- हॉकी इंडिया को सीओए के अंतर्गत लाया गया
- दिल्ली उच्च न्यायालय ने हॉकी इंडिया पर बड़ा फैसला लिया
- क्या है न्यायालय के फैसले के पिछे की वजह
दिल्ली उच्च न्यायालय ने खेल संहिता के उल्लंघन के कारण हॉकी इंडिया के रोजमर्रा के कार्यों के संचालन की जिम्मेदारी तीन सदस्यीय प्रशासकों की समिति (सीओए) को सौंपी दी। उच्च न्यायालय का यह आदेश पूर्व भारतीय खिलाड़ी असलम शेर खान की याचिका पर आया है जिन्होंने भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) के अध्यक्ष नरिंदर बत्रा को हॉकी इंडिया का आजीवन सदस्य नियुक्त किए जाने को चुनौती दी थी।
उच्च न्यायालय ने कहा कि खेल संहिता के अंतर्गत हॉकी इंडिया का बत्रा को ‘आजीवन सदस्य’ और एलेना नोर्मन को सीईओ नियुक्त करना अवैध था।
सात दिन के भीतर दो राष्ट्रीय महासंघों को सीओए के अंतर्गत लाया गया है। उच्चतम न्यायालय ने खेल संहिता के उल्लंघन के लिए 18 मई को अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (एआईएफएफ) के संचालन के लिए तीन सदस्यीय सीओए की नियुक्ति की थी।
एआईएफएफ से संबंधित उच्चतम न्यायालय के मामले का संदर्भ लेते हुए उच्च न्यायालय ने उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश एआर दवे की अगुआई में प्रशासकों की समिति का गठन किया जिसके सदस्य पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी और भारतीय हॉकी टीम के पूर्व कप्तान जफर इकबाल होंगे। उच्च न्यायालय ने कहा, ‘‘यह जनहित में होगा कि इसके (हॉकी इंडिया के) कामकाज का संचालन प्रशासकों की समिति (सीओए) को सौंप दिया जाए जैसा उच्चतम न्यायालय ने 18 मई 2022 को एक अन्य राष्ट्रीय खेल महासंघ अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (एआईएफएफ) के मामले में निर्देश दिया था।’’
न्यायमूर्ति नजमी वजीरी और न्यायमूर्ति स्वर्ण कांता शर्मा की पीठ ने अपने आदेश में कहा, ‘‘प्रतिवादी नंबर दो (हॉकी इंडिया) का प्रशासनिक ढांचा, आजीवन अध्यक्ष और आजीवन सदस्यों के कारण गलत और अवैध ढंग से गठित है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘भारत सरकार ऐसे राष्ट्रीय खेल महासंघ को मान्यता नहीं दे सकती जिसका संविधान खेल संहिता के अंतर्गत नहीं हो। राष्ट्रीय खेल महासंघ में आजीवन अध्यक्ष, आजीवन सदस्य के पद अवैध हैं और साथ ही प्रबंधन समिति में सीईओ का पद भी। इन पद को हटाया जाता है।’’
हॉकी इंडिया के सूत्र ने कहा कि महासंघ ने 30 मई को आपात बैठक बुलाई है। सूत्र ने कहा, ‘‘हमने अब तक पूरा आदेश नहीं पढ़ा है लेकिन भविष्य की कार्रवाई पर फैसला करने के लिए हम पहले ही 30 मई को नयी दिल्ली में आपात बैठक बुला चुके हैं। इसलिए इस मुद्दे पर हम अब कोई प्रतिक्रिया नहीं देंगे।’’ उच्च न्यायालय ने कहा कि हॉकी इंडिया के संविधान/‘मेमोरेंडम आफ एसोसिएशन’ से इस तरह के सभी संदर्भों को हटाया जाएगा।
सीबीआई ने कुछ हफ्तों पहले ही हॉकी इंडिया के कोष से 35 लाख रुपये के कथित गलत इस्तेमाल के मामले में प्रारंभिक जांच पंजीकृत की थी। शिकायत में आरोप लगाया गया था कि हॉकी इंडिया के कोष से 35 लाख रुपये का इस्तेमाल बत्रा के निजी फायदे के लिए किया गया। उच्च न्यायालय ने सीओए को अधिकार दिया है कि वे हॉकी इंडिया का जो भी पैसा बत्रा की तरफ बनता है उसे वसूले। साथ ही समिति को जवाबदेही लाने को कहा गया है।
अदालत के आदेश में कहा गया, ‘‘सीओए को तय करना होगा कि ऐसे लोगों पर कितना पैसा खर्च किया गया और इसे वसूलने की प्रक्रिया शुरू करनी होगी, भारत सरकार को भी। इस तरह के गैरजरूरी और अवैध पदों पर हुए खर्च को वसूलने की जरूरत है और जवाबदेही होनी चाहिए।’’
जहां तक हॉकी इंडिया की मुख्य कार्यकारी अधिकारी एलेना का सवाल है तो अदालत ने कहा कि मौजूदा सीईओ के खिलाफ वसूली नहीं होगी क्योंकि वह मतदान का अधिकार रखने वाली पदाधिकारी नहीं हैं और सिर्फ प्रशासक की हैसियत से महासंघ की सहायता कर रही थी। अदालत ने कहा कि सलाहकार के रूप में सीईओ की सेवा बरकरार रखने से जुड़ा फैसला सीओए कर सकता है।
अदालत ने साथ ही कहा कि खेल संहिता के अनुरूप संविधान के अनुसार नए चुनाव कराए जाने तक हॉकी इंडिया के संचालन के लिए सीओए सभी उचित इंतजाम कर सकता है। अदालत ने कहा कि सीओए के सदस्यों के स्वीकृति देने के बाद 20 हफ्ते के भीतर संविधान के अनुसार चुनाव कराए जाने को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।