नागपुर: एक बाघ ने अपने साथी की तलाश में कथित तौर पर 1,300 किलोमीटर से अधिक दूरी का सफर तय किया। T1C1 के रूप में पहचाने जाने वाले, बाघ ने करीब छह महीने पहले यवतमाल जिले के तिपेश्वर वन्यजीव अभयारण्य से अपनी खोज शुरू की और रविवार को महाराष्ट्र के बुलढाणा में धन्यगंगा वन्यजीव अभयारण्य पहुंचे।
T1C1 की यात्रा को भारत में एक बाघ द्वारा सबसे लंबे ट्रेक के रूप में स्वागत किया जा रहा है। T1C1 चार -पांच से अधिक दिनों तक बिना रुके एक हजार किलोमीटर तक चलता रहा। T1C1 को धन्यगंगा तक पहुंचने में छह महीने का समय लगा। यह बाध केवल मवेशियों का शिकार करने के लिए रुकती थी।
महाराष्ट्र के मुख्य वन्यजीव वार्डन नितिन काकोडकर के मुताबिक T1C1 की यात्रा सीधी नहीं थी। वह कभी आगे चलता था तो कभी पीछे चलता था। अपनी छह महीने की यात्रा के दौरान यह बाध ने नदियों, तलाबों, हाईवेज और खेतों को पार किया। भटकते हुए T1C1 ने अपनी यात्रा में सैकड़ों किलोमीटर की दूरी तय की।
एक्सपर्ट मुताबिक T1C1 अपने साथी की तलाश के लिए यात्रा पर निकल गया। वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के वरिष्ठ जीवविज्ञानी बिलाल हबीब ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि एक बाघ को किसी भी स्थान पर स्थिर होकर रहने के लिए तीन चीजों की जरूरत होती है। स्थान, भोजन और साथी। धन्यगंगा में जगह है और शिकार पर्याप्त है। हालांकि अगर T1C1 को अपना साथी नहीं मिला तो वह आगे भी चलना जारी रख सकता है।
T1C1 ने जून में तिपेश्वर वन्यजीव अभयारण्य से बाहर कदम रखा। वहां से वह तेलंगाना के आदिलाबाद में चला गया, जंगलों में कुछ समय बिताया और फिर पिंगंगा अभयारण्य में प्रवेश किया। अक्टूबर में वह यवतमाल में इसापुर अभयारण्य में पहुंचे। वहां से वह हिंगोली जिले में दाखिल हुआ।
हिंगोली में, T1C1 को मनुष्यों के साथ संघर्ष करना पड़ा और पुरुषों के एक ग्रुप ने हमला किया। उसने चलना जारी रखा और वाशिम तक पहुंचा। वाशिम से, T1C1 अकोला होते हुए बुलढाणा पहुंचा। उसकी की पूरी यात्रा रिकॉर्ड की गई क्योंकि वह रेडियो-कॉलर था।
जहां एक तरफ एक्सपर्ट्स का मानना है कि एक साथी की चाह ने इस यात्रा को आगे बढ़ाया, वहीं कुछ एक्सपर्ट्स ने भी चिंता जताई है। एक्सपर्ट्स ने कहा है कि T1C1 का यह मूवमेंट इस तथ्य का प्रमाण है कि 'सोर्स और सिंक' घटना को फिर से देखने की जरूरत है।
अगर अधिकतर बाघ कम आबादी वाले इलाकों मे जाना शुरू करते हैं तो तो यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि वे संरक्षित हैं। बिलाल ने कहा कि यह स्पष्ट है कि सिकुड़ते वन क्षेत्र की वजह से T1C1 जैसे बाघों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए पुलिस को फिर से तैयार रहने की जरूरत है।