- आईडब्ल्यूएफ जूनियर विश्व चैंपियनशिप
- हर्षदा ने गोल्ड मेडल पर कब्जा जमाया
- प्रतियोगिता के पहले दिन पदक जीता
नई दिल्ली: हर्षदा शरद गरुड सोमवार को यूनान के हेराकलियोन में आईडब्ल्यूएफ जूनियर विश्व चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय भारोत्तोलक बनीं। महिला 45 किग्रा वर्ग में 18 साल की हर्षदा ने कुल 153 किग्रा (70 किग्रा और 83 किग्रा) वजन उठाकर स्वर्ण पदक जीता और प्रतियोगिता के पहले ही दिन भारत के पदक का खाता खोला।
हर्षदा ने स्नैच में 70 किग्रा के प्रयास के साथ स्वर्ण पदक पक्का किया जबकि क्लीन एवं जर्क के बाद वह तुर्की की बेकतास कान्सु (85 किग्रा) के बाद दूसरे स्थान पर चल रहीं थी। बेकतास ने कुल 150 किग्रा (65 किग्रा और 85 किग्रा) वजन उठाकर रजत पदक जीता।
हर्षदा ने पीटीआई को फोन पर बताया, 'मैं बेहद खुश हूं, मेरे पास अभी अपनी खुशी को जाहिर करने के लिए शब्द नहीं हैं।' उन्होंने कहा, 'मेरे पिता राज्य स्तर के भारोत्तोलक थे। हालांकि मैंने उन्हें कभी प्रतिस्पर्धा पेश करते हुए नहीं देखा। मैंने उनकी कहानियां और उनके बारे में कहानियां सुनी। मैंने कभी इसके अलावा कुछ और करने के बारे में नहीं सोचा।'
खेलो इंडिया युवा खेलों में अंडर-17 लड़कियों के वर्ग का खिताब जीतने वाली हर्षदा छह साल पहले 12 साल की उम्र में अपने पिता शरद गरुड के जोर देने पर भारोत्तोलन से जुड़ी थी। जूनियर विश्व चैंपियनशिप से पहले पटियाला के नेताजी सुभाष राष्ट्रीय खेल संस्थान में एक महीने की ट्रेनिंग के दौरान टीम को ओलंपिक रजत पदक विजेता मीराबाई चानू सहित सीनियर भारोत्तोलकों से मिलने का मौका मिला था।
हर्षदा ने कहा, 'हमें सब को सीनियर खिलाड़ियों से बात करने का मौका मिला। मैंने मीरा दीदी से बात की, उनसे उनकी यात्रा के बारे में पूछा। यह शानदार रहा।' हर्षदा के ही वर्ग में मालदोवा की हिन्कु तियोडोरा ने कुल 149 किग्रा (67 किग्रा और 82 किग्रा) वजन के साथ कांस्य पदक अपने नाम किया। यह वर्ग ओलंपिक खेलों का हिस्सा नहीं है। इसी वर्ग में हिस्सा ले रही एक अन्य भारतीय अंजलि पटेल कुल 148 किग्रा (67 किग्रा और 81 किग्रा) वजन उठाकर पांचवें स्थान पर रहीं।
महाद्वीपीय और विश्व चैंपियनशिप में स्नैच, क्लीन एवं जर्क तथा कुल वजन में अलग अलग पदक दिए जाते हैं जबकि ओलंपिक में सिर्फ कुल वजन वर्ग में पदक दिया जाता है। जूनियर विश्व चैंपियनशिप में इससे पहले 2013 में मीराबाई चानू और झिली डालबेहड़ा ने 2018 में कांस्य जबकि पिछले साल अचिंता श्युली ने रजत पदक जीता था।