- सामान्य तौर पर चार तरह के ब्लड ग्रुप A, B, AB और O हैं
- ब्लड ग्रुप को O को यूनिवर्सल डोनर, AB को यूनिवर्सल रिसेप्टर कहा जाता है
- अब वैज्ञानिकों ने ब्लड ग्रुप A को यूनिवर्सल डोनर बनाने का दावा किया है।
आप सभी को कभी ना कभी खून की जरूरत पड़ती होगी तो ब्लड बैंक का चक्कर भी लगाना पड़ता होगा। मायूसी तब हाथ आती होगी जब ब्लड नहीं मिलता होगा। लेकिन इन सबके बीच वैज्ञानिकों ने अच्छी खबर दी है। शोध के बाद वैज्ञानिकों ने अब ओ ब्लड ग्रुप के साथ साथ ए ब्लड ग्रुप को भी यूनिवर्सल डोनर माना है। इसका अर्थ यह है कि अब लोगों को खून की कमी का सामना नहीं करना पड़ेगा। कनाडा के वैज्ञानिकों ने खास बैक्टीरियल एंजाइम के प्रयोग के जरिए ए ब्लड ग्रुप को यूनिवर्सल डोनर में तब्दील कर दिया है।
ब्लड ट्रांसफ्यूजन के लिए सेम ग्रुप की जरूरत
ब्लड ट्रांसफ्यूजन के लिए आम तौर पर सेम ब्लड ग्रुप की जरूरत होती है। लेकिन ओ बल्ड ग्रुप के लोग भी खून दे सकते हैं, हालांकि उनका संख्या में कमी की वजह से सबकी जरूरत पूरी नहीं हो पाती है। इसके लिए वैज्ञानिकों मे आंत में माइक्रोब्स की खोज की है जो दो तरह के एंजाइम का स्राव करते हैं। इस एंजाइम की मदद से ब्लड ग्रुप ए को यूनिवर्सल डोनर में बदला जा सकता है। मैरीलैंड ते नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ क्लीनिकल सेंटर के हार्वे क्लेन का कहना है इसे पहली बार किया जा रहा है। अगर यह प्रक्रिया बड़ पैमाने पर सफल होने में कामयाब होती है तो मानव जात के लिए यह क्रांतिकारी बदलाव होगा।
इस तरह A बना यूनिवर्सल डोनर
अब सवाल यह है कि ब्लड ग्रुप ए किस तरह से यूनिवर्सल डोनर बन सकता है। इसका जवाब यह है कि अगर शुगर के उन कणों को किसी तरह से हटा दिया जाए तो वो आरबीसी पर हमला नहीं कर पाएंगे। शोध में जिस तरह से आंत के जरिए दो एंजाइम मिले हैं वो ब्लड ग्रुप ए की आरबीसी की चारों तरफ मौजूद शुगर के कणों को खा जाते हैं और इस तरह से ए ग्रुप यूनिवर्सल डोनर में तब्दील हो जाता है।
इंसान में चार ब्लड ग्रुप
बता दें कि इंसान में A, B, O AB चार ब्लड ग्रुप होते हैं। इनती पहचान आरबीसी के चारों ओर मौजूद शुगर के कणों से पहचान की जाती है। अगर आप का ब्लड ग्रुप बी है और यदि खून ए का दिया जाए तो शुगर के यही कण जिसे हम एंटीजन कहते हैं वो आरबीसी पर अटैक कर उसे नष्ट कर देते हैं और किसी भी शख्स की इस तरह से मौत हो सकती है। ब्लड ग्रुप में एंटीजन नहीं होता है इसलिए जब उसे किसी मरीज को दिया जाता है तो आरबीसी पर किसी तरह का हमला नहीं होता है।