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तेनजिंग नॉर्गे और एडमंड हिलेरी ने आज ही के दिन माउंट एवरेस्‍ट की ऊंचाई को बनाया था बौना

Updated May 29, 2020 | 08:51 IST

On this day in history: लोगों के लिए जो सपना बना हुआ है, उसे एडमंड हिलेरी और तेनजिंग नॉर्गे ने साकार करके दिखाया। दोनों ने आज के दिन माउंट एवरेस्‍ट पर फतह हासिल की थी।

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एडमंड हिलेरी और तेनजिंग नॉर्गे
मुख्य बातें
  • एडमंड हिलेरी और तेनजिंग नॉर्गे ने माउंट एवरेस्‍ट पर फतह हासिल की थी
  • ब्रिटेन की महारानी ने एडमंड को नाइट की उपाधि दी थी
  • सर जॉन हंट के नेतृत्‍व में एडमंड हिलेरी एवरेस्‍ट नापने चले गए थे

नई दिल्‍ली: आज से ठीक 67 साल पहले यानी 29 मई 1953 को एडमंड हिलेरी और तेनजिंग नॉर्गे ने माउंट एवरेस्‍ट पर फतह हासिल करके इसे बौना साबित कर दिया गया था। यही वजह है कि आज का दिन इतिहास के पन्‍नों में अमर हो गया। एडमंड हिलेरी और तेनजिंग नॉर्गे ने एवरेस्‍ट की बर्फ से ढंकी ऊंची और दुर्गम चोटियों पर फतह हासिल की थी। ऐसा करने वाले वो पहले इंसान थे। ब्रिटेन की महारानी ने हिलेरी की सफलता पर खुशी जताते हुए उन्‍हें नाइट की उपाधि दी थी।

सर जॉन हंट ने किया नेतृत्‍व 

1953 में सर जॉन हंट के नेतृत्‍व में दुनिया के 20 अन्‍य सबसे बेहतरीन पर्वतारोहियों के साथ एडमंड हिलेरी माउंट एवरेस्‍ट नापने निकल पड़े। लोग अच्‍छी तरह जानते हैं कि माउंट एवरेस्‍ट की चढ़ाई बिलकुल आसान नहीं है। इससे पहले 63 देशों के करीब 1200 पर्वतारोहियों ने एवरेस्‍ट पर फतह करने की कोशिश की, लेकिन कोई सफल नहीं हुआ। एडमंड भी पहली बार एवरेस्‍ट की चढ़ाई करने में कामयाब नहीं हुए थे। उन्‍होंने खुद एक इंटरव्‍यु में इसका खुलासा किया था।

'मेरा हौसला पहले से ज्‍यादा ऊंचा होगा'

एडमंड हिलेरी अपने पिता का मधुमक्‍खी पालन के काम में हाथ बंटाते थे। कुछ दिनों बाद उन्‍होंने पिता के साथ काम करने के लिए अपनी पढ़ाई छोड़ दी थी। हालांकि, बाद में हिलेरी ने दोबारा पढ़ाई शुरू की। 

हिलेरी ने हिमालय की तरफ देखकर कहा था, 'मैं फिर आऊंगा। तुम उस समय भी इतने ऊंचे रहोगे, लेकिन मेरा हौसला पहले से कुछ ज्‍यादा होगा।' बता दें कि जॉन हंट इससे पहले 7 एवरेस्‍ट अभियानों का नेतृत्‍व कर चुके थे। एडमंड जिस टीम में थे, उसमें उन्‍हें तेनजिंग का साथ मिल रहा था। वो पर्वतारोहण के काम में माहिर थे। यही वो समय था जब एडमंड हिलेरी और तेनजिंग नॉर्गे की दोस्‍ती बढ़ रही थी।

इस तरह फतह पाई

जानकारी के मुताबिक मार्च 1953 में 25,900 फीट की ऊंचाई पर बेस कैंप तैयार कर दिया गया था। 26 मई को सर जॉन हंट ने मे बाउड्रीलन और इवान्‍स को पहले दल के रूप में चढ़ाई के लिए भेजा था। इवान्‍स का ऑक्‍सीजन सिस्‍टम रास्‍ते में फेल हो गया, जिसकी वजह से उन्‍हें वापस लौटना पड़ा। फिर जॉन हंट ने दूसरी टीम के रूप में हिलेरी और तेनजिंग को भेजा। ठंडी बर्फीली हवाओं के कारण उन दोनों को दक्षिण हिस्‍से तक पहुंचने में दो दिन का समय लगा और फिर 29 मई का दिन ऐतिहासिक बन गया।