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Tulsi Vivah 2019: कब है तुलसी विवाह, जानें कैसे करें तुलसी और शालिग्राम का विवाह

Updated Nov 05, 2019 | 14:13 IST |

Tulsi Vivha 2019 Tithi: मान्यता अनुसार देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु चार महीने की निद्रा से जागते हैं। इसी दिन तुलसी विवाह भी होता है, जिसमें उनका विवाह शालिग्राम से करवाया जाता है।

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तस्वीर साभार:&nbspInstagram
Tulsi Vivah 2019
मुख्य बातें
  • देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु चार महीने की निद्रा से जागते हैं
  • इस दिन मां तुलसी का विवाह शालिग्राम से सनातन धर्म के अनुसार करवाया जाता है
  • तुलसी विवाह कार्तिक महीन की शुक्ल पक्ष के दिन यानि की देवउठनी एकादशी के दिन होता है

हिंदू धर्म में तुलसी विवाह को खास महत्‍व दिया जाता है। इस दिन मां तुलसी का विवाह शालिग्राम से सनातन धर्म के अनुसार करवाया जाता है। भगवान विष्णु को शालिग्राम का ही स्वरूप माना जाता है। यह विवाह ठीक उसी प्रकार से होता है जैसा आम विवाह। तुलसी विवाह कार्तिक महीन की शुक्ल पक्ष के दिन यानि की देवउठनी एकादशी के दिन होता है। इस साल देवउठनी एकादशी और तुलसी विवाह 9 नवंबर को मनाया जाएगा।

मान्यता अनुसार देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु चार महीने की निद्रा से जागते हैं। हिंदू पुराण के अनुसार तुलसी जी की पूजा के बिना शालिग्राम जी की पूजा नहीं की जा सकती है। यह अनुष्ठान कार्तिक शुक्ल पक्ष नवमी से ही प्रारम्भ हो जाता है तथा तुलसी विवाह तक अखण्ड दीप जलता रहता है।  इस विवाह को करवाने से कई जन्मों के पापों को नष्ट करता है। इस दिन व्रत रखने से अनंत पुण्य की प्राप्ति होती है। इसके अलावा इससे दांपत्य जीवन में प्रेम और अटूटता आती है।

तुलसी विवाह 2019 तिथि (Tulsi Vivha 2019 Tithi)
9 नवंबर 2019

तुलसी विवाह का महत्व (Tulsi Vivha Ka Mahatva)
देवउठनी एकादशी के दिन तुलसी के पौधे का विवाह शालिग्राम के साथ करवाया जाता है। यह पूजा प्रत्येक घर में होती है। तुलसी विवाह के दिन कन्या दान भी किया जाता है। क्योंकि कन्या दान को सबसे बड़ा दान माना जाता है। वहीं, जिनका दाम्पत्य जीवन बहुत अच्छा नहीं है वह लोग सुखी दाम्पत्य जीवन के लिए तुलसी विवाह करवा सकते हैं। युवा जो प्रेम में हैं लेकिन विवाह नहीं हो पा रहा है उन युवाओं को भी तुलसी विवाह करवाना चाहिए। तुलसी विवाह करवाने से कई जन्मों के पाप नष्ट होते हैं। तुलसी पूजा करवाने से घर में संपन्नता आती है तथा संतान योग्य होती है।

तुलसी विवाह की विधि-

  • तुलसी जी को लाल चुनरी पहनाकर पूरे गमले को लाल मंडप से सजाया जाता है।
  • शालिग्राम जी की काली मूर्ति ही होनी चाहिए। यदि ऐसा नहीं है तो विष्णु जी की मूर्ति ले सकते हैं।
  • गणेश पूजन के बाद गाजे बाजे के साथ शालिग्राम जी की बारात उठती है।
  • अब लोग नाचते गाते हुए तुलसी जी के सन्निकट जाते हैं।
  • उसके बाद भगवान विष्णु जी का आवाहन करते हैं।
  • भगवान विष्णु जी या शालिग्राम जी की प्रतिमा में प्राण प्रतिष्ठा कराते हैं।

 कन्यादान करने वाले संकल्प लेकर इस महान पुण्य को प्राप्त करते हैं। इस प्रकार यह विवाह करवाने वाले को अनंत पुण्य की प्राप्ति होती है।

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