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Roger Federer's Retirement: क्यों 'रोजर फेडरर' के नाम से जाना जाएगा टेनिस का यह स्वर्णिम दौर?

Updated Sep 17, 2022 | 12:30 IST

टेनिस इतिहास के सर्वकालिक महानतम खिलाड़ियों मे से एक रोजर फेडरर ने संन्यास का ऐलान कर दिया है। टेनिस के इस स्वर्णिम दौर को हमेशा उनके नाम से जाना जाएगा। जानिए क्या है इसकी वजह?

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तस्वीर साभार:&nbspAP
रोजर फेडरर
मुख्य बातें
  • रोजर फेडरर ने 24 साल लंबे करियर के बाद किया संन्यास का ऐलान
  • बॉलबॉय के रूप में शुरुआत करने के बाद बने दुनिया के सर्वश्रेष्ठ टेनिस खिलाड़ी
  • राफेल नडाल और उनके बीच हुई टेक्नीक और पॉवर की भिड़ंत को हमेशा किया जाएगा याद

बासेल: स्विटजरलैंड के बासेल शहर में बॉल बॉय के रूप में टेनिस कोर्ट में कदम रखने वाले रोजर फेडरर ने सपने में भी नहीं सोचा होगा कि जिस दिन वो इस खेल को अलविदा कहेंगे उस दिन टेनिस के इस दौर को उनके नाम से यानी 'फेडरर युग' के नाम से जाना जाएगा। उनके संन्यास का ऐलान करते ही टेनिस कोर्ट में मायूसी छा जाएगी और टेनिस प्रेमी उन सुनहरी यादों में खो जाएंगे जो फेडरर ने पिछले ढाई दशक में उन्होंने अपने शानदार खेल के जरिए दीं।

21वीं सदी ने लॉन टेनिस को कई चमकते सितारे दिए। जिसमें सेरेना विलियम्स, वीनस विलियम्स, रोजर फेडरर, राफेल नडाल, नोवाक जोकोविच मुख्य तौर पर शामिल हैं। पिछले ढाई दशक में इनकी मौजूदगी में कुछ खिलाड़ी आए और चमक बिखेरकर ओझल हो गए। लेकिन ये सभी सूरज की तरह चमक बिखेरते रहे और अपने शानदार खेल से पूरी दुनिया को रोशन करते रहे।

सबसे कठिन विधा के महारथी
जिस तरह क्रिकेट में लेग स्पिन को सबके कठिन विधा माना जाता है उसी तरह टेनिस में ग्रास कोर्ट में खेलना सबसे मुश्किल होता है। लेकिन टेनिस की सबसे कठिन स्पर्धा में महारथ रोजर फेडरर ने हासिल कर ली थी। उन्हें ग्रास कोर्ट में मात देना दुनियाभर के खिलाड़ियों के लिए सबसे अधिक मुश्किल काम था। यही विधा फेडरर को चैंपियन ऑफ चैंपियन यानी उस्तादों का उस्ताद बनाती है।

8 बार किया विंबलडन खिताब पर कब्जा
41 वर्षीय फेडरर ने अपने टेनिस करियर में 20 ग्रैंड स्लैम खिताब जीते। जिसमें 8 विंबलडन खिताब शामिल हैं। ओपन इरा में उनसे ज्यादा बार विंबलडन का पुरुष एकल खिताब और कोई खिलाड़ी नहीं जीत सका। साल 2003 से 2007 तक उन्होंने लगातार पांच बार विंबलडन के खिताब पर कब्जा किया। उन्हें लगातार छठी बार खिताबी जीत हासिल करने से राफेल नडाल ने रोक दिया था जिन्हें पिछले दो साल से खिताबी भिड़ंत में मात देकर विंबलडन में वह सफलता का नया इतिहास लिखते जा रहे थे। 

जीते चारों ग्रैंडस्लैम खिताब 
फेडरर का नाम विंबलडन के इतिहास में उन चुनिंदा खिलाड़ियों में भी शामिल हैं जिन्होंने जूनियर और सीनियर दोनों वर्ग में पुरुष एकल खिताब जीता। साल 1998 में फेडरर जूनियर विंबलडन चैंपियन बने थे। फेडरर ने 8 बार विबंलडन, 6 बार ऑस्ट्रेलियन ओपन और 5 बार यूएस ओपन खिताब पर कब्जा किया। लेकिन केवल एक बार फ्रेंच ओपन का खिताब अपने नाम कर सके। इसके साथ ही उनका नाम भी चारों ग्रैंडस्लैम खिताब जीतने वाले खिलाड़ियों में शामिल हो गया। 

ओपन इरा के दूसरे सबस सफल पुरुष टेनिस खिलाड़ी
दुनिया के सर्वकालिक महानतम टेनिस खिलाडियों में फेडरर ने करियर में 1500 से ज्यादा मैच खेले और उनमें से 82 प्रतिशत में जीत हासिल करने में सफल रहे। उन्होंने करियर में कुल 103 एटीपी खिताब अपने नाम किए। ओपन इरा में वो जिमी कॉनर्स(109) के बाद सबसे अधिक खिताब जीतने के मामले में दूसरे पायदान पर रहे। 

खेल से बनाया लोगों को मुरीद 
आंकड़ों के मामले में भले ही फेडरर सबसे सफल नजर खिलाड़ी नजर नहीं आते हैं लेकिन उनके खेल के क्लासिक अंदाज ने लोगों को उनका मुरीद बनने के लिए मजबूर कर दिया। विरोधी खिलाड़ी भी उनके खेल की तारीफ करने से नहीं हिचके। फेडरर ने हार और जीत दोनों को एक तरह स्वीकार किया। हार का गुस्सा उन्होंने कभी मैदान पर नही निकाला और यही उनकी वैश्विक लोकप्रियता की एक बड़ी वजह भी थी।

कोर्ट पर लाए ट्रिकी टेक्नीक 
फेडरर टेनिस कोर्ट पर ट्रिकी टैक्नीक लेकर आए। वो पावर से ज्यादा टेक्नीक पर भरोसा करते थे। उनके खेल कुछ वैसी नजाकत थी जो क्रिकेट प्रशंसकों को राहुल द्रविड़ की बल्लेबाजी में नजर आती थी। राफेल नडाल और रोजर फेडरर के बीच फैन्स का बटवारा बैश्विक था। प्रशंसकों के इस बटवारे में चुपके से नोवाक जोकोविच भी शामिल हो गए। जब नडाल और फेडरर अपने खेल के चरम पर थे उस वक्त जोकोविच अपनी जगह बनाने की कोशिश कर रहे थे। जहां ये दो दिग्गज चूक जाते वहां जोकोविच बाजी मार लेते। 

काश ये दिन कभी नहीं आता
फेडरर की विदाई के बाद टेनिस में सबकुछ होगा लेकिन प्रशंसकों को फेडरर और नडाल के बीच टेक्नीक और पॉवर के बीच वर्चस्व की वो जंग देखने को नहीं मिलेगी जिसके वो आदी हो गए थे। बार बार देखने के बाद भी प्रशंसकों के मन नहीं भरते। फेडरर की विदाई के बाद टेनिस कोर्ट में जो सूनापन आएगा उसकी भरपाई कभी नहीं हो सकेगी। इस बात की तस्दीक राफेल नडाल फेडरर के लिए अपने विदाई संदेश में कर चुके हैं कि काश ये दिन कभी नहीं आता...ये नडाल की नहीं दुनिया के हर टेनिस प्रेमी के दिल की आवाज है...