीं परोसना चाहिए।
4-भोजन के बारे में सवाल न करें
श्राद्ध का भोजन कराने के बाद भोजन से जुड़ी कोई भी बात नहीं करनी चाहिए। जैसे ब्राह्मण से ये बिलकुल न पूछें कि उन्हें भोजन कैसा लगा। कुछ कमी तो नहीं थी आदि।
5-भोजन के बाद दान न दें
श्राद्ध का भोजन करने के बाद ब्राह्मण को उस दिन किसी भी तरह का दान नहीं करना चाहिए। जैसे कच्चा अनाज या वस्त्र आदि न दें। ये अगले दिन दें।
6-ब्राह्मण तीन जगह से ज्यादा भोजन न करें
ब्राह्मण इस बात का ध्यान रखें की श्राद्ध का भोजन केवल तीन बार किया जा सकता है। यानी तीन बार से अधिक किसी जगह पर श्राद्ध के भोजन को न करें।
ये कुछ ऐसे महत्वपूर्ण नियम हैं श्राद्ध करने परिजन और ब्राह्मणों के लिए जो श्राद्ध कर्म के पूरा होने के लिए जरूरी है। अन्यथा इसका लाभ पितरों को नहीं मिल पाएगा।