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टोक्यो ओलंपिक में भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ियों का ये होगा टारगेट, पीवी सिंधू मेडल की प्रबल दावेदार

Updated Jul 07, 2021 | 14:55 IST

India badminton team Tokyo Olympic: भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी टोक्यो ओलंपक में अपना दमखम दिखाने को तैयार हैं। बैडमिंटन खिलाड़ी पदक की हैट्रिक बनाने उतरेंगे।

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तस्वीर साभार:&nbspPTI
पीवी सिंधू (फाइल फोटो)
मुख्य बातें
  • टोक्यो ओलंपक का आगाज जल्द होने वाला है
  • बैडमिंटन खिलाड़ी दमखम दिखाने को तैयार हैं
  • पदक की हैट्रिक बनाने उतरेंगे बैडमिंटन खिलाड़ी

नई दिल्ली: साइना नेहवाल और पीवी सिंधू के पदक के सफर को आगे बढ़ाते हुए भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी आगामी टोक्यो ओलंपिक खेलों में पदक की हैट्रिक पूरी करने के लक्ष्य के साथ उतरेंगे। साइना लगभग नौ साल पहले चार अगस्त 2012 को लंदन खेलों में कांस्य पदक के साथ बैडमिंटन में ओलंपिक पदक जीतने वाली पहली भारतीय बनीं थी जबकि चार साल बाद रियो ओलंपिक में सिंधू ने 19 अगस्त 2016 को रजत पदक अपने नाम किया। सिंधू को फाइनल में कड़े मुकाबले में स्पेन की कैरोलिना मारिन के खिलाफ शिकस्त का सामना करना पड़ा।

सिंधू महिला एकल में पदक की दावेदार

पिछले दोनों ओलंपिक में भारत ने पांच में से चार वर्ग में चुनौती पेश की थी लेकिन इस बार भारतीय खिलाड़ी सिर्फ तीन वर्ग में क्वालीफाई करने में सफल रहे हैं। साइना नेहवाल भी खराब रैंकिंग के कारण लगातार चौथी बार ओलंपिक में खेलने का अपना सपना पूरा नहीं कर सकीं। विश्व चैंपियनशिप 2019 की स्वर्ण पदक विजेता और 2016 रियो ओलंपिक की रजत पदक विजेता सिंधू महिला एकल में भारत के लिए पदक की प्रबल दावेदार हैं जबकि पुरुष एकल में पदक जीतने का दारोमदार विश्व चैंपियनशिप 2019 के कांस्य पदक विजेता बी साई प्रणीत के कंधों पर होगा। 

पुरुष युगल में रंकीरेड्डी-शेट्टी से उम्मीद

पुरुष युगल में सात्विकसाईराज रंकीरेड्डी और चिराग शेट्टी की जोड़ी भारत का प्रतिनिधित्व करेगी और दुनिया की 10वें नंबर की यह जोड़ी उलटफेर करने में सक्षम है। सिंधू रियो ओलंपिक के फाइनल में मारिन के खिलाफ कड़े मुकाबले में 21-19, 12-21, 15-21 से हार गई थी लेकिन ओलंपिक में रजत पदक जीतने वाली पहली भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी बनीं। यह स्टार खिलाड़ी अब टोक्यो में एक कदम आगे बढ़कर सोने का तमगा अपने नाम करने के इरादे से उतरेगी। दूसरी तरफ साई प्रणीत विश्व चैंपियनशिप 2019 में दिखा चुके हैं कि वह दुनिया के शीर्ष खिलाड़ियों को हराने में सक्षम हैं। साई प्रणीत का लक्ष्य ओलंपिक में पदक जीतने वाला पहला पुरुष बैडमिंटन खिलाड़ी बनने का होगा।

पहली बार 1992 में खेला बैडमिंटन 

बैडमिंटन में भारत के ओलंपिक सफर की शुरुआत 1992 बार्सीलोना खेलों में दीपांकर भट्टाचार्य, विमल कुमार और मधुमिता बिष्ट ने की थी जब पहली बार इस खेल को खेलों के महाकुंभ में शामिल किया गया था। दीपांकर ओलंपिक में पहले ही प्रयास में क्वार्टर फाइनल में पहुंचने में सफल रहे जहां उन्हें तत्कालीन विश्व चैंपियन झाओ जियानहुआ के खिलाफ शिकस्त का सामना करना पड़ा। मधुमिता ने पहले दौर में आइसलैंड की एल्सा नीलसन के खिलाफ आसान जीत दर्ज की लेकिन दूसरे दौर में ग्रेट ब्रिटेन की जोआन मुगेरिज के खिलाफ हार गई। विमल को भी पहले दौर में डेनमार्क के थॉमस स्टुए लॉरिडसेन के खिलाफ शिकस्त झेलनी पड़ी।

दीपांकर-विमल पहले दौर में नाकाम

दीपांकर और विमल की जोड़ी भी पुरुष युगल में पहले दौर की बाधा को पार करने में नाकाम रही। चार साल बाद अटलांटा 1996 ओलंपिक में दीपांकर और पीवीवी लक्ष्मी ने भारत का प्रतिनिधित्व किया लेकिन ये दोनों ही क्रमश: पुरुष एकल और महिला एकल में दूसरे दौर में ही हार गए। सिडनी ओलंपिक 2000 में भारत के मौजूदा मुख्य कोच पुलेला गोपीचंद और अपर्णा पोपट ने भारत की ओर से चुनौती पेश की। अपर्णा को महिला एकल के पहले दौर में ही शिकस्त झेलनी पड़ी। गोपीचंद ने शुरुआती दो दौर में जीत दर्ज की लेकिन तीसरे दौर में इंडोनेशिया के हेंद्रावान के खिलाफ सीधे गेम में उन्हें 9-15, 4-15 से हार गए। हेंद्रावान ने बाद में फाइनल में जगह बनाई और रजत पदक जीता।