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75 साल का ये बुजुर्ग 32 साल से संभाल रहा ट्रैफिक, इस काम के लिए पैसे भी नहीं लेते

Updated Jan 18, 2021 | 23:56 IST

Gangaram: दिल्ली के सीलमपुर में 75 साल के गंगाराम पिछले 32 साल से बिना सैलरी लिए ट्रैफिक मैनेज कर रहे हैं। 8 साल पहले यहीं उनके लड़के की दुर्घटना में मौत हो गई थी।

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गंगाराम
मुख्य बातें
  • 32 साल से ट्रैफिक संभाल रहे हैं 75 साल के गंगाराम
  • सीलमपुर चौक पर बेटे को सड़क दुर्घटना में खो चुके
  • 12-13 घंटे ट्रैफिक संभालते हैं, लेकिन वेतन नहीं लेते

नई दिल्ली: यदि कोई दिल्ली में सीलमपुर चौक से गुजरता है, तो वह वहां एक 75 साल के बुजुर्ग व्यक्ति को ट्रैफिक पुलिस की वर्दी पहने और हाथ में छड़ी लिए हुए ट्रैफिक को नियंत्रित करते हुए देख सकता है। इनका नाम है गंगाराम। गंगाराम पिछले 32 सालों से बिना वेतन के ट्रैफिक संभाल रहे हैं। ज्यादातर ड्राइवर उन्हें अच्छी तरह से जानते हैं। 

इतनी उम्र के बावजूद उनमें जुनून की कोई कमी नहीं है। उनका इस तरह ये काम करने के पीछे एक कारण और है। दरअसल, 8 साल पहले इसी चौक पर हुई दुर्घटना में उनके बेटे की मौत हो गई थी। अब उन्होंने इसे अपना मिशन बना लिया है, वह चाहते हैं कि किसी और के साथ ऐसा न हो। उन्होंने तय कर लिया कि जब तक जीवित हैं वो ट्रैफिक पर काम करते रहेंगे। आप ज्यादातर समय उन्हें ढीली-ढाली फटी और जर्जर कपड़ों में देखेंगे। कई लोगों ने उन्हें पहनने के लिए नए कपड़ों के साथ मदद करने के लिए भी संपर्क किया लेकिन वह इससे इनकार कर देते हैं।

इस तरह करने लगे ये काम

वह साहिबाबाद के एकता विहार में रहते हैं। गंगाराम की टीवी मरम्मत की दुकान थी और उनका बेटा मुकेश उनके साथ काम करता था। कई पुलिसकर्मी अपने वायरलेस ट्रांसमीटर को ठीक करवाने के लिए आते थे। इसी दौरान उनके साथ अच्छे संबंध होने करने के बाद उन्होंने 32 साल पहले ट्रैफिक वार्डन का फॉर्म भर दिया था। उन्होंने फिर बिना वेतन के ट्रैफिक हैंडलिंग का काम शुरू कर दिया। 

कई सम्मान और पदक मिले

अपने बेटे को खोने के बाद उनकी पत्नी ममता देवी सदमे से मर गई। उन्होंने अपनी बहू को एक निजी अस्पताल में नौकरी दिलवाई। उन्होंने अपनी 2 पोतियों की भी शादी की। 17 साल का पोता अभी भी पढ़ाई कर रहा है। लेकिन गंगाराम का उत्साह कम नहीं हुआ है। वह सुबह 8 से रात 8 बजे तक ट्रैफिक को मुफ्त में हैंडल करते हैं। गंगाराम को हर साल 15 अगस्त और 26 जनवरी को पुलिस और अन्य सामाजिक संगठनों से कई पदक और सम्मान मिलते हैं। अब उनके पास घर पर कई पुरस्कार और पदक हैं। उन्हें पुलिस से एक मोबाइल फोन भी मिला है क्योंकि उनके पास मोबाइल फोन नहीं था।