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Explainer: क्या होता है अंडर-डिस्प्ले कैमरा फीचर? कैसे काम करता है? किन फोन्स में मिलता है?

Updated Jan 27, 2022 | 14:13 IST

आजकल कुछ स्मार्टफोन्स में अंडर डिस्प्ले कैमरा वाला एक नया फीचर देखने को मिलता है। ये फीचर फिलहाल कुछ ही मॉडर्न स्मार्टफोन में देखने को मिलता है। इसकी मदद से डिस्प्ले के पीछे होने के बावजूद फ्रंट कैमरा इमेज क्लिक कर पाता है।

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Photo Credit- Samsung
मुख्य बातें
  • इस फीचर के साथ आने वाला पहला स्मार्टफोन ZTE Axon 20 5G था
  • इसकी मदद से डिस्प्ले के पीछे होने के बावजूद फ्रंट कैमरा इमेज क्लिक कर पाता है
  • इसमें कैमरे के ऊपर से जाने वाला डिस्प्ले का पार्ट ट्रांसपेरेंट होता है

आजकल कुछ स्मार्टफोन्स में अंडर डिस्प्ले कैमरा वाला एक नया फीचर देखने को मिलता है। ये फीचर फिलहाल कुछ ही मॉडर्न स्मार्टफोन में देखने को मिलता है। इसकी मदद से डिस्प्ले के पीछे होने के बावजूद फ्रंट कैमरा इमेज क्लिक कर पाता है। इस फीचर के साथ आने वाला पहला स्मार्टफोन ZTE Axon 20 5G था। इसे साल 2020 में लॉन्च किया गया था। 

फिर साल 2021 में इस फीचर के साथ Xiaomi Mi Mix 4, Samsung Galaxy Z Fold 3 और ZTE Axon 30 को पेश किया गया। तो आइए जानते हैं इस फीचर के बारे में विस्तार से कि काम कैसे करता है और ये पॉपुलर क्यों हुआ। 

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अंडर-डिस्प्ले कैमरा फीचर कैसे काम करता है? 

इसमें कैमरे के ऊपर से जाने वाला डिस्प्ले का पार्ट ट्रांसपेरेंट होता है और इन डिवाइसेज में डिस्प्ले-इन-अ-डिस्प्ले होना जरूरी है। ऐसे में प्राइमरी डिस्प्ले OLED या LED टेक्नोलॉजी का बना होता है और छोटे कट-आउट में दूसरे तरह का ग्लास उपयोग किया जाता है, जो इसके अंदर मौजूद कैमरे को लाइट कैप्चर करने देता है। इस पार्ट को रेगुलर यूज में कैमरा ऑफ होने के बाद भी देखा जा सकता है। 

ये टेक्नोलॉजी इतनी पॉपुलर क्यों है? 

बात ये है कि हाथ में आसानी से पकड़ में आने वाले स्मार्टफोन्स में बड़ी स्क्रीन देने की चाह में कंपनियों ने बेजल्स को छोटा करना शुरू किया। ऐसे में नॉच आया फिर वाटर ड्रॉप नॉच और पंच होल कटआउट जैसे डिजाइन पॉपुलर हो गए। इसके लिए मोबाइल बनाने वाली कंपनियों ने बाकी सेंसर्स और दूसरे पार्ट्स को छुपाना शुरू। अब ऑल स्क्रीन एक्स्पीरिएंस देने के लिए कंपनियों ने कैमरे को भी छुपाना जरूरी है। इसलिए ये टेक्नोलॉजी पॉपुलर हो रही है।  

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ऑल-स्क्रीन डिवाइसेज बनाने में चैलेंज क्या है? 

कुछ मैन्युफैक्चरर्स ने ऑल-स्क्रीन डिवाइस ग्राहकों को ऑफर करने के लिए कैमरे को फ्लिपिंग, रोटेटिंग और पॉप-अप मैकेनिज्म के साथ यूज किया। लेकिन, इनमें डैमेज का रिस्क बढ़ जाता है और इन्हें रिेपेयर करने में भी काफी समय लगता है। ऐसे में ये तरीके पॉपुलर नहीं हो पाए। साथ ही ये पार्ट्स बैटरी के लिए इंटरनल स्पेस को कम भी करते हैं। इनके लिए मोटर की भी जरूरत पड़ती है जो डिवाइस को मोटा कर देते हैं और डिवाइस का वजन भी बढ़ जाता है।