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Charanjeet Singh: टोक्यो ओलंपिक-1964 में भारत को हॉकी का स्वर्ण पदक जिताने वाले कप्तान का निधन

Updated Jan 27, 2022 | 17:32 IST

Former Olympic gold winning Indian hockey captain Charanjeet Singh died: भारतीय हॉकी टीम को साल 1964 में टोक्यो ओलंपिक में गोल्ड मेडल दिलाने वाले कप्तान चरणजीत सिंह का निधन हो गया है। वो 91 साल के थे। 

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तस्वीर साभार:&nbspTwitter
टोक्यो ओलंपिक 1964 हॉकी मेडल सेरेमनी
मुख्य बातें
  • 91 साल की उम्र में हिमाचल प्रदेश के ऊना में हुआ निधन
  • साल 1960 में रजत जीतने वाली टीम में थे शामिल और 1964 में ओलंपिक गोल्ड जीतने वाली टीम के रहे थे कप्तान
  • पांच से चल रहे थे बीमारा, दिल का दौरा पड़ने से हुआ निधन

नई दिल्ली: भारत की 1964 टोक्यो ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता हॉकी टीम के कप्तान रहे चरणजीत सिंह का हिमाचल प्रदेश के ऊना में उनके घर पर दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। वह लंबे समय से उम्र से जुड़ी बीमारियों से भी जूझ रहे थे। चरणजीत अगले महीने अपना 91वां जन्मदिन मनाने वाले थे। उनके परिवार में दो बेटे और एक बेटी है। पांच साल पहले भी चरणजीत को स्ट्रोक हुआ था और तब से वह लकवाग्रस्त थे।

उनके बेटे वी पी सिंह ने बताया, 'पांच साल पहले स्ट्रोक के बाद से वह लकवाग्रस्त थे। वह छड़ी के सहारे चलते थे लेकिन पिछले दो महीने से उनकी हालत और खराब हो गई। उन्होंने गुरुवार सुबह अंतिम सांस ली।'

1960 ओलंपिक के फाइनल में चोट के कारण नहीं खेले
ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता टीम की कप्तानी के साथ वह 1960 रोम ओलंपिक की रजत पदक विजेता टीम में भी थे। इसके अलावा वह 1962 एशियाई खेलों की रजत पदक विजेता टीम के भी सदस्य थे। सिंह ने कहा, 'मेरी बहन के दिल्ली से आने के बाद उनका अंतिम संस्कार किया जायेगा।' चरणजीत की पत्नी का 12 वर्ष पहले निधन हो गया था। उनका बड़ा बेटा कनाडा में डॉक्टर है और छोटा बेटा उनके साथ था। उनकी बेटी विवाह के बाद से दिल्ली में रहती है।

पाकिस्तान को मात देकर दिलाया था स्वर्ण
दो बार के ओलंपियन चरणजीत भारतीय हॉकी के गौरवशाली दिनों के साक्षी थे। करिश्माई हाफ बैक चरणजीत की कप्तानी में भारत ने 1964 ओलंपिक के फाइनल में पाकिस्तान को हराकर खिताब जीता। वह देहरादून के कर्नल ब्राउन कैम्ब्रिज स्कूल और पंजाब यूनिवर्सिटी से पढ़े। अंतरराष्ट्रीय हॉकी में सुनहरे कैरियर को अलविदा कहने के बाद वह शिमला में हिमाचल प्रदेश यूनिवर्सिटी में शारीरिक शिक्षा विभाग के निदेशक भी रहे।

वह 1960 ओलंपिक में भारत के शानदार प्रदर्शन के नायकों में से रहे लेकिन चोट के कारण पाकिस्तान के खिलाफ फाइनल नहीं खेल सके जो भारत एक गोल से हार गया था। इसके चार साल बाद उनकी कप्तानी में टीम ने बदला चुकता करके पीला तमगा जीता।

पाकिस्तान को मात देना था मुश्किल काम
उन्होंने हॉकी इंडिया फ्लैशबैक सीरिज में कहा था, 'दोनों टीमें उस समय की सबसे मजबूत टीमें थीं। ओलंपिक फाइनल में पाकिस्तान के खिलाफ खेलना काफी तनावपूर्ण था और दोनों टीमों के सदस्यों का दिमाग ठंडा करने के लिये मैच कई बार रोका गया।' उन्होंने कहा था, 'मैंने अपने लड़कों से कहा कि उनसे बात करने की बजाय अपने खेल पर फोकस करो। हमारे सामने कठिन चुनौती थी लेकिन हम खरे उतरे और स्वर्ण पदक के साथ लौटे।'

चरणजीत थे हॉकी के कैप्टन कूल
हॉकी इंडिया ने चरणजीत के निधन पर शोक जताते हुए कहा कि भारत ने एक महान खिलाड़ी खो दिया। हॉकी इंडिया अध्यक्ष ज्ञानेंद्रो निगोंबम ने कहा, 'हॉकी जगत के लिये यह दु:खद दिन। उम्र के इस पड़ाव पर भी हॉकी का जिक्र आने पर उनकी आंखों में चमक आ जाती थी। उन्हें भारतीय हॉकी के उन गौरवशाली दिनों की हर याद ताजा थी जिनका वह हिस्सा रहे थे।'

उन्होंने कहा, 'वह महान हाफबैक थे जिन्होंने खिलाड़ियों की पूरी एक पीढ़ी को प्रेरित किया। वह शांतचित्त कप्तान थे और मैदान पर उन्हें उनके कौशल तथा मैदान के बाहर सज्जनता के लिये हमेशा याद रखा जायेगा।'