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USA vs CHINA in Olympics: टोक्यो ओलंपिक में भी दिखी अमेरिका-चीन की टक्कर, करीबी भिड़ंत में एक देश निकला आगे

Updated Aug 09, 2021 | 20:08 IST

USA vs China in Tokyo Olympics 2020: टोक्यो ओलंपिक का समापन हो चुका है। आइए जानते हैं कि आखिर पदक तालिका के शीर्ष में इस बार अमेरिका और चीन की टक्कर कैसी रही।

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तस्वीर साभार:&nbspAP
अमेरिका और चीन की टोक्यो ओलंपिक में दिखी टक्कर
मुख्य बातें
  • टोक्यो ओलंपिक में भी दिखी दो सुपरपावर देशों की भिड़ंत - यूएसए बनाम चीन
  • अमेरिका और चाइना के बीच पदकों को लेकर हुई करीबी टक्कर, अमेरिका निकला आगे
  • अमेरिका अब तक ओलंपिक इतिहास में जीत चुका है एक हजार से ज्यादा गोल्ड मेडल

अमेरिका ओलंपिक खेलों की पदक तालिका में एक बार फिर शीर्ष पर रहा लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उसके सबसे बड़े सामरिक और व्यापारिक प्रतिस्पर्धी चीन से उसे रविवार को खत्म हुए तोक्यो खेलों में जबरदस्त टक्कर मिली।   अमेरिका तोक्यो 2020 खेलों के आखिरी दिन पदक तालिका में चीन को पछाड़कर शीर्ष पर पहुंचा। चीन इससे पहले लगातार 11 दिनों तक तालिका में सबसे ऊपर था लेकिन 23 जुलाई को शुरू हुए खेलों के आखिरी दिन उसके खिलाड़ी स्वर्ण पदक जीतने में नाकाम रहे।

अमेरिका ने इन खेलों में 39 स्वर्ण, 41 रजत और 33 कांस्य पदक जीते जबकि चीन ने 38 स्वर्ण, 32 रजत और 18 कांस्य पदक अपने नाम किये। मेजबान जापान तीसरे स्थान पर रहा। अमेरिका ओलंपिक एवं पैरालंपिक समिति की अध्यक्ष सुजै लियोन ने कहा, ‘‘हम टीम अमेरिका के प्रदर्शन से रोमांचित हैं और जिस तरह से उन्होंने प्रदर्शन किया उस पर और अधिक गर्व नहीं हो सकता।’’

मीडिया में भी चर्चा रही

हांगकांग स्थित ‘साउथ चीन मॉर्निंग पोस्ट’ की खबर के मुताबिक लियोन ने कहा, ‘‘यह खेल इतिहास का हिस्सा बन गये हैं।’’ चीन ने 2012 के लंदन ओलंपिक की बराबरी करते हुए ‘विदेशी ओलंपिक में सर्वश्रेष्ठ उपलब्धि’ हासिल करने के लिए खिलाड़ियों की सराहना की। चीन के पास अंतिम दिन अपने स्वर्ण पदक की संख्या में इजाफा करने का मौका था लेकिन महिला मिडिलवेट मुक्केबाज ली कियान को ब्रिटेन की लॉरेन प्राइस से स्वर्ण पदक के मुकाबले में हार का सामना करना पड़ा।

कहां पर किसे चुनौती मिली

डाइविंग (गोताखोरी) में चीन का दबदबा रहा तो वहीं टेबल टेनिस में उसके दबदबे को चुनौती मिली। चीन ने इन खेलों में 777 लोगों का दल भेजा था जिसमें से 431 खिलाड़ी शामिल थे। यह चीन द्वारा ओलंपिक के लिए भेजा गया सबसे बड़ा दल था। तोक्यो खेलों का आयोजन ऐसे समय में हुआ जब दुनिया की शीर्ष दो अर्थव्यवस्थाओं अमेरिका और चीन के बीच सबसे ज्यादा प्रतिद्वंद्विता है, कोरोना वायरस की वुहान से उत्पत्ति को लेकर दोनों देशों के रिश्ते और खराब हुए है।

चीन को शिनजियांग में मुस्लिम उइगरों के खिलाफ नरसंहार के साथ हांगकांग और तिब्बत में मानवाधिकारों के दमन के आरोपों से भी जूझना पड़ रहा है। सरकार द्वारा संचालित ग्लोबल टाइम्स ने तोक्यो ओलंपिक पर अपने संपादकीय में चीन की सफलता का श्रेय सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना (सीपीसी) के नेतृत्व को देते हुए कहा, ‘‘तोक्यो ओलंपिक का आयोजन गंभीर राजनीतिक उथल-पुथल की पृष्ठभूमि में हुआ।’’

उसमें कहा, ‘‘चीन की नयी तरह की संपूर्ण राष्ट्र प्रणाली ने तोक्यो खेलों के माध्यम से अपनी ताकत साबित की है। कुछ पश्चिमी मीडिया घरानों ने चीन की पूरी राष्ट्र व्यवस्था को ‘अमानवीय’ करार देने की कोशिश की है। इस व्यवस्था से हालांकि काफी फायदा हुआ है और इसे जनता का समर्थन प्राप्त है।’’