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Rohini Vrat 2021: पति की दीर्घायु के लिए महिलाएं रखती हैं रोहिणी व्रत, जानें महत्व और पूजन विधि

Updated Sep 27, 2021 | 06:31 IST

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार जिस दिन सूर्योदय के बाद रोहिणी नक्षत्र पड़ता है, उस दिन रोहिणी व्रत किया जाता है। इस महीने ये 27 सितंबर, सोमवार को रोहिणी व्रत है।

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Rohini Vrat 2021
मुख्य बातें
  • इस महीने ये 27 सितंबर, सोमवार को रोहिणी व्रत है।
  • जैन समुदाय में रोहिणी व्रत का बहुत महत्व है।
  • महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए पूरे विधि विधान से रोहिणी व्रत करती हैं। 

Rohini Vrat 2021 Date Time, Importance, Puja Vidhi and Significance: पौराणिक मान्यताओं के अनुसार जिस दिन सूर्योदय के बाद रोहिणी नक्षत्र पड़ता है, उस दिन रोहिणी व्रत किया जाता है। इस महीने ये 27 सितंबर, सोमवार को रोहिणी व्रत है। जैन समुदाय में रोहिणी व्रत का बहुत महत्व है। यह व्रत हर महीने पूरी श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। रोहिणी व्रत रोहिणी नक्षत्र में ही किया जाता है और इस दिन भगवान वासुपूज्य की पूजा की जाती है।  यह व्रत हर महीने पूरी श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए पूरे विधि विधान से रोहिणी व्रत करती हैं। ये व्रत हर 27 दिनों में एक बार होता है। 

रोहिणी व्रत 2021: तिथि और समय

प्रारंभ: 26 सितंबर, 2021, दोपहर 02:33 बजे से
समाप्ति: 27 सितंबर, 2021 शाम 05:42 बजे तक
सूर्योदय 06:11 प्रात:
सूर्यास्त 06:11 सायं

रोहिणी व्रत का महत्व
इस दिन रोहिणी देवी की पूजा और आराधना की जाती है और पति की लंबी आयु के लिए प्रार्थना की जाती है। महिलाओं के अलावा पुरुष भी रोहिणी व्रत रखते हैं और देवी की उपासना करते हैं। यह व्रत करने से घर में धन धान्य और सुख समृद्धि आती है और व्यक्ति का जीवन सुखमय होता है। इसके अलावा इस दिन व्रत रखकर पूजा करने से व्यक्ति को सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है। 

रोहिणी व्रत पूजा विधि

  • इस दिन प्रातःकाल उठकर स्नान करना चाहिए और नए वस्त्र धारण करना चाहिए।
  • इसके बाद पूजा घर में पंचरत्न से निर्मित भगवान वासुपूज्य की प्रतिमा स्थापित करना चाहिए।
  • भगवान वासुपूज्य की विधि विधान से पूजा करने के बाद वस्त्र और फल फूल चढ़ाना चाहिए और नैवेध्य का भोग लगाना चाहिए।
  • रोहिणी व्रत के दिन गरीबों को अपनी सामर्थ्य के अनुसार दान दक्षिणा देना चाहिए।

इस प्रकार रोहिणी व्रत पूरे विधि विधान से करना फलदायी होता है और व्यक्ति को सभी सांसारिक कष्टों से मुक्ति मिल जाती है। इस दिन जैन धर्म के सभी लोग मिलकर भगवान वासुपूज्य की आराधना करते हैं। 

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