- मोबाइल फोन को लेकर कोरोना के मद्देनजर कुछ सावधानियां जरूरी
- हाथों की तरह मोबाइल फोन को भी सैनिटाइज करना जरूरी
- मोबाइल फोन के इस्तेमाल से जुड़ी कई बुनियादी बातों का ध्यान रखा जाना जरूरी
नई दिल्ली: कोरोना महामारी ने पूरी दुनिया को जिस तरह से आतंकित किया है उसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की होगी। अभी भी कोरोना को लेकर दुनिया भर में कई तरह की बातें कहीं जा रही है। कोरोना को लेकर दुनिया भर में कई सर्वे हुए। कई सर्वे में अलग-अलग बातें सामने आईं। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल उठता है कि क्या आपके मोबाइल फोन से आपको कोरोनावायरस का संक्रमण हो सकता है। क्या आपका मोबाइल फोन भी कोरोना का वाहक हो सकता है?
क्या है जानकारों की राय?
हालांकि, जानकारों की राय इस पर अलग-अलग है। कुछ एक्सपर्ट्स का मानना है कि यदि आपके हाथ किसी ऐसी वस्तु या व्यक्ति के संपर्क में आते हैं तो वायरस आपके हाथों पर आ सकता है। ऐसी स्थिति में आप जब भी अपने हाथों से मोबाइल फोन को छुएंगे या फिर उसे मुंह के करीब लाकर बात करेंगे तो वायरस के आपके नाक या मुंह के संपर्क में आने की संभावना सबसे ज्यादा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक कोरोनावायरस अलग-अलग प्रकार की सतहों पर घंटों तक जीवित रह सकता है। कोरोना प्लास्टिक की वस्तु पर 72 घंटों तक जीवित रह सकता है, जबकि स्टील पर यह चार घंटे से कम समय तक के लिए जीवित रह सकता है। कॉपर और कार्ड-बोर्ड पर यह 24 घंटों तक जिंदा रह सकता है। ऐसे में यदि आपका फोन कोरोना के संपर्क में आता है तो मोबाइल की बॉडी पर निर्भर करता है कि वो प्लास्टिक की है या स्टील की। यह आपके फोन की स्क्रीन के ग्लास पर 3 दिन से अधिक समय तक जीवित रह सकता है। लिहाजा अगर आप मोबाइल फोन रखते हैं तो उसे सैनिटाइज भी जरूर करें।
ऐसे में बेहतर होगा कि आप बाहर किसी वस्तु को छूने के बाद हाथों को सेनिटाइजर से साफ करने के बाद ही अपने फोन को हाथ लगाएं। वहीं, कुछ लोगों के दिमाग में यह सवाल भी गूंजता है कि क्या नए मोबाइल से कोरोना फैल सकता है? चीन या अन्य देशों से इंपोर्ट होकर आने वाले समान को भारत तक पहुंचने में काफी समय लगता है। WHO के मुताबिक इंपोर्ट किया गया सामान कई अलग-अलग तापमानों से होकर गुजरता है। ऐसे में इंपोर्ट होकर आने वाले मोबाइल में कोरोनावायरस है या नहीं, यह कहना मुश्किल हो सकता है। इसपर जाानकारों की अलग अलग राय है।
मोबाइल फोन में छिपा हैं कोरोना?
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान रायपुर के डॉक्टरों के एक ग्रुप ने कोविड-19 महामारी के बीच स्वास्थ्य संस्थानों में मोबाइल फोन के इस्तेमाल पर पाबंदी की अनुशंसा करते हुए चेतावनी दी है कि ऐसे उपकरण वायरस के वाहक हो सकते हैं और स्वास्थ्यकर्मियों को संक्रमित कर सकते हैं। बीएमजे ग्लोबल हेल्थ जर्नल में प्रकाशित एक लेख में डॉक्टरों ने कहा कि मोबाइल फोन की सतह एक विशिष्ट 'उच्च जोखिम' वाली सतह होती है जो सीधे चेहरे या मुंह के संपर्क में आती है, भले ही हाथ अच्छे से धुले हुए क्यों न हों। एक अध्ययन के मुताबिक, कुछ स्वास्थ्यकर्मी हर 15 मिनट से दो घंटे के बीच अपने फोन का इस्तेमाल करते हैं। इस लिहाज से देखा जाए तो यह खतरनाक है।
कैसे हो सकता है खतरा?
मोबाइल फोन शायद मास्क, कैप और चश्मों के बाद दूसरे स्थान पर हैं जिसके जरिए कोरोना का संक्रमण हो सकता है। लेखकों के मुताबिक,'स्वास्थ्य देखभाल परिदृश्य में चेहरे, नाक और आंखों के सीधे संपर्क में आने की वजह से मोबाइल फोन शायद मास्क, कैप और चश्मों के बाद दूसरे स्थान पर हैं। हालांकि अन्य तीन की तरह मोबाइल को धोया नहीं जा सकता इसलिये उनके संक्रमित होने का खतरा ज्यादा होता है। मोबाइल फोन की वजह से हाथों के साफ होने के भी बहुत मायने नहीं रह जात इस बात के प्रमाण बढ़ रहे हैं कि मोबाइल रोगजनक विषाणुओं के लिए संभावित वाहक हैं।' लेख के मुताबिक अस्पतालों में मोबाइल फोन का स्वच्छता के साथ उचित इस्तेमाल समय की मांग हैं।
मोबाइल साफ करना जरूरी क्यों?
भारत में हुए एक अध्ययन में पाया गया कि उच्च विशिष्टता वाले अस्पतालों में लगभग 100 फीसद स्वास्थ्य कर्मी अस्पताल में मोबाइल फोन का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन उनमें से 10 फीसद ही कभी अपने मोबाइल को साफ करते हैं। लेख के मुताबिक सबसे सुरक्षित तरीका यह मानकर चलना है कि आपका फोन आपके हाथ का ही विस्तार है, इसलिये याद रखिये कि आपके फोन में जो है वह आपके हाथ पर हस्तांतरित हो रहा है।' दरअसल मोबाइल फोन ज्यादातर लोग बिल्कुल भी साफ नहीं करते हैं। दरअसल यह स्थिति खतरनाक हो सकती है। इसलिए मोबाइल साफ करना बहुत जरुरी है।
मोबाइल फोन भी कीजिए सैनिटाइज
जिस प्रकार हाथों को आप सैनिटाइज करते हैं। उसी प्रकार जब भी आप बाहर से आए तो हाथों के अलावा उस मोबाइल को भी सैनिटाइज कीजिए जिसे आपने घंटों अपने साथ रखा है। और जो 24 घंटे आपके साथ रहता है। इस महामारी के बीच दो सबसे बड़ी मोबाइल फोन कंपनियों ने उपभोक्ताओं की मदद के लिये दिशानिर्देश अपलोड किये हैं जिसमें कहा गया है कि 70 प्रतिशत आइसोप्रोपिल अल्कोहल या क्लोरोक्स विसंक्रामक वाइप्स का इस्तेमाल फोन को स्विच ऑफ कर उसकी बाहरी सतह को हल्के हाथ से साफ करने के लिये किया जा सकता है। सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रीवेंशन के मुताबिक मोबाइल फोन, काउंटर, टेबल के ऊपरी हिस्से, दरवाजों की कुंडियां, शौचालय के नल, की-बोर्ड, टेबलेट्स आदि के साथ सबसे ज्यादा स्पर्श की जाने वाली सतहों में से एक हैं।
डॉक्टरों ने आईसीयू और ऑपरेशन थियेटर जैसी जगहों पर मोबाइल फोन के इस्तेमाल पर प्रतिबंध के साथ ही बात करते वक्त इसके चेहरे पर सीधे स्पर्श से बचने के लिये हेडफोन के इस्तेमाल की सलाह दी है। उनका कहना है कि मोबाइल फोन, हेडफोन या हेडसेट्स को किसी के साथ साझा न करें। जहां संभव हो वहां इंटरकॉम सुविधा के इस्तेमाल को बढ़ावा दिया जाए। हाथ के कीटाणु बेशक 20 सेकेंड हाथ धोकर साफ किए जा सकते हैं लेकिन आपको मोबाइल फोन को सैनिटाइज करते रहना भी जरूरी है। वह भी तब जब वह किसी दूसरे हाथ में गया हो या फिर आप बाहर से आए हो।