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36 साल पहले आज ही के दिन बछेंद्री पाल ने फतह किया था सफलता का 'माउंट एवरेस्ट'

Updated May 22, 2020 | 08:55 IST

36 साल पहले बछेंद्री पाल(Bachendri Pal) ने माउंट एवरेस्ट(Mount Everest) की सफलतापूर्वक चढ़ाई करके भारतीय महिलाओं को सफलता के जिस शिखर पर पहुंचा दिया था।

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Bachendri Pal
मुख्य बातें
  • 22 मई 1984 को बछेंद्री पाल ने फतह किया था माउंट एवरेस्ट
  • ये उपलब्धि हासिल करने वाली वो पहली भारतीय और दुनिया की पांचवीं महिला पर्वतारोही बनी थीं
  • भारत सरकार ने उन्हें इस उपलब्धि के लिए 1984 में पद्मश्री और 1986 में अर्जुन पुरस्कार से नवाजा था

नई दिल्ली: 21वीं सदी में खेलों की दुनिया में महिलाएं भारतीय परचम लहरा रही हैं। लेकिन आज से 36 साल पहले पर्वतारोही बछेंद्री पाल ने जो कारनामा कर दिखाया था वो अपने आप में अद्भुत था। 22 मई 1984 को अपने 30वें जन्मदिन से ठीक 2 दिन पहले उन्होंने एवरेस्ट फतह करके   भारतीय महिलाओं के सपनों को जो उड़ान दी थी वो आज भी बदस्तूर जारी है।  

बछेंद्री पाल का जन्म उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के नकुरी 24 मई 1954 को हुआ था। खेतिहर परिवार में जन्मी बछेंद्री की शिक्षा दीक्षा अच्छी रही और उन्होंने बी.एड. तक की पढ़ाई पूरी की। उनके पिता व्यापारी थे जो भारत से तिब्बत सामना बेचने जाते थे। मेधावी और प्रतिभाशाली होने के बावजूद उन्हें कोई अच्छी नौकरी नहीं मिली। उन्हें उस समय रोजगार के जो कुछ भी मौके मिले वो अस्थायी और जूनियर स्तर के थे। इसके अलावा मिलने वाली तनख्वाह भी बेहद कम थी।

नौकरी नहीं मिली तो निराशा में किया माउंटेनियरिंग कोर्स 
ऐसी स्थिति में बछेंद्री बेहद निराश हुईं और नौकरी करने के बजाय देहरादून स्थित 'नेहरू इंस्टीट्यूट ऑफ माउंटेनियरिंग' कोर्स के लिये आवेदन कर दिया और यहां से बछेंद्री का जीवन पूरी तरह बदल गया और जाने-अनजाने वो सफलता की नई राह पर चल दीं। इसके बाद वो पर्वतारोहण के एडवांस कोर्स करती गईं और उन्हें इसी बीच इंस्ट्रकटर की नौकरी भी मिल गई थी। पर्वतारोहण का पेशा अपनाने की वजह से उन्हें परिवार और रिश्तेदारों के विरोध का भी सामना करना पड़ा लेकिन उन्होंने अपने दिल की सुनी और इसी काम में लगी रहीं। 

12 साली की उम्र में पहली बार की थी चढ़ाई
बछेंद्री पाल को पहाड़ चढ़ने का पहला मौका 12 साल की उम्र में अपने स्कूल के साथियों के साथ मिला था। तब उन्होंने 4000 मीटर की चढ़ाई की थी। माउंटेनियरिंग के एडवांस कोर्स करते करते बछेंद्री ने गंगोत्री (6,672 मीटर) और रूदुगैरा (5,819) की चढ़ाई पूरी कर ली थी। ऐसे में उन्हें साल 1984 में भारत के चौथे एवरेस्ट अभियान की टीम में चुन लिया गया जिसमें 6 महिलाएं और 11 पुरुष सहित कुल 17 लोग थे। 

चढ़ाई के दौरान हुआ हादसा
एवरेस्ट अभियान के दौरान एक एवलॉन्च(बर्फीले तूफान) से टीम का सामना हुआ था। तकरीबन 7 हजार मीटर की ऊंचाई पर इस तूफान में उनका कैंप दब गया। ऐसे में दल के कुछ साथियों ने चोटिल होने और थकान के कारण वापस लौटने का फैसला किया। लेकिन बछेंद्री ने हार नहीं मानी और वो आगे की चढ़ाई के लिए दल में शामिल अकेली महिला बचीं। 22 मई को आंग दोरजी( शेरपा सरदार) के नेतृत्व में दल ने एवरेस्ट फतह कर ली और बछेंद्री पाल का नाम भारत के इतिहास में हमेशा के लिए दर्ज हो गया। वो एवरेस्ट फतह करने वाली दुनिया की पांचवीं महिला पर्वतारोही बनीं थीं। उन्होंने ये उपलब्धि अपने 30वें जन्मदिन के दो दिन और हिमालय फतह करने की 31वीं एनिवर्सरी के 6 दिन पहले हासिल की थी। 

साल 1984 में भारत सरकार ने बछेंद्री पाल को उनकी इस विशिष्ट उपलब्धि के लिए पद्मश्री और साल 1986 में अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया था। साल 2019 में उन्हें करियर की विशिष्ट उपलब्धियों के लिए भारत सरकार ने पद्म भूषण पुरस्कार से सम्मानित किया।