नई दिल्ली: एक जमाना था जब खेल जगत में भारतीय महिलाओं की सफलता से जुड़े चंद किस्से ही सामने आते थे, लेकिन समय बदला और आज महिलाओं का भी सभी खेलों में वैसा ही योगदान है जैसा कि पुरुषों का। ओलंपिक से लेकर तमाम अन्य खेलों तक हर जगह महिला खिलाड़ियों ने खुद को साबित किया है और ना जाने कितने सालों की अजीब परंपराओं को पीछे छोड़ दिया। भारतीय टेनिस स्टार सानिया मिर्जा का भी ऐसा ही मानना है लेकिन उन्होंने इसके साथ ही इससे जुड़े कुछ गंभीर मसलों पर भी चर्चा की।
सानिया मिर्जा को गर्व है कि क्रिकेट से इतर भारत के खेल सितारों में महिलाएं शामिल हैं हालांकि उन्हें लगता है कि देश में महिलाओं के लिये खेलों को वास्तविक करियर के रूप में देखने में अभी कुछ और समय लगेगा। अखिल भारतीय टेनिस संघ और भारतीय खेल प्राधिकरण (SAI) द्वारा आयोजित वेबिनार के दौरान कई मसलों पर बातचीत की जिसमें माता-पिता की भूमिका और महिला खिलाड़ियों से जुड़े कई मसले शामिल रहे।
ये बहुत बड़ा कदम है
सानिया मिर्जा ने इस चर्चा के दौरान कहा, ‘मैं इस बात से गर्व महसूस करती हूं कि क्रिकेट से इतर देश में सबसे बड़े खेल सितारे महिलाएं हैं। अगर आप पत्रिकाएं, बिलबोर्ड देखोगे तो आपको महिला खिलाड़ी दिखेंगी। यह बहुत बड़ा कदम है। मैं जानती हूं कि महिला होकर खेलों में आना मुश्किल होता है।
ये इस बात का संकेत है कि चीजें बदली हैं लेकिन अभी हमें उस स्थिति में पहुंचने के लिये लंबी राह तय करनी है जबकि एक लड़की मुक्केबाजी के ग्लब्स पहने या बैडमिंटन रैकेट पकड़े या कहे कि ‘मैं पहलवान बनना चाहती हूं।’ मेरे कहने का मतलब है कि प्रगति नैसर्गिक होनी चाहिए।’
भारतीय संस्कृति से जुड़ा गंभीर मसला
इस दिग्गज टेनिस स्टार से पूछा गया कि लड़कियां 15 या 16 साल के बाद टेनिस क्यों छोड़ देती हैं तो उन्होंने कहा कि यह भारतीय संस्कृति से जुड़ा गंभीर मसला है। उन्होंने कहा, ‘दुनिया के इस हिस्से में माता पिता खेल को सीधे तौर पर नहीं अपनाते। वे चाहते हैं कि उनकी बेटी चिकित्सक, वकील, शिक्षिका बने लेकिन खिलाड़ी नहीं। पिछले 20-25 वर्षों में चीजें बदली हैं लेकिन अब भी लंबा रास्ता तय करना है।’
मुझसे पूछा जाता था कि कब बच्चे के बारे में सोच रही हूं
सानिया ने कहा, ‘लड़कियों के लिये कुछ चीजें तय कर दी जाती। यहां तक कि मैंने सब कुछ हासिल कर दिया तब भी मुझसे पूछा जाता था कि मैं कब बच्चे के बारे में सोच रही हूं और जब तक मैं मां नहीं बनूंगी मेरी जिंदगी पूर्ण नहीं होगी। हम लोगों से गहरे सांस्कृतिक मुद्दे जुड़े हैं और इनसे निजात पाने में अभी कुछ पीढ़ियां और लगेंगी।’
टेनिस स्टार सानिया मिर्जा के मुताबिक उन्हें इन चीजों को ज्यादा झेलना नहीं पड़ा क्योंकि उन्होंने 6 साल की उम्र में ही टेनिस खेलना शुरू कर दिया था। उस समय कोई लड़की शीर्ष स्तर पर टेनिस खेलने के बारे में सोचती भी नहीं थी। उस दौरान सानिया के माता-पिता ने उनको बहुत सपोर्ट किया और यही वजह रही कि वो आज इस ऊंचाई तक पहुंची हैं।