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Tokyo Olympics: भारत का दमदार प्रदर्शन जारी, अब मुक्केबाजी के क्वार्टर फाइनल में पहुंचे सतीश कुमार

Updated Jul 29, 2021 | 10:31 IST

ओलंपिक (Tokyo Olympics) में भारत के लिए आज का दिन शानदार रहा। पीवी संधू, अतनु दास और हॉकी टीम की शानदार जीत के बाद अब मुक्केबाज सतीश कुमार (Satish Kumar ) ने भी जीत दर्ज की है।

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Olympics: मुक्केबाजी के क्वार्टर फाइनल में पहुंचे सतीश कुमार
मुख्य बातें
  • टोक्यो ओलंपिक: क्वार्टर फाइल में पहुंचे भारत के पहले सुपर हैवीवेट मुक्केबाज सतीश कुमार
  • जमैका के रिकार्डो ब्राउन को 4-1 से दी शिकस्त

टोक्यो: ओलंपिक में भाग ले रहे भारत के पहले सुपर हैवीवेट (प्लस 91 किलो) मुक्केबाज सतीश कुमार (Satish Kumar) ने अपने पहले ही खेलों में जमैका के रिकार्डो ब्राउन को पहले मुकाबले में हराकर क्वार्टर फाइनल में प्रवेश कर लिया। दोनों मुक्केबाजों का यह पहला ओलंपिक है। सतीश ने बंटे हुए फैसले के बावजूद 4 . 1 से जीत दर्ज की। दो बार एशियाई चैम्पियनशिप के कांस्य पदक विजेता सतीश को ब्राउन के खराब फुटवर्क का फायदा मिला । उन्हें हालांकि मुकाबले में माथे पर खरोंच भी आई।

मौजूदा विश्व चैंपियन से होगा अब मुकाबला

भारतीय मुक्केबाजी के हाई परफॉर्मेंस निदेशक सैंटियागो नीवा ने कहा ,‘उसे मुकाबले के दौरान तीन बार सिर पर प्रहार के कारण कट लगा है। सतीश ने काफी संभलकर उसका सामना किया वरना ब्राउन के कद काठी को देखते हुए गंभीर चोट लग सकती थी।’ अब सतीश का सामना उजबेकिस्तान के बखोदिर जालोलोव से होगा जो मौजूदा विश्व और एशियाई चैम्पियन हैं। जालोलोव ने अजरबैजान के मोहम्मद अब्दुल्लायेव को 5 . 0 से हराया।

कॉमनवेल्थ में जीता था ब्रॉन्ज

नीवा ने कहा ,‘वह अपराजेय नहीं है । सतीश ने उसे कभी नहीं हराया लेकिन इंडिया ओपन में आखिरी बार दोनों का सामना हुआ था और वह बंटा हुआ फैसला था। सतीश ने उसे कड़ी चुनौती दी थी।’ राष्ट्रमंडल खेल 2018 के रजत पदक विजेता सतीश ने दाहिने हाथ से लगातार पंच लगाते हुए ब्राउन को गलतियां करने पर मजबूर किया । ब्राउन उन्हें एक भी दमदार पंच नहीं लगा सके।

यूपी के रहने वाले सतीश

नीवा ने कहा ,‘स्कोर करके तुरंत पीछे हट जाने का लक्ष्य था क्योंकि ब्राउन काफी शक्तिशाली है और खतरनाक हो सकता था । सतीश ने उसे चारों तरफ घुमाकर थकाया ’उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर के रहने वाले सतीश सेना में हैं और पहले कबड्डी खेलते थे । सेना के कोचों ने उनकी अच्छी कद काठी देखकर उन्हें मुक्केबाजी खेलने का मौका दिया। वहीं जमैका की ओर से 1996 के बाद ओलंपिक के लिये क्वालीफाई करने वाले पहले मुक्केबाज ब्राउन उद्घाटन समारोह में अपने देश के ध्वजवाहक थे।