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वो दिग्गज जिसका जादू दशकों बाद भी बरकरार, जानें हर साल 29 अगस्त को क्यों मनाया जाता है राष्ट्रीय खेल दिवस?

Updated Aug 29, 2021 | 08:34 IST

Why is August 29 celebrated as National Sports Day? जानें, भारत में हर साल 29 अगस्त को क्यों राष्ट्रीय खेल दिवस मनाया जाता है?

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तस्वीर साभार:&nbspTwitter
मेजर ध्यानचंद
मुख्य बातें
  • राष्ट्रीय खेल दिवस 2021
  • आज खेल दिवस मनाया जा रहा है
  • यह 29 अगस्त को मनाया जाता है

खेल इंसान की जिंदगी का अहम हिस्सा है। बड़ी संख्या में लोग कोई ना कोई खेल जरूर पसंद करते हैं। वहीं, खेलों से जुड़े लोगों की भी अच्छी-खासी तादाद है। भारत में खेल जगत से अनेक सितारे निकले हैं, जिन्होंने लोगों पर जबरदस्त छोड़ी है। इसमें पूर्व हॉकी प्लेयर मेजर ध्यानचंद, पूर्व दिग्गज धावक मिल्खा सिंह और महान क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर जैसे सरीखे खिलाड़ियों का नाम शामिल है। आज यानी रविवार को देश में राष्ट्रीय खेल दिवस मनाया जा रहा है। लेकिन क्या आपको मालूम है कि हर साल 29 अगस्त को ही क्यों राष्ट्रीय खेल दिवस मनाया जाता है?

29 अगस्त और राष्ट्रीय खेल दिवस? 

दरअसल, मेजर ध्यानचंद की जयंती को राष्ट्रीय खेल दिवस के रूप में मनाया जाता है। 29 अगस्त को हॉकी के जादूगर ध्यानचंद का जन्मदिन है। उनका शुमार दुनिया में हॉकी के सबसे बेहतरीन खिलाड़ियों में होता है। ध्यानचंद के गोल करने की काबिलियत जबरदस्त थी। उनके टीम में रहते भारत ने हॉकी में तीन ओलंपिक गोल्ड मेडल (1928, 1932 और 1936) अपने नाम किए थे। उनका जादू दशकों बाद भी बरकरार है और वह आज भी भारत के सबसे बड़े खेल आइकन में से एक हैं। सरकार ने ध्यानचंद को 1956 में देश के तीसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म भूषण से सम्मानित किया था।

16 साल की उम्र में आर्मी ज्वाइन की

महान हॉकी खिलाड़ी मेजर ध्यानचंद का जन्म 29 अगस्त, 1905 को उत्तर प्रदेश के प्रयागराज हुआ था। उन्होंने 16 साल की उम्र में भारतीय आर्मी ज्वाइन की थी। ध्यानचंद 1922 में एक सैनिक के रूप में भारतीय सेना में शामिल हुए। वह शुरुआत से एक खिलाड़ी थे। उन्हें हॉकी खेलने के लिए सूबेदार मेजर तिवारी से प्रेरणा मिली, जो जो खुद एक खेल प्रेमी थे। ध्यानचंद ने उन्हीं की देखरेख में हॉकी खेलना शुरू किया।

बर्लिन ओलंपिक खेलों में कप्तान बने

हॉकी में शानदार प्रदर्शन के कारण ध्यानचंद को 1927 में 'लांस नायक' के रूप में नियुक्त किया गया और 1932 में नायक और 1936 में सूबेदार के रूप में पदोन्नत किया गया। उन्हें लेफ्टिनेंट, कैप्टन और फिर मेजर के रूप में पदोन्नत किया गया। वह अपने खेल में इतने माहिर थे कि अगर कोई गेंद उनकी स्टिक पर चिपक जाती तो वह गोल मारकर ही दम लेते। एक बार मैच के दौरान उनकी स्टिक तोड़कर जांच की गई थी कि कहीं उसके अंदर कोई चुंबक या कुछ और चीज तो नहीं है। मेजर ध्यानचंद 1936 के बर्लिन ओलंपिक खेलों में भारतीय हॉकी टीम के कप्तान बने थे। भारत ने यहां गोल्ड पर कब्जा किया था। 

करियर में लगभग एक हजार गोल दागे

ध्यानचंद ने 1926 से 1948 तक अपने करियर में 400 से अधिक अंतरराष्ट्रीय गोल किए। वहीं, उन्होंने अपने पूरे करियर में लगभग एक हजार गोल दागे। ध्यानचंद को सम्मान देने के लिए भारत सरकार ने 2012 में उनके जन्मदिन को राष्ट्रीय खेल दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया था। हाल ही में सरकार ने खेल के क्षेत्र में दिया जाने वाला सबसे बड़े अवॉर्ड राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार का नाम बदलकर मेजर ध्यानचंद के नाम पर किया है। ध्यानचंद का निधन 3 दिसंबर 1979 को हुआ था।