देश की 70 फीसदी से अधिक कंपनियों पर बीते साल रैनसमवेयर साइबर हमला हुआ, जबकि साल 2020 में 68 प्रतिशत कंपनियां इसकी शिकार हुई थीं। रैनसमवेयर ऐसा साइबर हमला होता है, जिसमें हमला करने वाले कंपनियों को उनका सिस्टम और डाटा एक्सेस नहीं करने देते। वे एक्सेस देने के लिये कंपनियों से फिरौती मांगते हैं।
साइबर सुरक्षा कंपनी सोफोस की बुधवार को जारी रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय कंपनियों ने इन साइबर हमलावरों को औसतन 11,98,475 डॉलर दिये। सोफोस के प्रबंध निदेशक सुनील शर्मा ने कहा कि भारत में रैनसमवेयर हमले की स्थिति गंभीर है। हमले की शिकार हुई कंपनियों की संख्या, फिरौती की रकम और इन हमलों का प्रभाव गत साल बहुत अधिक रहा है और इसकी बड़ी कीमत भी चुकानी पड़ी है।
उन्होंने कहा कि इन हमलों के बाद रिकवरी की लागत साल 2020 में औसतन 34 लाख डॉलर पड़ती थी , जो गत साल घटकर 28 लाख डॉलर के औसत पर आई है। इसके बावजूद इतनी बड़ी रकम और हमलों की संख्या चिंता की बात है।
हमले का शिकार हुई कंपनियों में से 78 प्रतिशत कंपनियों ने डाटा बैकअप होने के बावजूद रैनसमवेयर हमलावरों को रैनसम यानी फिरौती दी। ऐसा उन्होंने हमलावरों से अपना डाटा वापस लेने के लिये किया। हमले से उबरने में कंपनियों को औसतन एक माह का समय लग जाता है।
रिपोर्ट के मुताबिक 97 प्रतिशत संगठनों ने कहा कि रैनसमवेयर हमले के कारण उनकी संचालन क्षमता प्रभावित हुई है और 92 प्रतिशत ने कहा कि उन्हें इसके कारण अपने कारोबार में या राजस्व में या दोनों में हानि उठानी पड़ी।
करीब 89 फीसदी मंझाोली कंपनियों ने ऐसे हमलों के प्रभाव से बचने के लिये साइबर बीमा कराया हुआ है। हमले होने पर उन्हें पूरी लागत या कुछ हिस्से का भुगतान हो जाता है।