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सलामः कभी इनकी की थी मदद, अब जरूरत के समय ये खिलाड़ी इनके लिए आगे आया

Updated Apr 13, 2020 | 19:30 IST

भारतीय फुटबॉलर शुभाशीष ने कोलकाता में लॉकडाउन के दौरान मदद के हाथ आगे बढ़ाए हैं और वो गरीबों की मदद में जुटे हैं। इसके अलावा शुभाशीष ने भावुक होते हुए अपनी पुरानी कहानी भी बताई।

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तस्वीर साभार:&nbspTwitter
Subhasish Bose
मुख्य बातें
  • भारतीय फुटबॉलर शुभाशीष बोस कर रहे हैं वो काम जिसे जानकर आप भी करेंगे सलाम
  • जिन्होंने जरूरत के दिनों में की मदद, अब वो कर रहे हैं उनकी मदद
  • लॉकडाउन के दौरान गरीबों की मदद को आगे एक शुभाशीष

कोलकाता: इस समय पूरे विश्व में कोरोनावायरस ने कहर बरपाया हुआ है। अधिकतर देशों में लॉकडाउन है और तमाम कारोबार भी ठप्प पड़े हैं। एक तरफ जहां ये लॉकडाउन लोगों को कोरोना जैसी घातक बीमारी से बचा रहा है, वहीं दूसरी तरफ कुछ साइड इफेक्ट्स भी हैं। सबसे बड़ी मुश्किल की घड़ी उन लोगों की है जो बेघर हैं या इस लॉकडाउन की वजह से उनके पास रोजगार नहीं है। उनके लिए खाने की भी दिक्कत हो चुकी है। इस स्थिति को देखते हुए सरकार के अलावा आम व खास लोग भी अपने-अपने तरीके से लोगों की मदद का प्रयास कर रहे हैं। भारतीय फुटबॉलर शुभाशीष बोस भी कुछ ऐसा ही महत्वपूर्ण काम कर रहे हैं।

भारतीय फुटबॉल टीम के खिलाड़ी  सुभाशीष बोस दक्षिण 24 परगना जिले के अपने गृहनगर सुभाषग्राम में बेघरों और बेरोजगारों को खाना खिला रहे हैं। देशभर में लॉकडाउन के बीच सुभाषग्राम में हर सुबह स्थानीय रिक्शा चालकों, दिहाड़ी मजदूरों और छोटे-मोटे रेहड़ी-पटरी वालों की लंबी लाइन देखी जा सकती है जो अपने लिए राशन लेने आते हैं।

उन्होंने बहुत किया, अब मेरी बारी है

भारतीय टीम के सदस्य बोस दूसरी तरफ इन लोगों को खाने के पैकेट बांट रहे होते हैं जिसमें चावल, दाल, आलू, प्याज और अन्य जरूरी सामान होता है। वह इस तरह लोगों की मदद कर रहे हैं। शुक्रवार से लोगों के बीच खाने का सामान बांट रहे बोस ने पीटीआई से कहा, ‘रिक्शा चलाने वाले कितनी बार मुझे स्थानीय मैचों के लिए मुफ्त में लेकर गए और वापस आए, शानदार प्रदर्शन के बाद स्थानीय दुकानदारों ने मुफ्त में मुझे खाने के पैकेट दिए... मुझे लगता है कि अब समय है कि मैं उन्हें कुछ वापस दूं।’’

बहुत संतोष होता है

शुभाशीष ने कहा, ‘‘उस समय काफी संतोष होता है जब मैं अपने इलाके में उन जाने पहचाने चेहरों को खाने का सामान देता हूं जिनके सामने मैं बड़ा हुआ।’’ कोविड-19 महामारी के संक्रमण को रोकने के लिए भारत में 24 मार्च ने लाकडाउन घोषित किया गया था और इसके बाद दिहाड़ी मजदूरों और बेहद गरीब लोगों को सबसे अधिक परेशानी का सामना करना पड़ा है। जब लॉकडाउन का ऐलान हुआ था तब लाखों लोगों को पैदल ही अपने-अपने राज्यों की ओर रवाना होना पड़ा था। ऐसे में उनकी स्थिति और भी खराब हो गई थी।