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स्‍पेन में अटकी, पैसे नहीं हैं, भाई के अंतिम संस्‍कार से चूकी: अब इस भारतीय खिलाड़ी ने बयां किया दर्द

Updated May 18, 2020 | 18:32 IST

Takeme Sarkar on lockdown: भारतीय पैडलर इतनी सारी तकलीफों से घिरी हुई हैं। वह जल्‍द से जल्‍द भारत लौटना चाहती हैं क्‍योंकि उनके भाई का सड़क दुर्घटना में देहांत हो गया था। वो अपने माता-पिता से मिलना चाहती हैं।

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टेकमी सरकार
मुख्य बातें
  • लॉकडाउन के कारण स्‍पेन में फंसी भारतीय पैडलर टेकमी सरकार
  • टेकमी स्‍पेन में निजी ट्रेनिंग और प्रतिस्‍पर्धा करने के लिए गई थी
  • सरकार इस समय काफी परेशान हैं और वह जल्‍द भारत लौटना चाहती हैं

नई दिल्‍ली: भारतीय टेबल टेनिस खिलाड़ी टेकमी सरकार अपने खेल को अगल स्‍तर पर ले जाना चाहती हैं ताकि विश्‍व स्‍तरीय खिलाड़‍ियों से प्रतिस्‍पर्धा कर सकें। इसलिए उन्‍होंने इस साल फरवरी में स्‍पेन जाकर ट्रेनिंग लेने का फैसला किया। सिलीगुड़ी की पैडलर ने अपने बैग पैक किए, अपने माता-पिता और भाई को गले लगाकर एयरपोर्ट चली गईं। 

मगर उन्‍हें नहीं पता था कि वह आखिरी बार अपने छोटे भाई को गले लगा रही हैं। कोरोना वायरस महामारी के कारण लॉकडाउन में स्‍पेन में अटकी टेकमी के छोटे भाई की मौत मार्च में एक सड़क दुर्घटना के दौरान हुई। टेकमी को स्‍पेन पहुंचे तक एक महीना ही हुआ था। टेकमी सिर्फ फोन पर अपने माता-पिता से बात करके खूब रोईं, लेकिन इसके अलावा वह कुछ कर भी नहीं सकती थीं।

बिछड़ गया भाई

टेकमी ने स्‍पेन से टाइम्‍सऑफ इंडियां डॉट कॉम को दिए इंटरव्‍यू में कहा, 'मेरा परिवार मेरे सिलीगुड़ी लौटने का इंतजार कर रहा है। वहां भी भयानक परिस्थिति है। मैंने 23 मार्च को सड़क दुघर्टना में अपने छोटे भाई को खो दिया। मैं अंदर से बिखरी हुई हूं। मुझे अपने परिवार की बहुत चिंता है। मुझे जब से यह खबर मिली है, तब से दिन रात रो रही हूं। काश मैं आखिरी बार अपने भाई को देख पाती और इस समय अपने माता-पिता का समर्थन कर रही होती। मैं उसे अपनी पूरी जिंदगी में मिस करूंगी। यहां एक भी दिन बिताना मुश्किल हो रहा है। मैं वाकई बहुत निराश हूं।'

भारत की नंबर-13 टेकमी निजी ट्रेनिंग के लिए स्‍पेन गई थीं और क्‍लब टूर्नामेंट में प्रतिस्‍पर्धा करने वाली थीं। मगर वो भी तब से लॉकडाउन में हैं। उन्‍होंने कहा, 'मैं स्‍पेन में प्रीगो डी कोरडोबा में अटकी हुई हूं। मैं यहां 25 फरवरी को निजी ट्रेनिंग और क्‍लब टूर्नामेंट के लिए आई थी। महामारी के कारण टूर्नामेंट को रोकना पड़ा और मैं घर नहीं लौट सकी। मैं यहां उच्‍च-पेशेवर ट्रेनर्स के अंडर में निजी ट्रेनिंग करने आई थी। मैंने प्रोत्‍साहन, अनुभव और विश्‍वास हासिल करने के लिए कुछ मैच भी खेले। मैं भारत की नंबर-13 खिलाड़ी हूं। अंतरराष्‍ट्रीय खिलाड़‍ियों के साथ खेलने से आपको अलग अनुभव मिलता है और इसलिए मैं यहां आईं हूं।'

लौटने में दिक्‍कत

27 साल की भावुक टेकमी ने आगे कहा, 'मैं एक अपार्टमेंट में रह रही हूं। क्‍लब मेरा ख्‍याल रख रहा है। क्‍लब सदस्‍य मेरी काफी मदद कर रहे हैं। मेरी दो फ्लाइट रद्द हो चुकी हैं और 10 मई को तुर्किश एयरलाइंस से तीसरी फ्लाइट बुक थी, लेकिन टिकट रद्द हो गए। ऐसा इसलिए केंकि मैं जिस क्षेत्र में हूं वो सील है और मुझे एयरपोर्ट जाने के लिए कैब नहीं मिल रही है। मेरा वीजा 10 मई तक के लिए वैध था, जो अब एक्‍सपायर हो चुका है। मैंने किसी तरह भारतीय एंबेसी में बात की और उन्‍होंने मुझे मदद देने का भरोसा जताया है।'

उन्‍होंने आगे कहा, 'मैंने दूतावास में गुजारिश की और उन्‍होंने मुझे मदद का भरोसा दिलाया। मैं बस हर हाल में जल्‍द से जल्‍द घर जाना चाहती हूं। स्‍पेन में जो भारतीय दूतावास है, उन्‍होंने मेरी सारी डिटेल्‍स लिख ली है। बस मैं अपनी बारी का इंतजार कर रही हूं।' भारतीय पैडलर दो महीने के हिसाब से पर्याप्‍त रुपए लेकर आईं थीं क्‍योंकि यह निजी दौरा था। 27 साल की खिलाड़ी के पास लेकिन अब पैसों की तंगी आ चुकी है। इस वजह से उनकी हालत और भी खराब है।

कंगाली छाई

टेकमी ने कहा, 'पैसों के मामले में मैं जो भी भारत से लाई थी, वह सब खर्च हो गए हैं। मुझे तो पहले ही लौट जाना था। अब लॉकडाउन बढ़ गया तो मेरे खर्चे भी बढ़ गए। मैंने खाने, अपार्टमेंट का किराया, बिजली आदि के खर्चे भरे। मैं दो महीने के हिसाब से पैसे लाई थी। अब मैं रोजाना के खर्चे भी नहीं उठा पा रही हूं। मैंने 300 रुपए के एक किलो चावल खरीदे और सब्जियों के लिए अलग से पैसे देने होते हैं। 200 यूरो मेरे अपार्टमेंट का किराया है। मेरे लिए यह भी एक बड़ी समस्‍या है।'

भारतीय टेबल टेनिस संघ के सदस्‍य टेकमी के संपर्क में हैं और उन्‍हें मदद का पूरा भरोसा दिलाया जा रहा है।