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COVID-19: कितनी मुश्किल हो गई है जिंदगी, पीड़‍ितों का इलाज करने वाले डॉक्‍टर की पत्‍नी ने बयां किया दर्द

Updated Mar 18, 2020 | 06:00 IST

कोरोना वायरस न सिर्फ पीड़‍ित परिवारों को तबाह कर रहा है, बल्कि चुनौती उन च‍िकित्‍साकर्मियों के लिए भी कम नहीं है, जो संक्रमित मरीजों का उपचार करते हुए हर घड़ी जोखिम का सामना करते हैं।

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तस्वीर साभार:&nbspAP, File Image
COVID-19: कितनी मुश्किल हो गई है जिंदगी, पीड़‍ितों का इलाज करने वाले डॉक्‍टर की पत्‍नी ने बयां किया दर्द
मुख्य बातें
  • कोरोना वायरस से दुनियाभर में लगभग 7,000 लोगों की जान जा चुकी है, जबकि 1.75 लाख से अधिक संक्रमित हैं
  • मुश्किलें उन चिकित्‍साकर्मियों के लिए भी कम नहीं हैं, जो जोखिम के बावजूद संक्रमित मरीजों के उपचार में जुटे हैं
  • यह चिकित्‍साकर्मियों के परिवारों के लिए भी बड़ी त्रासदी है, जो दिन-रात उनकी सलामती की दुआ करता रहता है

नई दिल्‍ली : कोरोना वायरस के कारण पूरी दुनिया में तबाही मची हुई है, जिसके कारण दुनियाभर में लगभग 7,000 लोगों की जान जा चुकी है, जबकि 1.75 लाख से अधिक इससे संक्रमित हैं। मुश्किलें उन चिकित्‍साकर्मियों के लिए भी कम नहीं हैं, जो कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों के उपचार में जुटे हैं। यह उनके परिवार के लिए भी एक बड़ी त्रासदी है, जो उनसे दूर रहते हुए दिन-रात उनकी सलामती की दुआ करता रहता है।

रातों-रात बदल गई जिंदगी

रैचेल पैत्‍जर भी ऐसे ही लोगों में हैं, जिनके पति डॉक्‍टर हैं और दिन-रात कोरोना वायरस के मरीजों के उपचार में लगे रहते हैं। जिस तेजी से यह संक्रमण फैल रहा है, उससे चिकित्‍साकर्मी भी अछूते नहीं हैं। फिर संक्रमित मरीजों के उपचार के दौरान अक्‍सर उनके इस संक्रामक बीमारी की चपेट में आने की आशंका बनी रहती है। ऐसे में पूरे हालात ने इस डॉक्‍टर के परिवार की जिंदगी को बदलकर रख दिया है।

रैचेल ने ट्विटर पर बताया कि किस तरह कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों के उपचार के कारण उन लोगों को उन्‍हें पृथक रखने का 'मुश्किल फैसला' लेना पड़ा। संक्रमित मरीजों के उपचार के दौरान किसी तरह का संक्रमण उन्‍हें न हो, इसे लेकर वह पूरा एहतियात तो बरतते ही हैं, परिवार को इसकी वजह से किसी खतरे का सामना न करना पड़े, इसके लिए उन्‍होंने घर में सोने की बजाय अपने सोने का प्रबंध गैराज में कर लिया है।

चिकित्‍साकर्मियों के लिए चुनौती

इस दंपति के तीन बच्‍चे हैं, जिनमें से एक तो बस तीन सप्‍ताह का है। ऐसे में एक पिता की उस पीड़ा को भी साफ महसूस किया जा सकता है कि वह अपने नवजात श‍िशु को गोद में भी नहीं उठा पा रहा है। फिर उन्‍हें यह भी नहीं मालूम कि यह कितने दिनों तक चलने वाला है। रोजाना संक्रमण के जोखिम और संकट के खत्‍म होने की अनिश्चितता के बीच चिकित्‍साकर्मियों के ऐसे कई परिवार हैं, जिन्‍हें साथ में वक्‍त बिताए अरसा हो चुका है।

रैचेल ने चिकित्‍साकर्मियों की हालत का हवाला देते हुए संक्रमित लोगों ने इस महामारी को गंभीरता से लेने की अपील भी की। उन्‍होंने इस पर दुख भी जताया कि बहुत से लोग यह जानते हुए भी 'सोशल डिस्‍टेंसिंग' के सुझावों का पालन नहीं कर रहे हैं, जिससे संक्रमण अन्‍य लोगों को भी अपनी चपेट में ले रहा है। सोशल मीडिया पर कई लोगों ने उनका समर्थन किया है। उनके इस ट्वीट के बाद कई अन्‍य लोगों ने भी अपनी ऐसी ही कहानी बयां की है।