Surya Grahan 2021 Date: चार दिसंबर को दुनिया के कुछ हिस्सों में कुछ समय के लिए पूर्ण अंधेरा होगा तो कुछ जगहों पर आंशिक अंधेरा। दरअसल सूर्य पर ग्रहण लगने वाला है। यह अनुपम नजारा इस साल का आखिरी नजारा होगा। सूरज पर ग्रहण को सूर्य ग्रहण के नाम से जाना जाता है। लेकिन उत्सुकता यह होती है जो सूरज चमकता और दमकता रहता है उस पर किसका ग्रहण लग जाता है। यहां पर हम इसके पीछे के विज्ञान को बताएंगे।
खगोलीय घटना का नतीजा सूर्य ग्रहण
हम सब जानते हैं कि सूरज अपने जगह पर स्थिर है, सूर्य के चारों तरफ हमारी पृथ्वी चक्कर लगाती है और धरती के चारों तरफ चांद चक्कर लगाता है। इस वजह से ऐसी स्थितियां पैदा होती है जब कुछ समय के लिए सूरज की रोशनी धरती पर नहीं आ पाती है और उसे सूर्य ग्रहण कहते हैं। सूर्य और पृथ्वी के बीच चंद्रमा के आने की वजह से सूर्य की बिंब कुछ समय के लिए ढक जाता है जिसे सूर्य ग्रहण कहते हैं।
तीन तरह का होता है सूर्य ग्रहण
सूर्य ग्रहण तीन तरह का होता है, पहला पूर्ण सूर्य ग्रहण, दूसरा आंशिक और तीसरा वलयाकार ग्रहण। पूर्ण सूर्य ग्रहण में चांद और धरती के बीच की दूरी कम होती है और उस सूरत में जब चंद्रमा धरती और सूरज के बीच में आता है तो सूर्य की रोशनी पूरी तरह से पृथ्वी पर नहीं आती है और यह घटना पूर्ण सूर्यग्रहण की होती है। आंशिक सूर्य ग्रहण में चंद्रमा, सूरज और पृथ्वी के बीच में इस तरह से आए कि सूर्य का कुछ ही भाग धरती से ना दिखाई दे। यानी कि चांद की कुछ छाया ही सूरज पर पड़ता है।वलयाकार सूर्य ग्रहण में चंद्रमा, सूरज और धरती के बीच में आता है लेकिन दूरी बहुत अधिक होती है और इसकी वजह से सूर्य का मध्य भाग ही ढक पाता है और वैसी सूरत में सूरज वलयाकार नजर आता है।